Tuesday - 23 January 2024 - 7:13 PM

क्या हिंदुत्व का नया चेहरा हैं साध्वी प्रज्ञा

‘देश का दिल’  कहे जाने वाले मध्‍य प्रदेश की राजधानी भोपाल से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने अपने भगवा चेहरे साध्‍वी प्रज्ञा ठाकुर को उम्‍मीदवार बनाया है। वहीं, कांग्रेस के दिग्‍गज नेता और 10 साल तक राज्‍य के मुख्‍यमंत्री रहे दिग्विजय सिंह कांग्रेस टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं।

कट्टर हिंदू छवि वाली साध्‍वी प्रज्ञा ठाकुर वर्ष 2008 में हुए मालेगांव ब्लास्ट में आरोपी रह चुकी हैं और उन्‍हें दिग्विजय सिंह का धुर विरोधी माना जाता है। जबसे साध्‍वी को टिकट मिला है तबसे वो अपने बयानों की वजह से सुर्ख़ियों में बनी हुई हैं।

हिंदुत्व के मुद्दे को हवा देने की कोशिश

दिग्विजय को बीजेपी और संघ हिंदू विरोधी चेहरे के प्रतीक के रूप में पेश करते रहे हैं। यूपीए सरकार के दौरान वे हिंदू आतंकवाद की बात करने वालों में वे सबसे मुखर नेताओं में एक थे। साध्‍वी को उनके खिलाफ खड़ा करके बीजेपी ने हिंदुत्व के मुद्दे को फिर से हवा देने की कोशिश की है।

प्रतीकात्मक मुद्दे को समझने की जरूरत

2008 के मालेगांव ब्लास्ट में आरोपी साध्वी प्रज्ञा को उन्होंने हिंदुत्व के चेहरे के रूप में पेश किया था। साध्वी प्रज्ञा को बीजेपी हमेशा हिंदू उपेक्षा और अल्पसंख्यक वाली राजनीति के शिकार के प्रतीक के रूप में पेश करती रही है।

भोपाल सीट का चुनाव महज एक संसदीय सीट का चुनाव भर नहीं रहेगा, बल्कि दोनों पक्षों के लिए यह लड़ाई विचारधारा और उसे साबित करने की हो गई है। ठीक उसी तरह जैसे बेगूसराय सीट पर बीजेपी के गिरिराज सिंह और लेफ्ट के कन्हैया कुमार की लड़ाई राष्ट्रवाद के मुद्दे पर प्रतीकात्मक लड़ाई बन गई। बीजेपी यहां साध्वी प्रज्ञा हिन्दुत्व के चेहरे के रुप में पेश कर रही है।

जेल में बंद साध्वी प्रज्ञा को मिली प्रताड़ता को हिंदू विचारधारा के प्रताड़ना के रूप में पेश किया गया। जाहिर है इन दो प्रतीकों की लड़ाई अब महज एक सीट भर की नहीं रहेगी। यहां जो भी चुनाव परिणाम होगा उसके बड़े मायने निकलेंगे। कांग्रेस चाहेगी कि प्रतीक की लड़ाई होने के बाद भी इस मुद्दे पर चुनाव नहीं हो। कांग्रेस का तर्क है कि साध्वी प्रज्ञा जैसे आरोपी को टिकट देने से बीजेपी की चाल बैकफायर करेगी और इससे बेहतर संदेश नहीं जाएगा।

साध्‍वी जिस प्रकार लोकसभा चुनाव के बीच राम मंदिर मुद्दे के हवा दे रही हैं उससे समझा सकता है कि बीजेपी विकास के मॉडल को छोड़कर वापस हिंदुत्‍व के मुद्दे पर ही चुनाव लड़ रही है।

बता दें कि प्रज्ञा ठाकुर ने चुनाव प्रचार के दौरान बयान दिया है कि वह न सिर्फ बाबरी मस्जिद के ऊपर चढ़ी थीं बल्कि उसे गिराने में भी मदद की थी। उन्‍होंने कहा कि,

‘राम मंदिर निश्चित रूप से बनाया जाएगा। यह एक भव्य मंदिर होगा। हम मंदिर का निर्माण करेंगे। आखिरकार, हम ढांचा (बाबरी मस्जिद) को ध्वस्त करने के लिए भी तो गए थे। मैंने ढांचे पर चढ़कर तोड़ा था। मुझे गर्व है कि ईश्वर ने मुझे अवसर दिया और शक्ति दी और मैंने यह काम कर दिया। अब वहीं राम मंदिर बनाएंगे।‘

