Saturday - 13 January 2024 - 12:46 PM

LDA की मेहरबानी: एम टेक सिटी की जगह शालीमार वन वर्ल्ड बनाने में फर्जीवाड़ा

जुबिली पोस्ट ब्यूरो

लखनऊ। जिंदगी में हर किसी का सपना होता है उसका कोई आशियाना हो। कुनबे के मुखिया की कोशिश रहती है कि अपनी खुद की छत के नीचे अपना जीवन गुजारे और इसके तहत एलडीए की तरफ लोग हसरत भरी निगाहों से देखते हैं लेकिन यही एलडीए इंटिग्रेटेड टाउनशिप के नाम पर ही अपनी जेब गर्म करने में लगा हुआ है।

दरअसल इंटीग्रेटेड टाउनशिप के नाम पर जो लाइसेंस दिया जाता है उसमे फर्जीवाड़ा का खेल भी खूब फलता फूलता है आलम तो यह है कि इंटीग्रेटेड टाउनशिप का ठेका किसी और को दिया जाता है और इसकी आड़ में काम कोई और कराता है।

शहर के विकास के नाम पर भी एलडीए ने इंटीग्रेटेड टाउनशिप बनाने का सपना लोगों को दिखाया लेकिन इसी इंटीग्रेटेड टाउनशिप के नाम पर लूट का कारोबार फलता फूलता रहा है।

आलम तो यह है की एलडीए नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ाकर प्राइवेट बिल्डर को फायदा पहुंचा रहा है। लखनऊ के गोमती नगर विस्तार में ऐसा ही मामला प्रकाश में आया है जो इंटीग्रेटेड टाउनशिप के नाम पर करोड़ों की लूट की घटना को अंजाम दिया गया है। मामला इतना बड़ा है कि जांच सही हुई तो एलडीए के कई अधिकारी और इंजीनियर फंस सकते हैं।

बाघामऊ गोमती नगर विस्तार में एएनएस कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड ने फर्जीवाडे से लाइसेंस हासिल किया और इसकी आड़ में इस प्रोजेक्ट को अवैध रूप से शालीमार वन वर्ल्ड के नाम से एक घुसपैठिया कंपनी शालीमार लेकसिटी प्राइवेट लिमिटेड विकसित कर रही है।

इस तरह से नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं और यह पूरा खेल एलडीए की रजामंदी से हो रहा है। बीते कई सालों से इसको लेकर एलडीए के बड़े अधिकारी पल्ला झाड़ते रहे हैं लेकिन अपनी जेब में माल बटोरने से भी नहीं चूक रहे।

मजे की बात ये है कि फर्जी लाइसेंस के सहारे सारे कामों को अंजाम दिया गया है। पूरे खेल से पर्दा उठा हुआ है लेकिन एलडीए के बेईमान अफसर इसे दबाने में जुटे हुए हैं, हद तो तब हो गई जब सुबे के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने भी इस बारे में विभाग से जवाब तलब किया है, लेकिन तब भी एलडीए ने इस पर कोई एक्शन नहीं लिया।

उपमुख्यमंत्री के अलावा योगी सरकार के मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्या, प्रमुख सचिव आवास ने भी कई बार इस मामले पर एलडीए से पूछताछ की लेकिन जवाब के नाम पर कुछ नहीं मिला। अब रेरा ने भी इस पर जवाब तलब किया है। इस दौरान एलडीए के अधिकारी बदलते रहे लेकिन घुसपैठिया कंपनी शालीमार लेकसिटी ने शालीमार वन वर्ल्ड बना कर तैयार करने में लगा है और इसकी बुकिंग का खेल भी शुरू हो चुका है।

