Monday - 8 January 2024 - 7:09 PM

अखिलेश सरकार के अधूरे पुल से बीजेपी कैसे पूरा करेगी अपना सपना

 

जुबिली न्‍यूज डेस्‍क

उत्तर प्रदेश की आठ विधानसभा क्षेत्र में होने वाले उपचुनाव से पहले सूबे की सियासत गरमा गई है। इन सभी सीटों पर सत्ता पक्ष के साथ-साथ विपक्ष को भी परीक्षा देनी होगी। ये उप चुनाव सभी दलों के लिए महत्वपूर्ण हैं। इन चुनावों में मिली हार या जीत राजनीतिक दलों की जमीनी हकीकत बतायेगी कि किस पर जनता का विश्वास बढ़ा है या घटा है।

2022 के सेमीफाइनल के तौर पर देखे जा रहे आठ सीटों के उपचुनाव में वेस्ट यूपी की चार सीटों पर फतह के लिए सीएम योगी आदित्यनाथ ने अपने योद्धाओं को मैदान में उतार दिया है। सरकार ने उपचुपनाव वाले जिलों के लिए खजाने का मुंह भी फिलहाल खोल दिया है। इतना ही नहीं जनता का दिल जीतने के लिए सभी आठ विधानसभा क्षेत्रों में 24 घंटे बिजली देने का निर्देश भी दिया है।

यह भी पढ़े: राफेल डील पर CAG ने ही खड़े किए सवाल, अब क्या करेगी सरकार ?

वैसे तो सभी आठ सीटों पर चुनाली हलचल तेज हो गई है लेकिन कानूनी शिकंजे में फंसे यूपी के पूर्व कैबिनेट मंत्री और सांसद आजम खां के बेटे अब्दुल्ला आजम खां की विधानसभा सदस्यता खत्म होने के बाद खाली हुई स्वार विधानसभा सीट पर सियासी पारा सबसे ज्‍यादा चढ़ा हुआ है।

रामपुर की स्‍वार सीट बीजेपी और समाजवादी पार्टी की लिए नाक की लड़ाई बन गई है। समाजवादी पार्टी अपने रामपुर के अभेद्य किले को बचाने के लिए जद्दोजहद में जुट गई है। क्योंकि 9 बार लगातार रामपुर की सीट से विधायक बनने वाले समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता व पूर्व मंत्री आजम खान इन दिनों मुकदमे के चक्रव्यूह में ऐसा फंसे हैं कि उससे निकलने का तोड़ अभी तक ढूंढ नहीं पाए हैं।

Rampur: Court issues bailable warrant against Azam Khan, wife, son

ऐसे में उपचुनाव की घोषणा के बाद समाजवादी पार्टी के आला नेताओं में रामपुर को बचा पाना बेहद टेढ़ा होता जा रहा है और रही-सही कसर समाजवादी पार्टी के साथ रहने वाली कांग्रेस व बसपा ने पूरी कर दी है। इस बार दोनों ही पार्टियों ने मुस्लिम प्रत्याशी उतारकर यह संदेश देने की कोशिश की है कि एक विशेष वर्ग पर सिर्फ और सिर्फ उसी का कब्जा नहीं है। ऐसे में अगर मुस्लिम मतदाता त्रिकोणीय संघर्ष में फंसते हैं तो कहीं ना कहीं समाजवादी पार्टी का गढ़ खतरे में पड़ जाएगा।

यह भी पढ़े: बढ़ रहे महिला अपराध को लेकर योगी ने उठाया ये कदम

सीधे तौर पर कहा जा सकता है कि रामपुर में कांग्रेस व बसपा समाजवादी पार्टी को अपनी ताकत दिखाने में जुटी हैं तो वहीं बीजेपी भी समाजवादी पार्टी के इस अभेद्य किले को तोड़ने में जुट गई है और चुनावी दांव पर लगाते हुए ऐसे कद्दावर प्रत्याशी की तलाश में जुट गई है, जो मुस्लिम बहुल क्षेत्र में अच्छी पैठ रखता हो। साथ ही आजम खान के गढ़ में मुस्लिम मतदाताओं के वोट में सेंधमारी कर सके और लंबे समय से रामपुर में बीजेपी का वनवास खत्म करा सके।