2014 लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी ने नरेंद्र मोदी के रूप अपने हिंदुत्‍वादी चेहरे को मैदान में उतारा था, जिसके बाद उसे बड़ी कामयाबी मिली थी। लाल कृष्‍ण आडवाणी के सक्रिय राजनीति  से दूर होने के बाद और नरेंद्र मोदी व योगी आदित्‍यनाथ के संवैधानिक पद होने के बाद बीजेपी किसी हार्ड कोर हिंदू वादी नेता की तलाशी थी, साध्‍वी प्रज्ञा के रूप में बीजेपी को वो चेहरा मिल गया है, जो हिंदुत्‍व के मुद्दे पर खुल के बोल सके।

सत्ता के सफर पर हिंदुत्व की प्रचारक

प्रचारक से बीजेपी नेता बनने के सफर में साध्‍वी ने बहुत उतार चढ़ाव देखे हैं। यहां तक पहुंचने से पहले उन्हें ‘हिंदू आतंकवादी’ होने का दंश झेलना पड़ा। साध्वी प्रज्ञा ठाकुर पहली बार तब चर्चा में आईं, जब वर्ष 2008 के मालेगांव ब्लास्ट केस में उन्हें गिरफ्तार किया गया था। वह 9 साल तक जेल में रहीं और फिलहाल जमानत पर बाहर हैं। बाहर आने के बाद साध्वी ने कहा था कि उन्हें लगातार यातनाएं दी गई थीं। प्रज्ञा ठाकुर मालेगांव ब्लास्ट केस में आज भी अभियुक्त हैं।

कौन है साध्वी प्रज्ञा

साध्वी प्रज्ञा का पूरा नाम प्रज्ञा सिंह ठाकुर है। मध्य प्रदेश के भिंड ज़िले के कछवाहा गांव में जन्मीं प्रज्ञा सिंह राजावत राजपूत हैं। उनके पिता आरएसएस के स्वयंसेवक और पेशे से आयुर्वेदिक डॉक्टर थे। इतिहास में पोस्ट ग्रेजुएट प्रज्ञा हमेशा से ही हिंदू संगठनों से जुड़ी रहीं। वे राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की छात्र इकाई अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की सक्रिय सदस्य थीं और विश्व हिन्दू परिषद की महिला विंग दुर्गा वाहिनी से जुड़ी थीं।

2002 में उन्होंने जय वंदे मातरम जन कल्याण समिति बनाई। स्वामी अवधेशानंद गिरि के संपर्क में आने के बाद प्रज्ञा नए अवतार में नजर आईं। उन्होंने एक राष्ट्रीय जागरण मंच बनाया और इस दौरान वह एमपी और गुजरात के एक शहर से दूसरे शहर जाती रहीं।

हिंदुत्व से मिला वर्चस्व

साध्वी का भाषण ऐसा होता था कि वह सभी को बांधे रखती थीं। शुरुआत में उनके भाषण का असर भोपाल, देवास, इंदौर और जबलपुर तक ही सीमित रहा। बाद में अचानक उन्होंने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद छोड़ दी और वह साध्वी बन गईं। गांव-गांव जाकर हिंदुत्व का प्रचार करने लगीं। उन्होंने अपनी कार्यस्थली सूरत को बनाया और वहीं पर एक आश्रम भी बनवाया। हिंदुत्व के प्रचार के कारण वह बीजेपी के नेताओं को प्रभावित करने लगीं और राजनीति में उनका वर्चस्व बढ़ता गया।

बनीं आचार्य महामंडलेश्वर

साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को इस साल प्रयागराज कुंभ के दौरान भारत भक्ति अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्वर बनाया गया है।

मालेगांव ब्लास्ट मामला

महाराष्ट्र के मालेगांव में अंजुमन चौक और भीकू चौक के बीच शकील गुड्स ट्रांसपोर्ट के सामने 29 सितंबर 2008 की रात 9.35 बजे बम धमाका हुआ था, जिसमें छह लोग मारे गए और 101 लोग घायल हुए थे। इस धमाके में एक मोटरसाइकिल इस्तेमाल की गई थी।

एनआईए की रिपोर्ट के मुताबिक यह मोटरसाइकिल प्रज्ञा ठाकुर के नाम पर थी। महाराष्ट्र एटीएस ने हेमंत करकरे के नेतृत्व में इसकी जांच की और इस नतीजे पर पहुँची कि उस मोटरसाइकिल के तार गुजरात के सूरत और अंत में प्रज्ञा ठाकुर से जुड़े थे।

पुलिस ने पुणे, नासिक, भोपाल इंदौर में जांच की। सेना के एक अधिकारी कर्नल प्रसाद पुरोहित और सेवानिवृत मेजर रमेश उपाध्याय को भी गिरफ़्तार किया गया। इसमें हिंदूवादी संगठन अभिनव भारत का नाम सामने आया और साथ ही सुधाकर द्विवेदी उर्फ़ दयानंद पांडेय का नाम भी आया।

