डॉ. श्रीश पाठक जाति तथ्य है। जातिवाद तथ्य है। अंतरजातीय विवाह की अस्वीकार्यता तथ्य है। पितृसत्तात्मकता तथ्य है। स्त्री का वस्तु समझा जाना और पुरुष का नियामक समझा जाना तथ्य है। एंथ्रोपोलॉजी एवं डीएनए तक की यात्रा हम मनुष्य कर चुके हैं, लेकिन जाति की माया से भी पुरजोर जकड़े …
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