जुबिली न्यूज़ ब्यूरो
नई दिल्ली. मुम्बई हमले का मास्टरमाइंड और आतंकी संगठन जमात-उद-दावा का सरगना हाफ़िज़ सईद की बाक़ी की ज़िन्दगी जेल में कटेगी. उसे पाकिस्तान की एंटी टेरर कोर्ट ने 31 साल की सजा सुनाई है. साथ ही उस पर तीन लाख 40 हज़ार रुपये का जुर्माना भी लगाया है. हाफ़िज़ सईद को 2008 में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद आतंकवादी के रूप में सूचीबद्ध कर चुकी है. अमरीका उसे वैश्विक आतंकी घोषित करते हुए उस पर एक करोड़ डालर का इनाम घोषित कर चुका है लेकिन वह पाकिस्तान में नेता की तरह से खुलेआम घूमता-फिरता है और सार्वजनिक सभाओं को संबोधित करता है.
मुम्बई हमले के बाद से हाफ़िज़ सईद भारत में मोस्ट वांटेड आतंकी के रूप रजिस्टर्ड है. भारत में उसका संगठन भी आतंकी संगठन के रूप में प्रतिबंधित है. जमात-उद-दावा का मुखिया हाफ़िज़ आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैय्यबा के साथ मिलकर आतंकी गतिविधियों को अंजाम देता रहा है. भारत में एनआईए कोर्ट ने टेरर फंडिंग मामले में हाफ़िज़ सईद के खिलाफ आरोप तय किये हैं.

भारत की तरह से जमात-उद-दावा पाकिस्तान में भी प्रतिबंधित संगठन है लेकिन हाफ़िज़ सईद की गतिविधियों पर पाकिस्तान सरकार ज़रा सा भी अंकुश नहीं लगा पाई है. वह खुलेआम लोगों को जेहाद के लिए उकसाता है. वह जेहाद के लिए पैसे जुटा लेता है. मुम्बई हमले के बाद जब पूरी दुनिया के सामने हाफ़िज़ सईद का चेहरा लोगों के सामने आ गया था तब मजबूर पाकिस्तान ने उसे नज़रबंद कर दिया था लेकिन छह महीने से भी कम वक्त में वह फिर से अपने पुराने रास्ते पर चलता हुआ दिखाई देने लगा. पाकिस्तान की अदालतों से वह कई बार जेल भिजवाया गया है लेकिन उसके लम्बे हाथ उसे बहुत ज्यादा समय तक जेल में रहने नहीं देते हैं. इस बार भी उसे एंटी टेरर कोर्ट ने 31 साल की सजा सुनाई है. वह कितने दिन जेल में रहेगा यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा.
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