जुबिली न्यूज डेस्क
2008 के मालेगांव ब्लास्ट केस में सभी आरोपियों के बरी होने के बाद बीजेपी की पूर्व सांसद प्रज्ञा ठाकुर ने चौंकाने वाला दावा किया है। उन्होंने कहा है कि जांच के दौरान उन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का नाम लेने का दबाव डाला गया। प्रज्ञा ठाकुर का यह बयान केस में बरी किए जाने के एक दिन बाद सामने आया है।
एनआईए कोर्ट ने सभी आरोपियों को किया बरी
गुरुवार, 31 जुलाई 2025 को एनआईए की स्पेशल कोर्ट ने इस बहुचर्चित मामले में सभी सात आरोपियों – जिनमें प्रज्ञा सिंह ठाकुर और लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित शामिल थे – को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया। कोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष आतंकवाद, हत्या और साजिश जैसे गंभीर आरोपों को साबित करने में असफल रहा।
‘झूठे नाम लेने के लिए दी गई यातना’ – प्रज्ञा ठाकुर
बरी होने के बाद शनिवार, 2 अगस्त को प्रज्ञा ठाकुर ने कहा कि उन्हें कई नामों को झूठे तरीके से फंसाने के लिए प्रताड़ित किया गया। उन्होंने कहा,“उन्होंने मुझसे कहा कि मैं बीजेपी नेता राम माधव, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत और प्रधानमंत्री मोदी का नाम लूं। उन्होंने मेरे फेफड़ों पर चोट पहुंचाई, मुझे अस्पताल में रखा गया, गुजरात में रहने के कारण मुझसे पीएम मोदी का नाम लेने के लिए भी कहा गया।”प्रज्ञा ठाकुर ने यह भी कहा कि उन्होंने किसी का नाम नहीं लिया क्योंकि उनसे झूठ बुलवाने की कोशिश हो रही थी।
बयान से पलटे गवाह और पूर्व अधिकारी के आरोप
इस मामले में एक गवाह ने हाल ही में दावा किया कि उसे योगी आदित्यनाथ और आरएसएस के अन्य नेताओं के खिलाफ गवाही देने के लिए मजबूर किया गया था। गवाह ने कहा कि उसे धमकाकर इंद्रेश कुमार जैसे वरिष्ठ नेताओं के नाम लेने को कहा गया।
वहीं महाराष्ट्र एटीएस के पूर्व सदस्य महबूब मुजावर ने भी एक बार फिर आरोप लगाया कि जांच को ‘भगवा आतंकवाद’ का रंग देने के लिए उन्हें मोहन भागवत को गिरफ्तार करने का निर्देश दिया गया था, लेकिन उन्होंने मना कर दिया। हालांकि कोर्ट ने इन सभी दावों को खारिज कर दिया।
क्या था मालेगांव विस्फोट मामला?
29 सितंबर 2008 को महाराष्ट्र के मालेगांव शहर में एक मस्जिद के पास मोटरसाइकिल में लगाए गए विस्फोटक से धमाका हुआ था। इस हमले में 6 लोगों की मौत हो गई थी और 101 घायल हो गए थे। मामले की जांच के दौरान 14 लोगों को गिरफ्तार किया गया, लेकिन 7 पर ही चार्जशीट दाखिल हुई।
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मालेगांव केस को देश के सबसे लंबे समय तक चलने वाले आतंकवादी मुकदमों में से एक माना जाता है। अब सभी आरोपियों के बरी होने के बाद इस केस की निष्पक्षता और जांच की दिशा को लेकर नए सिरे से बहस छिड़ गई है।