Sunday - 7 January 2024 - 11:38 AM

विवादों में आया सीरम इंस्टीट्यूट का कोरोना वैक्सीन ट्रायल

जुबिली न्यूज डेस्क

पूरी दुनिया कोरोना वैक्सीन का बेसब्री से इंतजार कर रही है। दुनिया के कई देशों में कई नामी-गिरामी कंपनियों के कोरोना वैक्सीन का ट्रायल चल रहा है। उम्मीद जतायी जा रही है कि अगले साल के शुरुआत में कोरोना वैक्सीन लोगों को मिल जायेगी।

भारत में भी कई कोरोना वैक्सीन का अंतिम ट्रायल चल रहा है। दुनिया का सबसे बड़ी वैक्सीन निर्माता कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट के वैक्सीन कोवीशील्ड का भी ट्रायल चल रहा है।

दो दिन पहले ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी वैक्सीन के बारे में जानकारी लेने सीरम इंस्टीट्यूट गए थे। लेकिन इसके बाद ही इस कंपनी का कोरोना वैक्सीन ट्रायल विवादों में आ गया है, जो निश्चित ही वैक्सीन को लेकर अच्छी खबर नहीं है।

 

सीरम इंस्टीट्यूट के कोवीशील्ड वैक्सीन ट्रायल में शामिल हुए एक व्यक्ति ने गंभीर दुष्प्रभावों का दावा किया है। उस व्यक्ति ने पांच करोड़ रुपए हर्जाना मांगा है, तो इंस्टीट्यूट ने भी तुरंत इसका विरोध किया और दावा करने वाले व्यक्ति के खिलाफ 100 करोड़ रुपयों की मानहानि का मुकदमा दायर कर दिया।

कोरोना वायरस महामारी की वैक्सीन के उम्मीदवारों में से कोवीशील्ड को सबसे आशाजनक माना जा रहा है, लेकिन यह वैक्सीन दूसरी बार इस तरह के विवादों में फंसी है।

इसके पहले सितंबर में ऐस्ट्राजेनेका ने कई देशों में हो रहे वैक्सीन के ट्रायल को रोक दिया था क्योंकि ट्रायल में शामिल एक व्यक्ति में “रहस्मयी बीमारी” देखी गई थी।

उस समय भारत में भी ड्रग्स कंट्रोलर ने सीरम इंस्ट्यूट को ट्रायल को रोकने का आदेश दे दिया था, लेकिन कुछ ही दिनों में इस आदेश को हटा दिया गया और इंस्टीट्यूट ने ट्रायल फिर शुरू कर दिया।

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मीडिया में आई खबरों के मुताबिक कोरोना वैैक्सीन के दुष्प्रभाव का दावा करने वाला व्यक्ति चेन्नई में रहने वाला एक बिजनेस कंसल्टेंट है। वो वैक्सीन के ट्रायल के तीसरे चरण में शामिल हुआ था। एक अक्टूबर को उसे चेन्नई के श्री रामचंद्रा इंस्टीट्यूट ऑफ हायर एजुकेशन एंड रिसर्च में वैक्सीन की एक खुराक दी गई थी।

उस व्यक्ति की ओर से उसके परिवार ने दावा किया है कि वैैक्सीन की खुराक दिए जाने के 10 दिन के बाद ही उसकी तबीयत काफी खराब हो गई थी जिसके बाद उसे अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ा। पीडि़त व्यक्ति करीब 20 दिन अस्पताल में रहा जिस दौरान उसे भारी सिर दर्द, उल्टियां आना, लोगों को ना पहचान पाना और परिवर्तित मानसिक अवस्था में रहने जैसी शिकायतें रहीं।

पीडि़त के परिजनों का दावा है कि उसकी हालत अभी भी स्थिर नहीं है, उसे भारी मूड स्विंग होते हैं, चीजों को समझने और ध्यान लगाने में दिक्कत होती है और वो रोज के सरल से सरल काम भी नहीं कर पाते।

उस व्यक्ति की ओर से उसके परिवार ने एक लॉ फर्म के जरिए सीरम इंस्टीट्यूट को कानूनी नोटिस भेजा है और उसकी इस हालात के लिए वैक्सीन के ट्रायल को जिम्मेदार ठहराया है।

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मालूम हो कि कोवीशील्ड ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय, ब्रिटिश-स्वीडिश कंपनी एस्ट्राजेनेका और सीरम इंस्टीट्यूट द्वारा साझेदारी में विकसित की जा रही है।

यह कानूनी नोटिस सीरम के अलावा आईसीएमआर के डायरेक्टर जनरल, ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया, सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल आर्गेनाईजेशन, एस्ट्राजेनेका कंपनी के सीईओ, ट्रायल के मुख्य इन्वेस्टिगेटर प्रोफेसर एंड्रू पोलार्ड और श्री रामचंद्रा इंस्टीट्यूट के उप-कुलपति को भी भेजा गया है।

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नोटिस में हर्जाने के अलावा यह मांग भी की गई है कि वैक्सीन के ट्रायल, उत्पादन और वितरण पर तुरंत रोक लगा दी जाए। पीडि़त व्यक्ति ने यह भी आरोप लगाया है कि सीरम इंस्टिट्यूट, ऑक्सफोर्ड, आईसीएआर और ड्रग्स कंट्रोलर में से किसी ने भी खुराक देने के बाद उनकी हालत जानने की कोशिश नहीं की और उनके द्वारा सबको इन दुष्प्रभावों के बारे में अवगत कराने के बावजूद उन्होंने ना ट्रायल को रोका और ना इस जानकारी को सार्वजनिक किया।

वहीं ड्रग्स कंट्रोलर और आईसीएमआर अब इन दावों की जांच कर रहे हैं।

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