Friday - 5 January 2024 - 6:01 PM

सपा-बसपा का वोट बैंक हथियाने का ये है भाजपाई फॉर्मूला

सुरेंद्र दुबे 

उत्‍तर प्रदेश में विधानसभा का चुनाव वर्ष 2022 में होने हैं पर भारतीय जनता पार्टी अभी से इन चुनावों की तैयारी में जुट गई है। उसने सपा व बसपा वोट बैंक हड़पने के लिए जाल बिछाना शुरू कर दिया है। हम सबको मालूम है कि भारतीय जनता पार्टी उत्‍तर प्रदेश में 10 लाख नए सदस्‍य बनाने के महत्‍वकांक्षी अभियान में जुट गई है।

इसी अभियान के जाल में वह सपा और बसपा के सक्रिय कार्यकर्ताओं को फंसाने की जुगत में है। अगर हम नैतिकता की बात न करें, जिसका राजनीति में आजकल में कोई मतलब नहीं रह गया है, तो यह हर राजनैतिक दल का राजनीतिक अधिकार है कि वह दूसरी पार्टियों के कामकाजी बंदो को अपने फंदे में फंसाकर अपना जनाधार बढ़ाने की कोशिश करे।

लोकसभा में मिली करारी चुनावी शिकस्‍त के बाद सपा और बसपा दोनों ही इस समय हाइबरनेशन में चल रहे हैं और भारतीय जनता पार्टी ट्रांसफॉरमेशन के दौर से गुजर रही है या यूं कहें कि वह हर वह जुगत अपना लेना चाहती, जिससे विपक्षी दलों के वोट बैंक में सेंध लगाकर अपना लॉन और हरा-भरा कर लेना चाहती हैं। सपा-बसपा तो अभी भी सकते में ही है और वह क्‍या-क्‍या कर सकती है इस पर चिंतन में लगी हुई है। चिंतन इतना गहरा कि वह चिंता में भी बदल सकता है।

पिछले दिनों भारतीय जनता पार्टी के कार्यवाहक अध्‍यक्ष जेपी नड्डा लखनऊ आए थे और कार्यकर्ताओं को मेंबरशिप अभियान का अनोखा गुरुमंत्र दे गए हैं। सभी कार्यकर्ताओं को कहा गया है कि जो भी लोग 50 नए कार्यकर्ता बनाएंगे उन्‍हें पार्टी में विभिन्‍न स्‍तर पर कोई न कोई पद देकर पुरस्‍कृत किया जाएगा, लेकिन गुरु आखिर गुरु होता है और मंत्र भी पूरी सावधानी के साथ देता है, सो नड्डा जी बता गए हैं कि खुदाई किस एरिया में करनी है।

प्रदेश भाजपा में 30 हजार ऐसे बूथों की खोज कर ली है जहां पार्टी वर्ष 2017 में कोई खास सफलता नहीं प्राप्‍त कर सकी थी। कार्यकर्ताओं को कहा गया है कि वे इन बूथों पर कड़ी मेहनत कर नए कार्यकर्ता बनाएं ताकि यहां भी भगवा झंडा लहराया जा सके।

आप सबको मालूम है कि वर्ष 2017 के विधानसभा के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी और उनके सहयोगियों को 325 सीटें मिली थी। विधानसभा में कुल 403 सीटें इस प्रकार भाजपा शेष बची 78 सीटों पर सबसे ज्‍यादा सदस्‍य बनाने की कोशिश करेगी।

जो कार्यकर्ता इन सीटों पर अधिकतम सदस्‍य बनाएंगे उन्‍हे बूथ स्‍तर या जिला स्‍तर पर पदों से नवाजा जाएगा। यानी पूरा कंपटीशन की तैयारी कर ली गई है।

