जुबिली न्यूज डेस्क
नई दिल्ली, — भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं और भू-राजनीतिक तनावों के मद्देनजर बेहद सतर्क रुख अपनाया है। मौद्रिक नीति समिति (MPC) की 4 से 6 अगस्त के बीच हुई बैठक के ब्यौरे के अनुसार, सभी छह सदस्यों ने सर्वसम्मति से प्रमुख नीतिगत दर रेपो रेट को 5.5% पर यथावत रखने का निर्णय लिया।
गवर्नर का बयान: “सतर्क लेकिन आश्वस्त”
आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बैठक में कहा,“कुल मिलाकर हमारी अर्थव्यवस्था मजबूती, स्थिरता और अवसर की तस्वीर पेश करती है। भारत की मजबूत आर्थिक स्थिति, विकासोन्मुखी नीतियां और रणनीतिक दूरदर्शिता देश को एक सुरक्षित स्थिति में रखती हैं।”
हालांकि उन्होंने आगाह किया कि टैरिफ, वैश्विक बाजारों में अस्थिरता और मुद्रास्फीति जैसे कारकों पर करीबी निगरानी की जरूरत है। उन्होंने कहा कि निकट भविष्य में मुद्रास्फीति में हल्की बढ़ोतरी संभव है, हालांकि फिलहाल खाद्य कीमतों में नरमी के कारण स्थिति नियंत्रित दिख रही है।
नीतिगत दरों में बदलाव की जरूरत नहीं: समिति के सदस्य
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डिप्टी गवर्नर पूनम गुप्ता ने कहा कि घरेलू अर्थव्यवस्था की मजबूती और वैश्विक परिदृश्य को देखते हुए इस समय दरों में कटौती की कोई आवश्यकता नहीं है।
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राजीव रंजन, कार्यकारी निदेशक, ने कहा कि सरकारी खर्च, ग्रामीण मांग और सेवा क्षेत्र अर्थव्यवस्था की रीढ़ बने हुए हैं, हालांकि औद्योगिक क्षेत्र में कुछ अस्थिरता देखी जा रही है।
मुख्य बिंदु:
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रेपो रेट 5.5% पर बरकरार
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मुद्रास्फीति फिलहाल नियंत्रित, लेकिन जोखिम बरकरार
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वैश्विक टैरिफ और भू-राजनीतिक तनावों को लेकर RBI सतर्क
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नीतिगत दर में बदलाव फिलहाल टाला गया, लेकिन भविष्य में हालात के आधार पर पुनर्विचार संभव
RBI की मौजूदा रणनीति ‘रुको और देखो’ (wait-and-watch) की नीति को दर्शाती है, जिसमें न तो जल्दबाज़ी है और न ही लापरवाही। वैश्विक अनिश्चितताओं, टैरिफ नीतियों और मुद्रास्फीति के संभावित जोखिमों के बीच RBI ने विकास और स्थिरता के बीच संतुलन साधने की कोशिश की है। अब सबकी निगाहें आगामी महीनों पर टिकी हैं — क्या वैश्विक हालात सुधरेंगे या RBI को एक और चुनौती का सामना करना होगा?