कुमार भवेश चंद्र अपने अतीत की यादों से गुजरना अपने ही जीवन की दूसरी यात्रा की तरह ही होता है…इसमें सुख है.. दुख है…खुशियां हैं और संताप भी। लेकिन जो भी है बेगाना या अनजाना नहीं बल्कि अपना सा है। एक छोटी सी पुस्तिका के रूप में सावित्री सिनहा की …
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