न्यूज डेस्क
मुलायम परिवार में भाई, चाचा और भतीजे सभी अपना अपना राग अलाप रहे है। पिछले लगभग तीन साल से मुलायम का परिवार वैसे ही टूट गया जैसे उनकी समाजवादी पार्टी टूटी। सुलह की तमाम कोशिशें मुलायम सिंह ने की परन्तु उनकी अब परिवार में नहीं चलती है। अब परिवार के असली मुखिया उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव हैं जो अपनी राजनैतिक विरासत बचाने के लिए चाचा शिवपाल से लगातार दूरी बनाये हुए है।
दूसरे चाचा राम गोपाल यादव चूंकि अखिलेश के ही तरफ है इसीलिए वह बीच बीच में अखिलेश और शिवपाल के बीच चल रहे मन मुटाव को और बढ़ावा देते रहते है।
मुलायम सिंह यादव समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष पद से हटाये जाने के बाद से पार्टी में अलग थलग पड़ गये है। उनकी दूसरी समस्या पुत्रमोह है। इसके चलते वह शिवपाल की सुनने को तैयार नहीं है। ऐसे में शिवपाल के पास भी अपनी अलग हैसियत बनाये रखने का प्रयास करने के अलावा कोई चारा नहीं नहीं है। यह बात अलग है कि शिवपाल सिंह ने अपनी अलग पार्टी बनाकर कोई कमाल नहीं किया पर उनके पास दूसरा कोई विकल्प ही नहीं है।
समाजवादी पार्टी ने जब शिवपाल यादव की विधानसभा सदस्यता रद्द करवाने की पहल शुरू कर दी तो ये बात अब बिलकुल साफ़ हो गयी है कि परिवार में एका की सारी संभावनाएं समाप्त हो गयी है। सार्वजनिक रूप से ये लोग भले ही एका की संभावनाओं का संकेत देते रहें पर जनता सब समझती है। नेता की अपनी मजबूरी होती है।
इसीलिए शुक्रवार को शिवपाल सिंह यादव ने मैनपुरी में पत्रकारों के एक सवाल के जवाब में कह दिया कि उनकी तरफ से सुलह की संभावनाएं बनी हुई है और साथ ही ये आरोप भी जड़ दिया कि कुछ षड्यंत्रकारी सुलह नहीं होने देना चाहते। संभवतः उनका इशारा रामगोपाल यादव की तरफ रहा होगा।
बता दें कि चार दिन पहले नवोदय विद्यालय की एक छात्रा की रेप के बाद हत्या कर दी गई थी। पीड़ित परिजन से मिलने शिवपाल शुक्रवार को उनके घर पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने पीड़ित परिवार की हर संभव मदद करने का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि परिवार कि मांग है कि इस मामले की सीबीआई जांच कराई जाए।
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