दूसरी ओर, सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव रामपुर में प्रत्याशी को लेकर पशोपेश में फंसे हुए हैं। इसकी मुख्य वजह आजम खान को माना जा रहा है क्योंकि मुकदमों से घिरे आजम खान सीधे तौर पर चुनाव प्रचार में अगर उतरते हैं तो गिरफ्तारी की तलवार उन पर लटक रही है और अगर चुनाव प्रचार से दूरी बनाकर रखते हैं तो रामपुर खतरे में पड़ता है। जानकारों की मानें तो रामपुर की चुनावी जंग बेहद दिलचस्प होने वाली है।

Uttar Pradesh: MP Azam Khan charge-sheeted in 40 land acquisition cases, likely to be named in 12 cases of loot as well - The Financial Express

यह सीट बीजेपी के लिए इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यहां अभी तक बीजेपी का कमल नहीं खिला है। वर्ष 1996 को छोड़कर आज़म खान यह सीट कभी नहीं हारे। समाजवादी पार्टी और आज़म खान को भरोसा है कि जिस तरह राज्य सरकार लगातार उनके खिलाफ कार्रवाई कर रही है, सहानुभूति का फायदा उनके परिवार के ही सदस्य को मिलेगा।

यह भी पढ़े: आसान नहीं है सुरेश अंगड़ी होना

 

वहीं, आजम के किले को ध्वस्त करने के लिए बीजेपी ने योगी सरकार में डिप्‍टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या को जिम्‍मेदारी दी है। केशव प्रसाद मौर्या ने उपचुनाव से पहले रामपुर में 200 करोड़ की परियोजनाओं का लोर्कापण किया। इसके अलावा मौर्या ने रामपुर में 44 करोड़ की लागत से लालपुर का पुल दिसंबर 2021 तक बनाने का ऐलान किया। उन्होंने पुल निर्माण में देरी के लिए आज़म खां को जिम्मेदार बताया। यह पुल स्वार टांडा क्षेत्र की करीब पांच लाख आबादी की जीवन रेखा बनेगा।

When Will The Construction Of Lalpur Bridge Strat - कब शुरू होगा लालपुर पुल का निर्माण, बजट में नहीं हुई घोषणा - Amar Ujala Hindi News Live

गौरतलब है कि इस पुल के कई सियासी मायने हैं। यह पुल अब्दुल्ला आज़म की खाली हुई सीट पर 2017 में भी मुद्दा था और आज भी मुद्दा है। डिप्‍टी सीएम का ठीक उपचुनाव से इस पुल का काम दोबारा शुरू होना उपचुनाव के लिए बीजेपी की तैयारी के तौर पर देखा जा रहा है। लालपुर का यह वही पुल है जिसपर पहले आज़म खान ने दांव खेला था और विधानसभा चुनाव से पहले पुल तुड़वा दिया था। पुल बनना शुरू हुआ और आज़म खान ने इस सीट से अपने बेटे अब्दुल्लाह आज़म को चुनाव लड़ा दिया। अब्दुल्लाह चुनाव तो जीत गए लेकिन अखिलेश सरकार गिर गई और पुल का काम भी रुक गया।

यह भी पढ़े: चुनाव हारने पर क्या करेंगे ट्रंप?

बताते चले कि रामपुर विधानसभा सीट पर 3,90,725 मतदाता हैं। इनमें 2,11,536 पुरुष और 1,79,158 महिलाएं शामिल हैं। मुस्लिम बाहुल इस सीट पर समाजवादी पार्टी का हमेशा से दबदबा रहा है। वर्ष 2017 में हुए यूपी विधानसभा उपचुनाव में सपा के आज़म खान इस सीट से विजयी रहे थे, जबकि बीजेपी के शीव बहादुर सक्सेना दूसरे और बीएसपी के डॉक्टर तनवीर अहमद तीसरे नंबर पर रहे थे। आजम खान के इस्‍तीफे के बाद खाली हुई इस सीट पर उनके बेटे अब्दुल्ला आज़म ने जीत दर्ज की थी।

 

Radio_Prabhat
English

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com