Monday - 8 January 2024 - 8:34 PM

कोरोना : क्यों हो रही आगरा मॉडल की तारीफ

स्पेशल डेस्क

देश में अब तक 9352 लोग कोरोना वायरस की चपेट में है जबकि 324 लोगों की मौत हो चुकी है। भारत में कोरोना वायरस को रोकने के लिए लॉकडाउन लगाया गया है लेकिन अब भी मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। भारत के दस राज्य ऐसे है जहां कोरोना ने तेजी से अपनी जड़े मजबूत की है। इन दस राज्यों में उत्तर प्रदेश भी शामिल है जहां पर कोरोना के मामले सबसे ज्यादा देखने को मिल रहे हैं।

इसके बावजूद उत्तर प्रदेश के आगरा मॉडल की हर कोई तारीफ कर रहा है। ताज नगरी आगरा में अब तक 138 लोग कोरोना की चपेट में है लेकिन सबसे अहम बात किसी की भी हालत उतनी खराब नहीं है।

केंद्र सरकार ने आगरा मॉडल की तारीफ की थी और कहा था कि अन्य राज्यों को इससे सीख लेनी चाहिए और इसी पर अमल किया जाना चाहिए। दरअसल जिन क्लस्टर में कोरोना सक्रमण ज़्यादा पाए गए हैं उनके लिए केंद्र सरकार ने एक कंटेनमेंट प्लान बनाया है। आगरा उसी प्लान पर काम करा है और उसे अच्छी-खासी सफलता मिली है।

ताज नगरी में कैसे फैला था कोरोन

आगरा ने पहले दिन से ही इस मॉडल को अपना लिया था। कोरोना को यहां से खत्म करने के लिए पिछले डेढ़ माह से आगरा इस मॉडल काम कर रहा है और उसे अब सफलता मिलने लगी है।

आगरा में शुरुआती दिनों में ही कोरोना अपनी जड़े मजबूत करने लगा था लेकिन आगरा प्रशासन ने फौरन इसे रोकने के लिए कमर कस ली और योजन पर काम शुरू कर दिया था।

सम्पर्क में आए लोगों की गई तलाश

ताज को देखने के लिए विदेशों से लोगों का आना लगा रहता था और दो मार्च को यहां पर कोरोना का पहला केस भी सामने आया। इसके बाद सैलानियों का एक ग्रुप का टेस्ट जयपुर में कराया गया और इस 19 लोगों से केवल एक व्यक्ति को कोरोना होने की बात सामने आयी। इसके बाद उसका फौरन इलाज किया गया और उसके सम्पर्क में जो भी लोग आये थे उनको खोजा गया और उनका इलाज किया गया।

इसी दिन यानी दो मार्च को ही दो लोग इटली की यात्रा से लौटे और दोनों की कोरोना की चपेट में थे। इसके साथ परिवार के बाक़ी 5 लोगों का टेस्ट कराया गया, और वो भी पॉजिटिव पाए गए।

दरअसल केंद्र का यह प्लान बेहद कारगार साबित हुआ। इसके तहत पूरे क्लस्टर को तीन हिस्सों में बांटा जाता है। आगरा ने भी इसी तहत पर पूरी योजना बनायी और इस प्लान को यहां लागू किया ।

  • बफऱ ज़ोन – इसके प्लान के तहत 5 किलोमीटर को बफऱ ज़ोन मान कर वहां कोराना संक्रमण से निपटने की तैयारी की जाती है.
  •  कंटेनमेंट ज़ोन – बफऱ ज़ोन के भीतर के 3 किलोमीटर के दायरे को एपिसेंटर या फिर कंटेनमेंट ज़ोन घोषित किया जाता है
  • हॉटस्पॉट – अंत में कंटेनमेंट ज़ोन के अंदर आने वाले पॉज़िटिव मरीज़ के घर, गली और नज़दीकी रिश्तेदारों के इलाक़े को हॉटस्पॉट मान कर सील कर दिया जाता है।

ऐसे काम कर रहा है आगरा मॉडल

आगरा भी इसी मॉडल पर काम कर रहा है। उसने शुरुआती दिनों से इसपर काम करना शुरू कर दिया था। आगरा में जो भी लोग कोरोना की चपेट में आए। इसके बाद जो भी इन लोगों के सम्पर्क में आए उनको खोजा गया। इतना ही नहीं डोर टू डोर कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग, टेस्टिंग, आइसोलेशन और बाक़ी लोगों तक ज़रूरी सामान पहुंचाने के लिए काम भी किया गया।

बीबीसी के मुताबिक आगरा में इसी मॉडल के तहत 1248 लोगों की एक टीम बनायी गई और उसका गठन किया गया। इसके बाद सर्वे किया गया और 1.6 लाख घरों की स्क्रीनिंग की गई और करीब 2500 लोगों के सैम्पल लिए गए। हालांकि ये सब इतना आसान नहीं था।

इस पूरी योजना को अमल में लाने के लिए वहां के प्राइवेट हेल्थ वर्कर की भूमिका भी काफी अहम है। कुल मिलाकर अन्य राज्यों को आगरा से सीख लेनी चाहिए तभी कोरोना वायरस पर काबू किया जा सकता है। पूरे विश्व में कोरोना वायरस का कहर लगातार जारी है। भारत में कोरोना को काबू करने के लिए लॉकडाउन लगाया और इसे आगे बढ़ाने की बात भी की जा रही है।

Radio_Prabhat
English

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com