प्रेमेन्द्र श्रीवास्तव तब देश आजाद नहीं हुआ था। 1941 में लौहार से लखनऊ आये श्री हरि नारायण टण्डन लखनऊ जू के मेन गेट पर चाट का खोमचा लगाने लगे। बनारसी बाग घूमने आने वाले कुछ देर यहां ठहर कर पेट पूजा किया करते थे। इतनी ब्रिकी हो जाती थी कि …
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