Monday - 30 June 2025 - 11:24 AM

‘ये अल्लाह के दुश्मन हैं’: ईरान में ट्रंप और नेतन्याहू के खिलाफ फतवा जारी

जुबिली स्पेशल डेस्क

ईरान के प्रमुख शिया धर्मगुरु ग्रैंड अयातुल्ला नासिर मकारेम शिराज़ी ने अमेरिका और इजरायल के नेताओं के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है। उन्होंने अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को लेकर एक धार्मिक फरमान (फतवा) जारी करते हुए उन्हें “ईश्वर का शत्रु” करार दिया है।

फतवे में दिया वैश्विक मुस्लिम एकता का संदेश

ईरान की समाचार एजेंसी मेहर के मुताबिक, अयातुल्ला शिराज़ी ने अपने फतवे में वैश्विक मुस्लिम समुदाय से एकजुट होने की अपील की है। उन्होंने कहा कि जो भी व्यक्ति या सरकार ईरान के धार्मिक नेतृत्व को धमकाने की कोशिश करेगा, उसे “मोहरेब” यानी ईश्वर के खिलाफ युद्ध छेड़ने वाला माना जाएगा।

‘मोहरेब’ की सज़ा बेहद कठोर

ईरानी इस्लामी कानून के तहत “मोहरेब” घोषित व्यक्ति को बेहद कठोर सज़ा दी जा सकती है। इसमें फांसी, अंग-भंग, सूली पर चढ़ाना या निर्वासन जैसी सजाएं शामिल हैं। इस श्रेणी में उन्हीं लोगों को शामिल किया जाता है, जो सीधे तौर पर इस्लामिक व्यवस्था और उसके सर्वोच्च धार्मिक नेतृत्व को चुनौती देते हैं।

फॉक्स न्यूज की रिपोर्ट से हुआ खुलासा

अमेरिकी मीडिया हाउस फॉक्स न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, यह फतवा ऐसे समय आया है जब पश्चिम एशिया में तनाव चरम पर है। ईरान और इजरायल के बीच बढ़ते संघर्ष और अमेरिका की सक्रियता को देखते हुए इस बयान को कूटनीतिक और धार्मिक दोनों ही नजरिए से बेहद अहम माना जा रहा है।

फतवे में कहा गया है कि “मुसलमानों या इस्लामी राज्यों द्वारा उस दुश्मन के लिए कोई भी सहयोग या समर्थन हराम या मना है। दुनिया भर के सभी मुसलमानों के लिए यह आवश्यक है कि वे इन दुश्मनों को उनके शब्दों और गलतियों पर पछतावा कराएं। “

इसके साथ ही फतवे में यह भी स्पष्ट किया गया है कि जो भी मुसलमान अपने धार्मिक कर्तव्यों का पालन करते हुए इस संघर्ष में शामिल होता है, और यदि उसे किसी प्रकार की कठिनाई या नुकसान का सामना करना पड़ता है, तो उसे “अल्लाह के मार्ग में एक सच्चे योद्धा” के रूप में सम्मानित किया जाएगा। यह संघर्ष धर्म और ईमान की रक्षा के लिए माना जाएगा।

ध्यान देने वाली बात यह है कि यह फतवा उस वक्त सामने आया है जब ईरान और इज़राइल के बीच चले 12 दिनों के खूनी टकराव के बाद हाल ही में युद्धविराम लागू किया गया है, जिसकी शुरुआत 13 जून से हुई थी। ऐसे में यह धार्मिक घोषणा एक नई राजनीतिक और वैचारिक बहस को जन्म दे रही है।

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