जुबिली न्यूज डेस्क
लखनऊ – उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में जमीन की कीमतें आसमान छू रही हैं। गोमतीनगर अब शहर की सबसे महंगी कॉलोनी बन गई है, जहां जमीन का प्रस्तावित सर्किल रेट 33,000 से 77,000 रुपये प्रति वर्ग मीटर तक पहुंच चुका है। इसके बाद महानगर और इंदिरा नगर क्रमशः दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं।
शासन ने शहर की 26 प्रमुख कॉलोनियों के लिए नए सर्किल रेट जारी किए हैं, जिनमें 25% तक की वृद्धि दर्ज की गई है।
कहां सबसे ज्यादा सर्किल रेट?
कॉलोनी का नाम | न्यूनतम सर्किल रेट | अधिकतम सर्किल रेट |
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गोमतीनगर | ₹33,000 | ₹77,000 |
महानगर | ₹41,000 | ₹65,000 |
इंदिरा नगर | ₹35,000 | ₹62,000 |
अधिकारियों का कहना है कि प्राइवेट बिल्डर लगातार ऊंची कीमतों पर प्रॉपर्टी बेच रहे थे, जबकि सर्किल रेट काफी कम था। इस अंतर को कम करने के लिए रेट बढ़ाए गए हैं, जिससे राजस्व में भी बढ़ोतरी होगी।
कहां सबसे सस्ती जमीन?
कॉलोनी का नाम | न्यूनतम सर्किल रेट | अधिकतम सर्किल रेट |
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अनंत नगर योजना | ₹15,000 | ₹18,000 |
संतुष्टि एंक्लेव | ₹7,000 | ₹10,000 |
बड़े प्रोजेक्ट्स में रेट में उछाल
शहर के प्रमुख प्रोजेक्ट्स जैसे अंसल और एमार में पहले सर्किल रेट ₹18,000 प्रति वर्ग मीटर था, जिसे अब बढ़ाकर ₹50,000 प्रति वर्ग मीटर कर दिया गया है। इन प्रोजेक्ट्स में जमीन और प्लॉट की बिक्री उच्च मूल्य पर होने से यह निर्णय लिया गया है।
महंगी सड़कें और उनसे जुड़े इलाके
लखनऊ की 77 प्रमुख सड़कों के आसपास के क्षेत्रों में भी सर्किल रेट तय कर दिए गए हैं। इनमें से कुछ सड़कें अब सबसे बेशकीमती लोकेशन बन गई हैं:
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विराजखंड रोड (गोमतीनगर) – ₹70,000/मीटर (फ्लाईओवर से पिकप भवन चौराहा तक)
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अंबेडकर चौराहा से हुसड़िया चौराहा – ₹70,000/मीटर
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पॉलिटेक्निक से बाराबंकी चौराहा (लखनऊ-फैजाबाद रोड) – ₹66,000/मीटर
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सीएमएस स्कूल, जनेश्वर मिश्रा पार्क, चिनहट-मल्हौर मार्ग – ₹50,000 से ₹55,000/मीटर तक
क्या होगा असर?
प्रॉपर्टी बाजार में पारदर्शिता और मूल्य का संतुलन बढ़ेगा
रजिस्ट्री शुल्क बढ़ेगा, जिससे राजस्व में इजाफा होगा
प्रॉपर्टी टैक्स और लोन वैल्यूएशन में बदलाव संभव
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लखनऊ की रियल एस्टेट मार्केट अब नए दौर में प्रवेश कर चुकी है। जहां एक ओर गोमतीनगर जैसी हाई-डिमांड कॉलोनियों में जमीन की कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई हैं, वहीं दूसरी ओर सस्ती कॉलोनियों में अभी भी आम आदमी के लिए खरीद का मौका है। नए सर्किल रेट से न केवल प्रॉपर्टी का बाजार संतुलित होगा, बल्कि सरकारी खजाने को भी मजबूती मिलेगी।