
रूप तुम्हारा ऐसा जैसा
सूरजमुखी का फूल।
मुझे देख मुसकाये लेकिन
पल मे जाये भूल।
एक पलक के बदले तुमने
मुझे दिया उपहार,
पाते पाते खो भी डाला
क्षणिक तुम्हारा प्यार।
विकल मीन सा अब तडपूं
विरह बन गया शूल।
दीप जलाते पवन जल गया
मुसकाया अंधियार,
कहां तिमिर मे तुमको ढूंढू
मैने मानी हार।
योगी तुमने मुझे बनाया
अब तो मै बनफूल।

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