जुबिली न्यूज डेस्क
अमेरिका की ओर से भारत पर लगाए गए 50% टैरिफ को लेकर देश की राजनीति में भूचाल आ गया है। 27 अगस्त से लागू हुए इस टैरिफ को लेकर जहां व्यापारी और निर्यातक चिंतित हैं, वहीं आम आदमी पार्टी संयोजक अरविंद केजरीवाल ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी है।
उन्होंने केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्रंप के दबाव में भारतीय किसानों के साथ धोखा किया है। केजरीवाल ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने अमेरिकी कपास पर 11% आयात शुल्क हटा दिया, जिससे भारतीय किसानों को बड़ा नुकसान होगा।
“ट्रंप कायर है, मोदी उसके आगे भीगी बिल्ली”
केजरीवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा:“ट्रंप एक कायर और बुजदिल आदमी है, और मोदी जी उसके सामने भीगी बिल्ली बन गए हैं। भारत 140 करोड़ लोगों का देश है। ट्रंप ने 50% टैरिफ लगाया, तो हमें अमेरिका की कपास पर 100% टैरिफ लगाना चाहिए था।”
उन्होंने आगे कहा कि कई देशों जैसे चीन, कनाडा और यूरोपीय यूनियन ने अमेरिका के टैरिफ का कड़ा जवाब दिया, लेकिन भारत ने झुकने का रास्ता चुना।
“मोदी ने किसानों की पीठ में छुरा घोंपा”
केजरीवाल ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री मोदी ने किसानों से धोखा किया। उन्होंने कहा:“किसानों को पता ही नहीं चला कि उनके साथ क्या हुआ। अमेरिका से आने वाली कपास पर 11% ड्यूटी हटा दी गई है। अब भारत में अमेरिकी कपास 15-20 रुपये किलो सस्ती होगी।”
इससे गुजरात, तेलंगाना, पंजाब और विदर्भ के कपास उत्पादक किसान सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे, क्योंकि उनकी फसल अक्टूबर में बाजार में आती है, लेकिन तब तक टेक्सटाइल इंडस्ट्री अमेरिकी कपास खरीद चुकी होगी।
क्या अदानी के कारण मोदी झुके?
केजरीवाल ने बड़ा सवाल उठाते हुए कहा कि क्या प्रधानमंत्री अदानी की वजह से ट्रंप के आगे झुके? उन्होंने कहा कि“लोग कह रहे हैं अदानी पर केस चल रहा है, गिरफ्तारी हो सकती है, मोदी जी उन्हें बचाने के लिए अमेरिका के सामने झुके हैं। ये सिर्फ किसानों का नहीं, बल्कि पूरे देश की अस्मिता का सवाल है।”
सरकार का फैसला क्या था?
वित्त मंत्रालय ने हाल ही में एक आदेश में कहा था कि अमेरिका से आयातित कपास पर 5% बीसीडी (बेसिक कस्टम ड्यूटी) और 5% एआईडीसी (एग्रीकल्चर इन्फ्रास्ट्रक्चर एंड डेवलपमेंट सेस) से छूट दी जाएगी। इसके साथ 10% सोशल वेलफेयर सरचार्ज भी हटाया गया, जिससे कुल 11% ड्यूटी खत्म हो गई।
यह छूट पहले 19 अगस्त से 30 सितंबर तक दी गई थी, जिसे अब 31 दिसंबर 2025 तक बढ़ा दिया गया है।सरकार का दावा है कि इससे भारतीय कपड़ा निर्यातकों को राहत मिलेगी, लेकिन आलोचकों का कहना है कि इसका सीधा असर देश के किसानों पर पड़ेगा, जिन्हें अब अपनी कपास सस्ती बेचनी पड़ सकती है या खरीदार ही नहीं मिलेगा।