जुबिली न्यूज डेस्क
वेट लॉस और फैट लॉस ये दोनों ही बॉडी को स्लिम करने में मददगार होते हैं, लेकिन इनमें काफी अंतर होता है। वेट लॉस और फैट लॉस दोनों को लेकर कई लोग काफी कंफ्यूज रहते हैं। स्लिम होने के लिए वेट लॉस से ज्यादा जरूरी है फैट लॉस होना। वेट लॉस होने पर व्यक्ति स्लिम जरूर दिखता है लेकिन कई शारीरिक समस्याओं का भी सामना करना पड़ सकता है। फैट लॉस करने पर व्यक्ति हेल्दी और टोंड दिखाई देता है। वेट कम करने के लिए फैट को कम करना बेहद जरूरी माना जाता है। चलिए जानते हैं फैट लॉस और वेट लॉस में क्या अंतर है।

जानें क्या है वेट लॉस?
बता दे कि वेट लॉस करना यानी बॉडी से मसल्स, फैट और वॉटर वेट को कम करना होता है. बॉडी के लिए मसल्स बाइंडिंग एजेंट का काम करती हैं जो हेल्दी रखने के लिए जरूरी हैं। क्रैश डाइट और ग्लूटन फ्री डाइट से बॉडी का वेट तो कम हो जाता है लेकिन जरूरी मसल्स का भी लॉस होता है जो शरीर को मजबूती देने में काम आती हैं। नॉर्मल डाइट पर आते ही बॉडी का वेट फिर से बढ़ना शुरू हो जाता है। इसलिए स्लिम और टोंड बॉडी के लिए वेट लॉस नहीं बल्कि फैट लॉस टारगेट होना चाहिए।
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जानें क्या है फैट लॉस?
बॉडी के लीन मास को बर्न न करते हुए मसल्स गेन करना फैट लॉस कहलाता है। इसमें बॉडी के स्टोर्ड फैट को बर्न किया जाता है जिसे चर्बी कहते हैं। फैट को कम करने का सबसे अच्छा और आसान तरीका है कैलोरी डेफिसिट और हार्ड वर्कआउट। बॉडी फैट हर किसी का अलग होता है इसलिए उसे घटाने के लिए भी अलग-अलग तरीके अपनाएं जाते हैं। टोंड बॉडी के लिए बॉडी के एक्स्ट्रा फैट को कम किया जाना चाहिए न कि बॉडी वेट को।
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