क्या है पूरा खेल

लखनऊ विकास प्राधिकरण द्वारा शासन की इंटीग्रेटेड टाउनशिप के नाम पर विकास नीति के तहत एएनएस कंस्ट्रक्शन लिमिटेड को राजस्व ग्राम बाघामऊ गोमती नगर विस्तार लखनऊ में इंटीग्रेटेड टाउनशिप के विकास के लिए सन 2006 में लाइसेंस संख्या- 869 दिया गया था, यहां तक सब ठीक था। इसके बाद ज्वाइंट वेंचर के तहत लीड मेंबर और मार्केटिंग तथा भूमि अर्जन का कार्य इस ग्रुप की कंपनी एम टेक डेवलपर्स लिमिटेड का था।

इस प्रोजेक्ट के विज्ञापन और एलडीए के लाइसेंस पर विश्वास करके एमटेक कल्याण समिति के सदस्यों के साथ अन्य लोगों ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और एमटेक सिटी में 200, 300 और 500 गज का भूखंड 20% भुगतान देकर बुक कराया और उसी बुकिंग के धनराशि से तत्समय कंपनी ने 185 एकड़ भूमि इसी लाइसेंस के अंतर्गत क्रय कर ली।

भ्रष्टाचार की दलदल में धंसता चला गया पूरा प्रोजेक्ट

माना जाता है कि इसके बाद से सारा खेल भ्रष्टाचार की दलदल में धंसता चला गया। बड़ी आसानी से एलडीए की आंखों में धूल झोंक कर सारे खेल को सफाई से अंजाम दिया गया।

जब एएनएस कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड ने लखनऊ विकास प्राधिकरण से 2 साल के लिए बाघा मऊ गोमती नगर विस्तार में इंटीग्रेटेड टाउनशिप बनाने के लिए लाइसेंस प्राप्त किया था, लेकिन दो साल तक उसने कोई कार्य नहीं किया।

इतना ही नहीं लाइसेंस की अवधि दो वर्ष समाप्त होने पर भी लाइसेंस को आगे बढ़ाने के लिए भी कोई प्रस्ताव नहीं दिया गया। इस तरह से 30.6.2008 को एलडीए के द्वारा एएनएस कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी का लाइसेंस रद्द कर दिया गया। लेकिन फिर एएनएस कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड ने एलडीए के बेइमान अधिकारियों के साथ मिलकर अवैध और फजी तरीके से दोबारा लाइसेंस हासिल किया।

दोबारा हासिल किया फर्जी लाइसेंस

एएनएस कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड ने फर्जी तरीके से एलडीए के साथ मिलकर दूसरा लाइसेंस 161/16.02.2010 की कंसर्सियम सूची दिनांक 7.07.2008 से हासिल किया, लेकिन सबसे बड़ा खेल तो तब हुआ जब एम टेक डेवलपर्स नामक कंपनी को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। इतना ही नहीं प्रोजेक्ट के लिए भूमि उपलब्ध नहीं है दर्शित करते हुए इस प्रोजेक्ट को बाधित कर दिया गया। जबकि कंपनी के पास 150 एकड़ भूमि उपलब्ध थी।

दूसरी ओर लखनऊ के निवेशकों का काफी दबाव पड़ने पर निवेशकों को तीन- चार साल के बाद वापस किया गया। बताया जाता है कि एएनएस कंस्ट्रक्शन लिमिटेड एवं एमटेक डेवलपर्स लिमिटेड अब तक हरियाणा गोवा एवं दिल्ली सहित कई राज्यों में निवेशकों के साथ धोखाधड़ी कर चुकी है और इन कंपनियों के सभी निदेशक ईओडब्ल्यू नई दिल्ली की एफआईआर संख्या 160 /2009 में चार्ज शीटेड होने के कारण माननीय साकेत कोर्ट से जमानत पर हैं।

एमटेक कल्याण समिति के अनुसार कंपनी फ्रॉड करते हुए इस प्रोजेक्ट को दूसरे के हाथ में शालीमार लेकसिटी प्राइवेट लिमिटेड को देकर स्वयं नौ दो ग्यारह हो गई। इस कृत्य पर लखनऊ विकास प्राधिकरण ने जानकारी होने के बाद भी इस कंपनी के प्रति आज तक किसी प्रकार की आवश्यक कार्यवाही नहीं की।

