जुबिली न्यूज डेस्क
वॉशिंगटन: ट्रंप प्रशासन अब विदेशी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस पर उनके चिप्स के आधार पर टैरिफ लगाने पर विचार कर रहा है। इस कदम का मुख्य उद्देश्य है कि बहुराष्ट्रीय कंपनियां अमेरिका में सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन बढ़ाएं और विदेशी निर्भरता कम हो।
क्या है योजना?
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वाणिज्य विभाग प्रस्तावित कर रहा है कि आयातित इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों पर उनके चिप सामग्री के मूल्य का कुछ प्रतिशत टैरिफ लगाया जाए।
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इससे प्रभावित होने वाले उत्पादों की रेंज काफी बड़ी है – टूथब्रश से लेकर लैपटॉप तक।
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अभी विभाग ने इस पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है।
व्हाइट हाउस का बयान
व्हाइट हाउस प्रवक्ता कुश देसाई ने कहा –”अमेरिका सेमीकंडक्टर उत्पादों के लिए विदेशों पर निर्भर नहीं रह सकता। राष्ट्रीय और आर्थिक सुरक्षा के लिए यह बेहद जरूरी है। ट्रंप प्रशासन अमेरिका में उत्पादन बढ़ाने के लिए टैरिफ, टैक्स छूट और नियमों को आसान बना रहा है।”
पहले भी लगाए गए टैरिफ
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ब्रांडेड दवाओं पर 100% टैरिफ और भारी ट्रकों पर 25% टैरिफ पहले ही लगाया जा चुका है।
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अप्रैल में फार्मास्यूटिकल्स और सेमीकंडक्टर आयातों पर जांच शुरू की गई थी।
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रिपोर्ट्स के मुताबिक –
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जापान और यूरोपीय संघ से आने वाले इलेक्ट्रॉनिक्स पर 15% टैरिफ लगाया जा सकता है।
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अन्य देशों से आने वाले चिप-आधारित उत्पादों पर 25% टैरिफ लगाया जा सकता है।
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क्या होगा असर?
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पॉजिटिव: अमेरिकी उद्योग में निवेश बढ़ सकता है और घरेलू उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा।
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नेगेटिव: उपभोक्ता वस्तुओं की कीमतें बढ़ेंगी।
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अर्थशास्त्री माइकल स्ट्रेन के मुताबिक, इस नीति से महंगाई और बढ़ने की संभावना है।