Thursday - 11 January 2024 - 7:27 AM

यूपी : सरकारी नौकरी के नियमों में बदलाव का हो रहा विरोध

जुबिली न्यूज डेस्क

उत्तर प्रदेश सरकार सरकारी नौकरी में कुछ बदलाव करने जा रही है। यह बदलाव समूह ख और समूह ग की सरकारी नौकरियों में करने की योजना है।

सरकार जो नया प्रस्ताव लाने जा रही है उसके अनुसार राज्य में इन समूहों की नई भर्तियां अब संविदा के आधार पर होंगी, जिन्हें 5 वर्ष में हुए मूल्यांकन के आधार पर नियमित किया जाएगा।

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योगी सरकार भले ही इससे कर्मचारियों की गुणवत्ता बढ़ाने का दावा कर रही हो, लेकिन बड़ी बात ये है कि विपक्ष और प्रतियोगी छात्र इसका विरोध कर रहे हैं। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी, आम आदमी पार्टी समेत अब सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओर प्रकाश राजभर ने इसे सरकार का तानाशाही वाला कदम बताया है।

कभी भाजपा में कैबिनेट मंत्री रहे ओम प्रकाश राजभर ने सरकार के इस फैसले के खिलाफ निशाना साधा है। उन्होंने ट्वीट में लिखा है, ‘उत्तर प्रदेश में सरकारी नौकरी की नई व्यवस्था लागू करने की यह सोच “तानाशाही भरा कदम” है। इन वर्गों के कर्मचारियों का शोषण होगा, उनके साथ अत्याचार होगा। पहले से ऐसे कई नियम-कानून हैं, जिसमें भ्रष्टाचार शोषण अत्याचार देखने को मिला है। योगी सरकार देशभक्ति की आड़ में युवाओं को गुमराह करने में लगी है।’

राजभर ने अपने दूसरे ट्वीट में लिखा है कि, पिछड़े, दलित, वंचित वर्गों के युवाओं को पुन: ग़ुलामी, शोषण की ओर धकेलने का नया तरीका है। पहले से विभिन्न विभागों में स्थापित अफसरों की मनमानी बढ़ेगी। युवाओं पर अत्याचार बढ़ेगा। योगी सरकार पूर्व में अटकी हुई भर्तियों को अब तक पूरा नहीं कर पाई। नई नीति बनाकर मनमाने ढंग से नौकरी में ठेकेदारी प्रथा प्रारम्भ कर युवाओं के भविष्य को बर्बाद करने की योजना बना ली है। नई नीति युवाओं को 5 साल सेवा मूल्यांकन के आड़ में शोषण, अत्याचार करने की रणनीति है। सुभासपा सरकारी नौकरी को 5 वर्ष तक संविदा पर किए जाने का पुरजोर विरोध करती है।’

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सरकार का क्या है प्रस्ताव

सरकार जिस नए प्रस्ताव पर विचार कर रही है, उसमें सरकारी नौकरी के पहले पांच साल कर्मचारियों को संविदा पर नियुक्त करने का प्रावधान है। सरकार का कहना है कि पहले पांच वर्ष नए नियुक्त कर्मचारी संविदा के आधार पर काम करेंगे और हर 6 महीने में उनका असेसमेंट किया जाएगा। इस असेसमेंट में एक परीक्षा भी कराई जा सकती है, जिसमें न्यूनतम 60 फीसदी अंक पाना जरूरी होगा। 60 प्रतिशत से कम अंक पाने वाले लोग सेवाओं से बाहर कर दिए जाएंगे।

नहीं मिलेगा कोई अतिरिक्त लाभ

नए प्रस्ताव के अनुसार, संविदा की पांच वर्षों की नियुक्ति के दौरान कर्मचारियों को किसी भी तरह का सर्विस बेनिफिट नहीं मिलेगा। सरकार का तर्क है कि नई व्यवस्था के होने से शासन पर वेतन का बोझ कम होगा और कर्मचारियों की कार्यक्षमता बढ़ेगी। इसके अलावा गवर्नेंस और मजबूत होगा, जिसका लाभ आम लोगों को होगा।

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प्रियंका ने भी जताई नाराजगी

योगी सरकार के इस प्रस्ताव का प्रतियोगी छात्र ही नहीं बल्कि विपक्षी भी आलोचना कर रहे हैं। कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी ने अपने ट्वीट में इस प्रस्ताव का विरोध करते हुए लिखा, ‘युवा नौकरी की मांग करते हैं और यूपी सरकार भर्तियों को 5 साल के लिए संविदा पर रखने का प्रस्ताव ला देती है। ये जले पर नमक छिड़ककर युवाओं को चुनौती दी जा रही है। गुजरात में यही फिक्स पे सिस्टम है। वर्षों सैलरी नहीं बढ़ती, परमानेंट नहीं करते। युवाओं का आत्मसम्मान नहीं छीनने देंगे।’

वहीं विपक्षी दल आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने ट्वीट करते हुए लिखा, ‘देश के युवाओं जाग जाओ तुम्हारी बर्बादी की कहानी बीजेपी ने लिख दी है तुमको धर्म का नशा देकर रोजग़ार व सरकारी नौकरी सब छीन ली और तुमको बिना तनख़्वाह के ताली-थाली बजाने में लगा दिया।’

Radio_Prabhat
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