जुबिली स्पेशल डेस्क
लखनऊ। कोरोना महामारी ने पूरी दुनिया को प्रभावित किया है। एक ओर लाखों-करोड़ों लोग बीमारी की चपेट में आए तो वहीं करोड़ों लोग बेरोजगार हो गए।
कोरोना संक्रमण रोकने के लिए दुनिया के अधिकांश देशों ने लॉकडाउन का सहारा लिया। इस दौरान लाखों-करोड़ों लोग बेरोजगार हो गए तो वहीं दुनिया के अधिकांश देशों की अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई। इतना ही नहीं वैश्विक खाद्य कीमतों की मासिक बढ़ोतरी दर में भी बीते एक दशक में सबसे तेज उछाल आया है।

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उधर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने भारत के आर्थिक विकास दर (India Growth Rate) के अनुमान में दूसरी बार कटौती की है। आईएमएफ ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिए इसे 7.4 फीसदी से घटाकर 6.8 फीसदी कर दिया है। इतना ही नहीं आईएमएफ ने यहाँ तक बोले है कि “संक्षेप में सबसे बुरा दौर अभी आना बाकी है। यह समय कई लोगों के लिए 2023 मंदी की तरह साबित होगा।
आपकी जानकारी के लिए बता दे कि ‘ जुलाई में आईएमएफ ने भारत के विकास दर को 8.2 फीसदी से घटाकर 7.4 फीसदी कर दिया गया था इस तरह आईएमएफ ने इसमें 0.8 फीसदी की कटौती देखने को मिली है।आईएमएफ की माने तो वैश्विक कारणों के असर और सख्त मॉनिटरी पॉलिसी के कारण भारत की आर्थिक विकास दर कम रह सकती है।
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वही केंद्रीय बैंक ने मौजूदा वित्त वर्ष में जीडीपी के 7.2 फीसदी की दर से बढ़ने की उम्मीद की है। इसका मतलब है कि अगले वित्त वर्ष यानी 2023-24 में भारतीय अर्थव्यवस्था के 6.1 फीसदी की दर से बढ़ने की उम्मीद की जा सकती है।
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