जुबिली न्यूज डेस्क
किसान नेता राकेश टिकैत आंदोलन को धार देने की कोशिश में लगे हुए है। इसके लिए वह देश के कई राज्यों में किसानों के महापंचायतों में भी शामिल हो रहे हैं और किसानों से आंदोलन को समर्थन देने की अपील कर रहे हैं
टिकैत महापंचायतों में जहां किसानों को दिल्ली कूच करने के लिए तैयार रहने के लिए कह रहे हैं तो वहीं मोदी सरकार को भी ललकार रहे हैं।
इसी कड़ी में मंगलवार को राजस्थान के झुंझुनू में किसानों को संबोधित करते हुए भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने किसानों को ‘नया फॉर्मुला’ दिया। उन्होंने किसानों से अनाज ट्रैक्टर में भरकर दिल्ली चलने की अपील की।

रैली में टिकैत ने सरकार को लुटेरा बताते हुए कहा कि इन्हें भगाना पड़ेगा। सरकार को किसानों को एमएसपी देनी पड़ेगी। अगर हमें एमएसपी नहीं मिलती है तो अपना गेहूं भरकर दिल्ली पहुंच जाएंगे। वही देश का एकमात्र मंडी है जहां उचित दाम मिलेगी।
उन्होंने कहा कि वैसे भी प्रधानमंत्री ने कहा है कि किसान अपनी अनाज देश में कहीं भी बेच सकते हैं। ऐसा थोड़ी न कहा है कि दिल्ली में नहीं बेच सकते हैं। किसान नेता ने कहा कि पार्लियामेंट पहुंचने से पहले अगर कोई रोकेगा तो उसे ही एमएसपी पर गेहूं खरीदना पड़ेगा।
किसान आंदोलन पर बोलते हुए उन्होंने ने कहा कि दिल्ली में लड़ाई चल रही है अब लड़ाई झुंझुनूं में भी शुरू करनी होगी। सीधी बात है जो तीनों कानून लेकर आए हो उसे रद्द कर दो और एमएसपी पर कानून बना दो।
किसानों को ललकारते हुए उन्होंने कहा कि यह तो क्रांतिकारियों की धरती रही है। आपको निकलना पड़ेगा। ये मोर्चेबंदी तोडऩी पड़ेगी, नहीं तो दिल्ली सरकार सुनने वाली नहीं है।
ये भी पढ़े : डीजीपी के खिलाफ शिकायत में महिला आईपीएस ने कहा-मेरा हाथ चूमा और…
ये भी पढ़े : ‘पति की गुलाम या सम्पत्ति नहीं है पत्नी जिसे पति के साथ जबरन रहने को कहा जाए’
ये भी पढ़े : तो इस वजह से सांसद के बेटे ने खुद पर चलवाई गोली

मालूम हो कुछ दिनों पहले ही बीकेयू प्रवक्ता टिकैत ने कहा था कि किसान को अपनी जमीन औलाद से भी प्यारी होती है। किसान जब तक जीवित रहते हैं वह अपनी जमीन औलाद के नाम नहीं करते तो फिर वह अपनी जमीन को जानबूझकर किसी को कैसे सौंप सकते हैं? किसान अपनी एक इंच जमीन उद्योगपतियों को नहीं देंगे।
पिछले 100 दिनों से किसान दिल्ली बॉर्डर पर बैठे हुए हैं। सरकार के साथ 11 दौर की वार्ता के बाद भी दोनों पक्ष के बीच कोई फैसला नहीं हो पाया। जिसके बाद से सरकार और किसानों के बीच डेडलॉक जारी है। दोनों ही पक्षों के बीच अंतिम बार वार्ता 22 जनवरी को हुई थी।
Jubilee Post | जुबिली पोस्ट News & Information Portal