मोटरसाइकिल से प्रज्ञा का कनेक्शन

एटीएस चार्जशीट के मुताबिक प्रज्ञा ठाकुर के ख़िलाफ़ सबसे बड़ा सबूत मोटरसाइकिल उनके नाम पर होना था। इसके बाद प्रज्ञा को गिरफ़्तार किया गया। उन पर महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण क़ानून (मकोका) लगाया गया। चार्जशीट के मुताबिक जांचकर्ताओं को मेजर रमेश उपाध्याय और लेफ़्टिनेंट कर्नल पुरोहित के बीच एक बातचीत पकड़ में आई, जिसमें मालेगांव धमाके मामले में प्रज्ञा ठाकुर के किरदार का ज़िक्र था।

मामले की शुरुआती जांच महाराष्ट्र आतंकवाद निरोधक दस्ते ने की थी, जिसे बाद में एनआईए को सौंप दी गई थी। एनआईए की चार्जशीट में उनका नाम भी डाला गया। मालेगांव ब्लास्ट की जांच में सबसे पहले 2009 और 2011 में महाराष्ट्र एटीएस ने स्पेशल मकोका कोर्ट में दाखिल अपनी चार्जशीट में 14 अभियुक्तों के नाम दर्ज किये थे। एनआईए ने जब मई 2016 में अपनी अंतिम रिपोर्ट दी तो उसमें 10 अभियुक्तों के नाम थे।

इस चार्जशीट में प्रज्ञा सिंह को दोषमुक्त बताया गया। साध्‍वी प्रज्ञा पर लगा मकोका (MCOCA) हटा लिया गया और कहा गया कि प्रज्ञा ठाकुर पर करकरे की जांच असंगत थी। इसमें लिखा गया कि जिस मोटरसाइकिल का ज़िक्र चार्जशीट में था वो प्रज्ञा के नाम पर थी, लेकिन मालेगांव धमाके के दो साल पहले से कलसांगरा इसे इस्तेमाल कर रहे थे।

चिदंबरम, दिग्विजय पर फंसाने का आरोप

हालांकि, इस चार्जशीट के बाद एनआईए कोर्ट ने प्रज्ञा को जमानत तो दे दी लेकिन उन्हें दोषमुक्त नहीं माना और दिसंबर 2017 में दिए अपने आदेश में उसने कहा कि प्रज्ञा और पुरोहित पर यूएपीए (अनलॉफ़ुल एक्टिविटीज़ प्रीवेंशन एक्ट) के तहत मुकदमा चलता रहेगा। इसी आदेश में साध्वी प्रज्ञा और कर्नल पुरोहित पर से मकोका (महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण क़ानून) हटा लिया गया।

साध्वी प्रज्ञा और कर्नल पुरोहित समेत सात अभियुक्तों पर अब भी चरमपंथ के ख़िलाफ़ बनाए गए क़ानून यूएपीए की धारा 16 और 18, आईपीसी की धारा 120बी (आपराधिक साज़िश), 302 (हत्या), 307 (हत्या की कोशिश) और 326 (इरादतन किसी को नुकसान पहुंचाना) के तहत मामला चल रहा है। प्रज्ञा ठाकुर फिलहाल जमानत पर बाहर हैं। वो तत्कालीन गृह मंत्री पी चिदंबरम और कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह पर उन्हें झूठे मामले में फंसाने का आरोप लगाती हैं।

समझौता ब्लास्ट के अभियुक्त की हत्या में था नाम

प्रज्ञा ठाकुर के ख़िलाफ़ समझौता एक्सप्रेस विस्फोट मामले के अभियुक्त सुनील जोशी की हत्या का आरोप भी लगा था। जोशी की 29 दिसंबर 2007 को हत्या कर दी गई थी। 2007 में सुनील जोशी आरएसएस प्रचारक भी थे। इस मामले में फ़रवरी 2011 में प्रज्ञा की गिरफ़्तारी भी की गई थी।

हालांकि, 2017 में मध्‍य प्रदेश के देवास कोर्ट ने प्रज्ञा को सुनील जोशी हत्‍याकांड से बरी कर दिया था। बता दें कि दिल्ली और लाहौर के बीच दौड़ने वाली समझौता एक्सप्रेस में 18 फ़रवरी 2007 को हरियाणा में पानीपत के समीप धमाका हुआ था, जिसमें कम से कम 68 लोग मारे गए थे।

अजमेर दरगाह ब्लास्ट

अजमेर दरगाह ब्लास्ट मामले में भी प्रज्ञा ठाकुर का नाम आया था, लेकिन अप्रैल 2017 में एनआईए ने प्रज्ञा ठाकुर, आरएसएस नेता इंद्रेश कुमार और दो अन्य के ख़िलाफ़ राजस्थान के स्पेशल कोर्ट में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी।

 

 

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