- अमेरिका के इस कदम को दोनों देशों के बीच शुरू हुए तकरार का माना जा रहा हिस्सा
- ट्रंप ने दी चीन से सारे संबंध तोड़ लेने की धमकी
न्यूज डेस्क
अमेरिका और चीन के बीच की तल्खी बढ़ती जा रही है। यह तल्खी कोरोना महामारी के बाद ज्यादा बढ़ी है। अमेरिका कोरोना महामारी का जिम्मेदार चीन को मानता है।आए दिन अमेरिका चीन पर किसी न किसी बहाने निशाना साध रहा है। अब अमरीकी सीनेट ने एक प्रस्ताव पारित कर चीन की कम्युनिस्ट सरकार से वहां के वीगर और अन्य मुसलमान अल्पसंख्यक समूहों के खिलाफ हो रहे मानवाधिकार उल्लंघन पर जवाब मांगा है।
अमरीकी सीनेट ने यह प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया है और यह अब अमरीकी संसद के निचले सदन हाउस ऑफ रिप्रेज़ेन्टेटिव के पास विचार के लिए जाएगा।
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अमेरिका के इस कदम को दोनों देशों के बीच शुरू हुए तकरार का ही हिस्सा माना जा रहा है। यह विधेयक चीन के शिनजियांग शहर में तुर्क मुसलमानों के मानवाधिकारों के उल्लंघन की निंदा करता है और इन मुसलमानों के साथ चीन में हो रही मनमानी और उत्पीडऩ को समाप्त करने का आह्वान करता है।
वहीं चीन कहता है कि वो अपने यहां चरमपंथियों के खिलाफ जारी जंग की वजह से ऐसा कर रहा है। ,
पिछले वर्ष ऐसी कई रिपोर्टें आई थीं, जिनमें दावा किया गया था कि चीन ने आतंकवाद और धार्मिक चरमपंथ से लडऩे के बहाने दस लाख जातीय वीगर और अन्य तुर्क मुसलमानों को ‘शिविरों’ में रखा जहां कथित तौर पर उनका ब्रेन वॉश किया जाता है। इसके लिए चीन की काफ़ी आलोचना भी हुई थी।
अमेरिका और चीन के बीच तकरार बढ़ती जा रही है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप लगातार चीन की आलोचना कर रहे हैं। वह चीन को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं।
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गुरुवार को भी अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कोरोना महामारी को लेकर चीन की निंदा की और उससे सारे संबंध तोड़ लेने की धमकी दी।
ट्रंप ने फॉक्स बिजनेस को दिए एक साक्षात्कार में कहा, “हम बहुत कुछ कर सकते हैं। हम सारे संबंध खत्म कर सकते हैं।”
ट्रंप ने फिर ख़ुद ही पूछा, “अगर ऐसा हुआ, तो क्या होगा?” और जवाब दिया, “आप 500 अरब डॉलर बचा लेंगे अगर आपने सारे संबंध तोड़ लिए तो।”
दरअसल ट्रंप का इशारा चीन के साथ द्विपक्षीय व्यापार में अमेरिका के विशाल घाटे की ओर था। अमेरिका पिछले कुछ समय से चीन पर वायरस को लेकर मुआवजा देने के लिए दबाव बना रहा है। वो उस पर महामारी की शुरुआती जानकारी छिपाने का आरोप लगाता है, पर चीन लगातार इससे इनकार करता रहा है।
दरअसल ट्रंप के चीन-विरोधी बयानों को कई लोग नवंबर में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव की रणनीति के तौर पर भी देख रहे हैं।
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