शबाहत हुसैन विजेता आप मरे हुए शख्स पर मुकदमा नहीं चला सकते. आप किसी मुर्दे से सवाल नहीं पूछ सकते. मर जाने के बाद न कोई ज़िम्मेदारी उठाई जाती है, न जवाबदेही रह जाती है. हिन्दुस्तान की अदालतें मुकदमों से दबी पड़ी हैं. लोअर कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक …
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राजनाथ सिंह ने महात्मा गांधी से की मोदी की तुलना, कहा-24 कैरेट का…
जुबिली न्यूज डेस्क देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी को 24 कैरेट का खरा सोना बताते हुए उनकी तुलना राष्ट्रपिता महात्मा गांधी से कर दी। राजनाथ सिंह ने कहा कि महात्मा गांधी के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ही एकमात्र …
Read More »राजनाथ पर ओवैसी का पलटवार, कहा- ये लोग सावरकर बना देंगे देश का राष्ट्रपिता
जुबिली न्यूज डेस्क केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के उस बयान पर एआईएमआईएम प्रमुख व सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने पलटवार किया है, जिसमें उन्होंने कहा है कि महात्मा गांधी के कहने पर सावरकर ने अंग्रेजों के सामने दया याचिका दाखिल की थी। राजनाथ सिंह के बयान पर हमला करते हुए …
Read More »डंके की चोट पर : सत्ता के लिए धर्म की ब्लैकमेलिंग कहां ले जाएगी ?
शबाहत हुसैन विजेता प्रश्न :- इस्लामी आतंकवाद से आप क्या समझते हैं ? उत्तर :- इस्लामी आतंकवाद इस्लाम का ही एक रूप है. जो विगत 20-30 वर्षों में अत्यधिक शक्तिशाली बन गया है. आतंकवादियों में किसी एक गुट विशेष के प्रति समर्पण का भाव नहीं होकर एक समुदाय विशेष के …
Read More »‘गोडसे ज्ञानशाला’ के विरोध पर हिंदू महासभा ने क्या कहा?
जुबिली न्यूज डेस्क मध्य प्रदेश में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को अक्सर देशभक्त बताने की कोशिश की जाती है। इस काम में हिंदू महासंगठन कुछ ज्यादा ही लगे रहते हैं। तीन दिन पहले ही अखिल भारतीय हिंदू महासभा ने अपने ग्वालियर ऑफिस में नाथूराम गोडसे को लेकर …
Read More »गांधी जी का चश्मा हासिल करने के लिए इस कलेक्टर ने दे दिए ढाई करोड़ रुपये
जुबिली न्यूज़ डेस्क नई दिल्ली. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को लेकर मौजूदा दौर चाहे जिस स्तर की टिप्पणियाँ की जा रही हों लेकिन दुनिया के सामने गांधी जी का क्या कद है इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि गांधी जी ने जिस चश्मे का इस्तेमाल …
Read More »अनियमितताओं के दावानल से निकलने के लिए करने होंगे भागीरथी प्रयास
डा. रवीन्द्र अरजरिया राजनीति में आदर्श, सिध्दान्त और मान्यतायें बदलते देर नहीं लगती। मंच से कोसने वालों को गले लगाने में भी इन्हें कोई झिझक नहीं होती। अवसरवादिता की जीती जागती परिभाषा गढ़ने में लगे यही दल, देश की तकदीर संवारने का दावा करते हैं, जो स्वयं के हितों के …
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