यही कारण है कि वर्तमान में इस प्रोजेक्ट को अवैध रूप से शालीमार वन वर्ल्ड के नाम से एक घुसपैठिया कंपनी मे शालीमार लेकसिटी प्राइवेट लिमिटेड विकसित कर रही है जबकि इस घुसपैठिया कंपनी को उत्तर प्रदेश सरकार और ना ही लखनऊ विकास प्राधिकरण ने कोई अधिकार या लाइसेंस इस प्रोजेक्ट के विकास हेतु प्रदान किया है।

रेरा में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर कराया पंजीकरण

इसके बाद शालीमार लेकसिटी प्राइवेट लिमिटेड ने रेरा में इस प्रोजेक्ट के लिए फर्जी एवं कूट रचित दस्तावेज और गलत बयान हल्फी देकर प्रमोटर पहचान संख्या यूपी आरईआरएपीआरएम 10813 प्राप्त करते हुए दिनांक 5.02.2016 से 11.8.2018 के मध्य क्रमशः पंजीकरण संख्या यूपीआरईआरएपीआरजे 4833,12850 एवं 17338 पर रेरा में पंजीकरण करा दिया।

रेरा में एम टेक कल्याण समिति ने इस पंजीकरण की शिकायत भी की। जानकारी मिली है कि रेरा सचिव अबरार अहमद ने लखनऊ एलडीए वीसी से एएनएस कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड की जमीन पर शालीमार लेकसिटी प्राइवेट लिमिटेड के शालीमार वन वर्ल्ड बनाने के संबंध में रिपोर्ट तलब की है।

प्रोजेक्ट का लाइसेंस ट्रांसफरेबल नहीं

एमटेक कल्याण समिति के सचिव देवेंद्र सिंह के अनुसार आरटीआई सूचना 802 दिनांक 2.09.2011 को लखनऊ विकास प्राधिकरण द्वारा सूचित किया गया है कि टाउनशिप का प्रोजेक्ट लाइसेंस धारक विकास कर्ता में एएनएस कंस्ट्रक्शन लिमिटेड द्वारा ही किया जा सकता है और यह ट्रांसफरेबल नहीं है फिर शालीमार लेकसिटी प्राइवेट लिमिटेड किस नियम के तहत शालीमार वन वर्ल्ड बना रही है।

अधिकारी इस पर कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है साफ है कि लखनऊ विकास प्राधिकरण के अफसर और इंजीनियर इस खेल में पूरी तरह से शामिल है।

अब प्रोजेक्ट का नाम बदलने की कवायद

सूत्र बताते हैं कि एलडीए के एक वरिष्ठअधिकारी के दबाव में फर्जीवाड़े को सही करने के लिए एएनएस एवं एम टेक सिटी के स्थान पर शालीमार लेक सिटी प्रा. लि.को शालीमार वनवर्ल्ड विकास कर्ता करने का प्रस्ताव लाया गया है, जो किसी भी नियम व शासनादेश के अनुसार सही नहीं है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कुर्सी पर बैठते ही प्रोजेक्ट में पैसा लगाये लोग पूरी तरह से आशान्वित हैं कि एलडीए के अधिकारी चाहे जितना जोर लगा लें एक ईमानदार मुख्यमंत्री के कार्यकाल में शालीमार लेकसिटी प्राइवेट लिमिटेड और लखनऊ विकास प्राधिकरण के अधिकारी फर्जीवाड़ा नहीं कर पाएंगे और एमटेक सिटी के मूल आवंटियों का आशियाना का सपना जरूर साकार होगा। भविष्य बताएगा कि एम टेक सिटी के आवंटियों को न्याय कब तक मिलता है और फर्जीवाड़ा करने वाले एलडीए के अधिकारी कब दंडित होंगे।

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