Monday - 22 January 2024 - 10:40 PM

रामदेव पर फड़णवीस सरकार क्यों है मेहरबान

न्यूज डेस्क

21 जून को अंतरराष्ट्रीय  योग दिवस के मौके पर बाबा रामदेव और  महाराष्ट्र  के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़णवीस ने मंच साझा किया था। उसके एक हफ्ते बाद भी फड़णवीस ने बाबा को एक प्रस्ताव दिया। इस प्रस्ताव का विपक्षी दल से लेकर कुछ किसान विरोध कर रहे हैं, साथ ही यह भी कहा जा रहा है कि आखिर बाबा पर सरकार की इतनी मेहरबानी क्यों।

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस ने बाबा रामदेव को लातूर में सोयाबीन प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित करने के लिए मौजूदा बाजार रेट से आधी कीमत (50 फीसदी छूट) पर 400 एकड़ जमीन मुहैया कराने का प्रस्ताव दिया है। इसमें कई अन्य छूट भी शामिल हैं।

मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस ने खुद रामदेव को पत्र लिखकर यह प्रस्ताव दिया है। फड़णवीस ने रामदेव को खत में लिखा है कि सोयाबीन प्रोसेसिंग यूनिट से ना केवल किसानों को उनकी फसल की अच्छी कीमत मिलेगी, बल्कि इससे रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे।

खत में कहा गया है कि यह प्रस्ताव राज्य सरकार की सूक्ष्म, छोटे और मध्यम उद्योगों (एमएसएमई) को प्रोत्साहित करने की नई नीति का हिस्सा है।

50 प्रतिशत छूट के अलावा कई सहूलियत का प्रस्ताव

फड़णवीस सरकार ने जमीन पर 50 प्रतिशत की छूट के साथ ही स्टैंप ड्यूटी हटाने, रामदेव द्वारा अदा की जाने वाली जीएसटी लौटाने के अलावा एक रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली बिल का भुगतान जैसी सहूलियतों का प्रस्ताव रखा है।

गौरतलब है कि तकरीबन तीन साल पहले फड़णवीस सरकार ने नागपुर में पतंजलि फूड और हर्बल पार्क के लिए रामदेव को मामूली कीमत पर 230 एकड़ जमीन मुहैया कराई थी। हालांकि नागपुर में जमीन दिए जाने के तीन साल बाद भी अब तक फूड पार्क मैन्युफैक्चरिंग यूनिट शुरू होने के कोई संकेत नहीं मिल रहे हैं।

भेल के लिए अधिग्रहित की गई थी जमीन

खास बात यह है कि लातूर के औसा तालुके में स्थित जो जमीन रामदेव को ऑफर की गई है, वह भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (भेल) फैक्ट्री के लिए 2013 में किसानों से अधिग्रहीत की गई थी।

फैक्ट्री शुरू होने के बाद किसानों से नौकरी का वादा किया गया था। हालांकि बाबा रामदेव की कंपनी को जमीन देने की सूरत में किसान इस वादे को लेकर आश्वस्त नहीं हैं।

2013 में अपनी जमीन देने वाले किसानों का कहना है कि उनके साथ धोखा हुआ है। किसानों के मुताबिक उन्हें साढ़े तीन लाख रुपये प्रति एकड़ की दर से भुगतान किया गया, जबकि वर्तमान समय में जमीन की कीमत 45 लाख रुपये प्रति एकड़ है।

क्या कहना है किसानों का

इस मामले में किसानों का कहना है कि, ‘जमीन के पास से एक हाईवे निकल रहा है, जिससे कीमत में उछाल आया है। हमने मूंगफली के लिए अपनी जमीन बेची थी, हमें कोई नौकरी नहीं मिली और अब हमसे कहा जा रहा है कि भेल के बजाए बाबा रामदेव यहां एक फैक्ट्री लगाएंगे।’

किसान श्रीमंत का कहना है कि , ‘एक राष्ट्रीय परियोजना के लिए किसानों ने अपनी जमीन छोड़ी थी। अगर हमारी जमीन का इस्तेमाल निजी परियोजना के लिए होने जा रहा है तो हमें बाजार दर के आधार पर मुआवजा मिलना चाहिए।’ 

वहीं स्थानीय कांग्रेस विधायक अमित देशमुख का कहना है, ‘हमारी पार्टी भेल के अलावा किसी कारोबारी को जमीन का इस्तेमाल नहीं करने देगी। रामदेव की परियोजना का पूरी ताकत के साथ विरोध किया जाएगा।’

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