Sunday - 7 January 2024 - 4:50 AM

संसद की नई बिल्डिंग को लेकर देश में क्यों सियासत छिड़ गई ?

जुबिली स्पेशल डेस्क

नई दिल्ली। देश के नए संसद भवन का 28 मई को उद्घाटन होने वाला है लेकिन उद्घाटन से पहले ही रार देखने को मिल रही है। दरअसल इस देश के नए संसद भवन का उद्घाटन कोई और नहीं बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करने वाले लेकिन विपक्ष को ये मंजूर नहीं है कि पीएम मोदी इसका उद्घाटन करे।

विपक्ष चाहता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नहीं बल्कि राष्ट्रपति इसका उद्घाटन करे। हालात तो अब ऐसे बन गए है कि संसद की नई बिल्डिंग के उद्घाटन समारोह पर पूर विपक्ष आगबबूला हो गया है और 19 दलों ने तय किया है कि वो संसद की नई बिल्डिंग के उद्घाटन समारोह बायकॉट करेगी।

जानकारी के मुताबिक अब तक 19 दलों ने बायकॉट का ऐलान कर दिया है. इन दलों में कांग्रेस, डीएमके (द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम), AAP, शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट), समाजवादी पार्टी, भाकपा, झामुमो, केरल कांग्रेस (मणि), विदुथलाई चिरुथिगल कच्ची, रालोद, टीएमसी, जदयू, एनसीपी, सीपीआई (एम), आरजेडी, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, नेशनल कॉन्फ्रेंस, रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी और मरुमलार्ची द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम (एमडीएमके) शामिल हैं.

इसको लेकर राजनीतिक दलों ने मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। सबसे पहले राहुल गांधी ने पीएम मोदी के नए संसद भवन के उद्घाटन करने की बात का विरोध किया था।

राहुल गांधी चाहते हैं कि नए संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति को करना चाहिए। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा था कि नए संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति जी को ही करना चाहिए, प्रधानमंत्री को नहीं।

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने ट्वीट किया- पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को नए संसद भवन के शिलान्यास के मौके पर आमंत्रित नहीं किया गया, ना ही अब राष्ट्रपति मुर्मू को उद्घाटन के मौके पर आमंत्रित किया गया है। केवल राष्ट्रपति ही सरकार, विपक्ष और नागरिकों का प्रतिनिधित्व करती हैं। वो भारत की प्रथम नागरिक हैं। नए संसद भवन का उनके (राष्ट्रपति) द्वारा उद्घाटन सरकार के लोकतांत्रिक मूल्य और संवैधानिक मर्यादा को प्रदर्शित करेगा।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने ट्वीट किया था- संविधान के अनुच्छेद 60 और 111 यह स्पष्ट करते हैं कि राष्ट्रपति संसद का प्रमुख होता है और इसलिए उसे नए संसद भवन का उद्घाटन करना चाहिए।

क्या है वर्तमान संसद भवन का आकार

गौरतलब है कि वर्तमान संसद भवन का आकार वृत्ताकार है जिसका व्यास 560 फीट है। इसकी परिधि एक तिहाई मील है और इसका क्षेत्रफल लगभग छह एकड़ है। इसके प्रथम तल के खुले बरामदे के किनारे पर क्रीम रंग के बालुई पत्थर के 144 स्तम्भ लगे हुए हैं इनकी ऊंचाई 27 फीट तक है। इन्ही स्तम्भ की वजह से भवन को एक अनूठा आकर्षण दिखाई पड़ता हैं।

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इसके अलावा पूरा संसद भवन लाल बालुई पत्थर की सजावटी दीवार से घिरा हुआ है इसमें लोहे के द्वार लगे हुए हैं। कुल मिलाकर इस भवन में 12 द्वार हैं। इस भवन के निर्माण कार्य में छह साल का समय और 83 लाख रुपए की लागत आयी थी। सेन्ट्रल लेजिस्लेटिव असेम्बली की पहली बैठक 19 जनवरी 1927 को संसद भवन में हुई थी।

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नई लोकसभा मौजूदा आकार से तीन गुना बड़ी होगी साथ ही राज्‍यसभा के आकार में भी वृद्धि की जाएगी। नए भवन की सज्‍जा में भारतीय संस्‍कृति, क्षेत्रीय कला, शिल्‍प और वास्‍तुकला की विविधता का समृद्ध मिलाजुला स्‍वरूप होगा। डिज़ाइन योजना में केन्‍द्रीय संवैधानिक गैलरी को स्‍थान दिया गया है। आम लोग इसे देख सकेंगे।

इसके साथ ही इस नए संसद भवन में भारत की गौरवशाली विरासत को भी दर्शाया गया है । देश के कोने-कोने से आए दस्तकार और शिल्पकार अपनी कला और योगदान के माध्यम से इस भवन में सांस्कृतिक विविधता का समावेश किया गया है। नया संसद भवन अत्याधुनिक, तकनीकी सुविधाओं से युक्‍त और ऊर्जा कुशल होगा। मौजूदा संसद भवन से सटी त्रिकोणीय आकार की नई इमारत सुरक्षा सुविधाओं से लैस है।

 

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