Saturday - 1 November 2025 - 10:52 AM

ट्रंप का बड़ा फैसला: अमेरिका में फिर शुरू होंगे परमाणु परीक्षण, दुनिया में बढ़ा तनाव

जुबिली न्यूज डेस्क 

वॉशिंगटन: अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने रक्षा मंत्रालय पेंटागन को तुरंत परमाणु हथियारों की टेस्टिंग शुरू करने का आदेश दिया है। ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल’ पर लिखा,“दूसरे देशों की टेस्टिंग को देखते हुए मैंने डिपार्टमेंट ऑफ वॉर को निर्देश दिया है कि अमेरिका अपने परीक्षण जल्द शुरू करे। रूस और चीन के बराबर हमें भी तैयार रहना होगा।”

ट्रंप का यह कदम ऐसे समय आया है जब रूस और चीन लगातार नए परमाणु हथियारों की टेस्टिंग कर रहे हैं, जिससे अंतरराष्ट्रीय राजनीति में हलचल मच गई है।

32 साल बाद अमेरिका में परमाणु परीक्षण की तैयारी

अमेरिका ने आखिरी बार 23 सितंबर 1992 को नेवादा में परमाणु परीक्षण किया था। उसके बाद तत्कालीन राष्ट्रपति जॉर्ज एच.डब्ल्यू. बुश ने भूमिगत परमाणु परीक्षणों पर रोक लगा दी थी। ट्रंप के आदेश के बाद, अमेरिका तीन दशक से अधिक समय बाद फिर से न्यूक्लियर टेस्टिंग की राह पर लौट सकता है।

टाइमिंग पर उठे सवाल: चीन से मुलाकात के बाद आया आदेश

ट्रंप के इस फैसले की टाइमिंग को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। उन्होंने यह आदेश चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से दक्षिण कोरिया में मुलाकात के एक दिन बाद ही दिया है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह निर्णय रूस के हालिया परमाणु परीक्षणों के जवाब में लिया गया हो सकता है, पर इससे वैश्विक तनाव और बढ़ गया है।

रूस और चीन की परमाणु गतिविधियों से चिंतित ट्रंप

हाल ही में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अपने देश की परमाणु तैयारी का प्रदर्शन किया था। रूसी सेना ने ICBM यार्स, सिनेवा मिसाइल, और TU-95 बमवर्षक विमानों से क्रूज़ मिसाइल परीक्षण किए। ट्रंप ने उस समय कहा था —“पुतिन को मिसाइल टेस्ट करने के बजाय युद्ध खत्म करने पर ध्यान देना चाहिए।”

ट्रंप ने दावा किया कि अमेरिका के पास दुनिया में सबसे अधिक परमाणु हथियार हैं, जबकि ICAN (International Campaign to Abolish Nuclear Weapons) के अनुसार,

  • रूस के पास करीब 5,500 परमाणु वारहेड्स,

  • जबकि अमेरिका के पास लगभग 5,044 वारहेड्स हैं।

वैश्विक निरस्त्रीकरण पर मंडराया खतरा

ट्रंप के इस आदेश के बाद अंतरराष्ट्रीय समुदाय में चिंता बढ़ गई है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह कदम न्यूक्लियर नॉन-प्रोलिफरेशन ट्रीटी (NPT) के उल्लंघन के रूप में देखा जा सकता है, जिस पर अमेरिका ने 1992 में हस्ताक्षर किए थे।यह कदम वैश्विक निरस्त्रीकरण प्रयासों (Disarmament Efforts) को कमजोर कर सकता है।

IAEA और अमेरिकी नेताओं की प्रतिक्रिया

IAEA (अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी) ने चेतावनी दी है कि अगर अमेरिका ने परीक्षण फिर से शुरू किए,
तो यह नई परमाणु हथियारों की दौड़ को जन्म देगा। अमेरिकी सीनेटर एलिजाबेथ वॉरेन ने ट्रंप पर निशाना साधते हुए कहा —“ट्रंप परमाणु हथियारों को खिलौना बना रहे हैं।”विश्लेषकों का मानना है कि ट्रंप का यह कदम रूस और चीन के बढ़ते न्यूक्लियर प्रभाव का जवाब है, लेकिन इससे अंतरराष्ट्रीय शांति और स्थिरता पर गंभीर असर पड़ सकता है।

वैश्विक परिदृश्य पर असर

अमेरिका का यह कदम न केवल रूस और चीन, बल्कि उत्तर कोरिया और ईरान जैसे देशों की रणनीतियों को भी प्रभावित कर सकता है। यदि परमाणु परीक्षण फिर शुरू होते हैं, तो दुनिया एक बार फिर “न्यूक्लियर कोल्ड वॉर” की ओर बढ़ सकती है।

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डोनाल्ड ट्रंप का परमाणु परीक्षण शुरू करने का आदेश अमेरिका की विदेश नीति में बड़े बदलाव का संकेत है। जहाँ एक ओर यह कदम रूस और चीन के खिलाफ अमेरिका की सैन्य मजबूती दिखाता है, वहीं दूसरी ओर इससे वैश्विक शांति और निरस्त्रीकरण की दिशा में दशकों की मेहनत पर पानी फिर सकता है।

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