जुबिली न्यूज़ ब्यूरो
लखनऊ. राजस्व विभाग की फाइलों में 20 साल पहले ही मर चुका संतोष मूरत सिंह वाराणसी से विधानसभा चुनाव लड़ने वाला था लेकिन शपथपत्र में कुछ कमी की वजह से उसका पर्चा रद्द कर दिया गया. नामांकन रद्द होने के बाद वाराणसी कलेक्ट्रेट में संतोष ने हाईवोल्टेज ड्रामा किया. उसने एडीएम गुलाबचन्द्र के पैर पकड़कर न्याय मांगा. बात फिर भी नहीं बनी तो वह पुलिस की जीप के आगे बैठकर नारेबाजी करने लगा. पुलिस ने उसे शान्ति भंग के आरोप में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. मगर संतोष जेल जाते हुए खुश नज़र आया क्योंकि अब वह आसानी से यह साबित कर पाएगा कि वह जिन्दा है.

संतोष मूरत सिंह को राजस्व रिकार्ड में मृत घोषित कर दिया गया है. उसकी ज़मीन पर पट्टेदारों का कब्ज़ा है. वह लगातार यह साबित करने की कोशिश में जुटा है कि वह जिन्दा है लेकिन व्यवस्था में कोई यह मानने को तैयार ही नहीं है. इसी वजह से वह अपनी ज़मीन पर कब्ज़ा नहीं ले पा रहा है.
खुद को जीवित साबित करने के लिए चुनाव लड़ रहे संतोष ने आरोप लगाया कि साजिशन उसका नामांकन रद्द कराया गया क्योंकि लोगों को डर था कि वह चुनाव जीत जायेगा. संतोष का कहना है कि उसके पास वोटर आईडी कार्ड है. आधार कार्ड है मगर राजस्व विभाग उसे जिन्दा मानने को ही तैयार नहीं है. वाराणसी के चौबेपुर के छितौनी गाँव के रहने वाले संतोष 2012 से चुनाव लड़ते आ रहे हैं. उनका मकसद सिर्फ यह साबित करना है कि वह जिन्दा हैं और उनकी कब्ज़ा की गई ज़मीन उन्हें वापस मिल जाए. पुलिस ने अब उन्हें शान्ति भंग के आरोप में जेल भेजा है तो वह खुश हैं कि शायद इस मुकदमे की वजह से उनके जिन्दा होने का सबूत मिल जाए.
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