जुबिली न्यूज डेस्क
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा गोद लिए गए डोमरी गांव में इन दिनों किसानों और नगर निगम के बीच जमीन को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। किसानों का आरोप है कि नगर निगम उनकी 300 बीघा जमीन पर जबरन कब्ज़ा कर रहा है, जबकि उनके पास सभी दस्तावेज और कागजात मौजूद हैं। सुनवाई न होते देख किसानों और ग्रामीणों ने धरना-प्रदर्शन शुरू कर दिया है।

किसानों का आरोप: जबरन अधिग्रहण और पेड़ लगाने की तैयारी
डोमरी गांव के किसानों ने बताया कि ग्राम पंचायत से नगर निगम के दायरे में आने के बाद प्रशासन मनमाने तरीके से उनकी जमीन पर कब्ज़ा कर रहा है। उनका कहना है कि 2 अक्टूबर को नगर निगम और भाजपा कार्यकर्ता करीब 3 लाख पेड़ लगाने की योजना बना रहे हैं, जो उनकी निजी जमीन पर जबरन अधिग्रहण कर किए जाएंगे। ग्रामीणों का कहना है कि गरीब किसानों की जमीन छीनकर पेड़ लगाना न्यायसंगत नहीं है। यही वजह है कि सैकड़ों की संख्या में किसान, महिलाएं और स्थानीय लोग विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
नगर आयुक्त का बयान: यह सरकारी भूमि है
वहीं, इस पूरे विवाद पर नगर आयुक्त अक्षत वर्मा ने साफ कहा कि जिस भूमि पर किसान दावा कर रहे हैं, वह वास्तव में नगर निगम की जमीन है और सरकारी अभिलेखों में दर्ज है।उन्होंने बताया कि उस क्षेत्र का चिन्हाकन पहले ही किया जा चुका है और यहां एक घंटे में 2 लाख से अधिक पेड़ लगाने का लक्ष्य रखा गया है। नगर आयुक्त ने यह भी कहा कि अगर कोई व्यक्ति इस भूमि पर पाया जाता है तो वह अवैध कब्ज़ा ही माना जाएगा।
क्यों खास है डोमरी गांव?
गौरतलब है कि डोमरी गांव वह इलाका है जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गोद लिया था। यही वजह है कि यहां हो रहे इस विवाद ने राजनीतिक और सामाजिक दोनों स्तरों पर चर्चा बढ़ा दी है।
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