ये एक अनूठा प्रयोग होगा जहां सदस्‍य बनाने के स्‍तर से ही कार्यकर्ताओं को पार्टी में अपने हैसियत के मुताबिक पद प्राप्‍त करने का मौका मिलेगा। इस तरह के प्रयोग आजकल पार्टियों में बिल्‍कुल बंद हो गए हैं। लोग आसमान से टपकते हैं और जुगाड़ से पद प्राप्‍त कर अपने राजनीति चमकाने का प्रयास करने लगते हैं।

इसी तरह वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में भी पार्टी जिन क्षेत्रों में सफलता नहीं प्राप्‍त कर सकी है वहां भी सपा-बसपा के वोट बैंक हड़पने के लिए खास तौर से सदस्‍यता अभियान चलाने के निर्देश दिए गए हैं।

भाजपा के लिए ये काम बहुत दिक्‍कत तलब भी नहीं होगा। आपको याद होगा लोकसभा चुनाव के पूर्व सपा और बसपा ने भारतीय जनता पार्टी को कड़ी टक्‍कर देने के लिए चुनावी गठबंधन बनाया था, जो चुनाव समाप्‍त होते ही टूट गया। मायावती ने एकतरफा गठबंधन तोड़ने की घोषणा कर दी, सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ताकते रहे गए, क्‍योंकि मायावती ने उनसे विचार विमर्श करना भी ठीक नहीं समझा।

हालांकि, मेरा मानना है कि सपा और बसपा को ये गठबंधन जारी रखना था। लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव के मुद्दे अलग होते हैं। लोकसभा चुनाव में बालाकोट सारे मुद्दों पर भारी पड़ गया। इसलिए सपा और बसपा का जातिवादी गठबंधन का किला बहुत काम नहीं आया।

जातिवाद हमारे समाज की कड़वी सच्‍चाई है, जिससे इंकार नहीं किया जा सकता। सपा-बसपा पता नहीं किस मुगालते में है अगर उन्‍हें जाति के आधार पर वोट नहीं मिलेंगे तो फिर उनके लिए क्‍या पाकिस्‍तान से वोट आएंगे।

 पर भाजपा के रणनीतिकार बहुत ही व्‍यवहारिक व चतुर हैं। इस नए सदस्‍यता अभियान में उनका पूरा ध्‍यान उन जाति समूहों के लोगों को सदस्‍य बनाने पर है जो जातियां या तो सपा का वोट बैंक रहीं हैं या फिर बसपा का।

ये बात अलग है कि भाजपा नेता हमेशा जातिवाद से ऊपर उठकर राजनीति करने का दम्‍भ भरते हैं। राजनीति में जो कहा जाता है वही किया नहीं जाता है और शायद इसी को राजनीति कहते हैं।

भाजपा ने अपने सदस्‍यता अभियान को सफल बनाने के लिए सक्रिय कार्यकर्ताओं को 50-50 पन्‍ने वाली सदस्‍यता कूपन थमा दिए हैं। इन लोगों के पास केंद्र व राज्‍य सरकार दोनों की उपलब्धियों का पूरा ब्‍यौरा है जिस वो जनता को समझा रहे हैं, लुभा रहे हैं और जो लोग उनकी बात समझ रहे हैं उन्‍हें पार्टी का प्राइमरी मेंबर बना रहे हैं। जो कुछ तोड़-फोड़ करनी है वह सपा-बसपा के ही वोट बैंक में ही करनी है।

कांग्रेस की तो चर्चा करना ही बेकार है जब डेढ़ महीने में अपने लिए राहुल गांधी की जगह नया अध्‍यक्ष नहीं चुन पाई तो उससे पार्टी का प्रसार करने की उम्‍मीद क्‍यों करनी चाहिए। मुझे तो लगता है कि उत्‍तर प्रदेश में भाजपा धीरे-धीरे विपक्षी वोटबैंक में सेंध लगाती जाएगी और विपक्ष टक-टकी लगाए देखता रह जाएगा।

(लेखक वरिष्‍ठ पत्रकार हैं, लेख उनके निजी विचार हैं)

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