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जानिए क्यों हुआ बिहार क्रिकेट का बेड़ा गर्क

जुबिली स्पेशल डेस्क

ये उन दिनों की बात है जब भारतीय क्रिकेट की हनक पूरे विश्व क्रिकेट में देखने को मिलती थी। आलम तो यह था कि आईसीसी भी बीसीसीआई की हर बात को मानने को तैयार रहता था। इसी दौर में आईपीएल को बीसीसीआई ने शुरू कर दिया था। इस लीग के शुरू होने पर क्रिकेट को भारत में और शोहरत मिलने लगी थी।

आईपीएल का क्रेज इतना ज्यादा बढ़ चुका था कि दुनिया के कई खिलाड़ी इस लुभावनी लीग का हिस्सा बनने के लिए बेताब नजर आ रहे थे। शुरुआत में इस लीग को सोने की अंडा देने वाली मुर्गी भी बताया गया।

दरअसल आईपीएल के सहारे बीसीसीआई ने अपनी जेब को खूब भरा है लेकिन इसी आईपीएल में गड़बड़ी और स्पॉट फिक्सिंग का मामला सामने आने के बाद क्रिकेट की गरिमा तार-तार होती नजर आई।

साल 2013 आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग के दलदल में फंसती नजर आई लेकिन क्रिकेट को कलंकित करने वाले चेहरों के खिलाफ बिहार के एक शख्स ने मोर्चा खोल दिया। ये वो शख्स है जिसने ताकतवर बीसीसीआई को भी शिकस्त दी।

क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ बिहार (सीएबी) के सचिव आदित्य वर्मा ने आईपीएल मैचों में फिक्सिंग के खिलाफ जनहित याचिका दायर कर बीसीसीआई की रातों-रात नींद उड़ाकर रख दी थी। उस दौर में बीसीसीआई के अध्यक्ष एन श्रीनिवासन तक घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था।

ये उनकी कोशिश थी जिसने आईपीएल में फैले भ्रष्टाचार को खत्म करने में मदद की। उनकी वजह से आईपीएल में सट्टेबाजी के खिलाफ इसकी दो टीमों पर दो साल का और एन श्रीनिवासन के दामाद गुरुनाथ मयप्पन और राजस्थान रॉयल्स के सह मालिक राज कुंद्रा पर आजीवन प्रतिबंध लगा था। आदित्या वर्मा खुद भी क्रिकेटर रह चुके हैं लेकिन बड़े स्तर पर क्रिकेट खेलने से वंचित रह गए।

आदित्य वर्मा बताते हैं कि उन्होंने बिहार क्रिकेट के साथ-साथ बीसीसीआई में सुधार के लिए लड़ते रहेगे। इंडियन प्रीमियर लीग स्पॉट फिक्सिंग प्रकरण के याचिकाकर्ता आदित्य वर्मा ने जुबिली पोस्ट से खास बातचीत में कहा कि बिहार क्रिकेट को जबतक पटरी पर नहीं ला देंगे तब तक वो चैन से नहीं बैठने वाले हैं।

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तो इस तरह से क्रिकेट से जुड़े आदित्य वर्मा

उनके पिता स्व महाबीर प्रसाद वर्मा क्रिकेट के बड़े फैन हुआ करते थे। इस वजह से उनको भी क्रिकेट का शौक लग गया। उस जमाने में टीवी कम हुआ करता था और रेडियो पर क्रिकेट का आंखों देखा हाल सुना जाता था। उन्होंने बताया कि बिहार क्रिकेट गर्त में चला गया था। आलम तो यह है कि बिहार में क्रिकेट के नाम पर कुछ भी अच्छा नहीं हो रहा था। इस वजह से वो काफी परेशान थे। आगे चलकर उन्होंने बिहार क्रिकेट के हक के लिए अदालत जाने का फैसला किया।

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राष्ट्रीय स्तर पर नहीं खेल पाने का गहरा अफसोस है

आदित्य वर्मा के चाचा फुटबॉल के अच्छे खिलाड़ी रहे हैं। इतना ही नहीं उनके चाचा ने संतोष ट्राफी मैच मे बिहार राज्य टीम का प्रतिनिधित्व किया था लेकिन आदित्य वर्मा क्रिकेट ही पहला शौक रहा है। उन्होंने बताया कि वो उनके तीन भाइयों ने मिलकर एक स्टार क्रिकेट क्लब बनाया जो आगे चलकर उसे नई पहचान मिली। इसी के बदौलत बिहार विश्व विधालय क्रिकेट टीम की टीम में अपना स्थान पक्का किया था। क्रिकेट की वजह से उन्हें टाटा स्टील में नौकरी भी मिली। हालांकि रणजी ट्रॉफी खेलने का सपना पूरा नहीं हो सका लेकिन अब वो केवल क्रिकेट की बेहतरी के लिए काम कर रहे हैं।

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बीसीसीआई ने बिहार क्रिकेट सौतेला बर्ताव किया

उन्होंने बताया कि बीसीसीआई ने बिहार क्रिकेट के साथ सौतेला बर्ताव किया है। उन्होंने बताया कि साल मेंरे क्रिकेट के विभाजन के बाद से बिहार क्रिकेट पटरी से उतर गया था। साल 2000 में बीसीसीआई ने बिहार का मान्यता बिहार के नाम पर 13 जिला से बने नए राज्य झारखंड को दे कर बिहार के क्रिकेटरो को अंधा कुआ में फेंक दिया था। 2003 से बिहार के क्रिकेटरों के हक के लिए बीसीसीआई के खिलाफ कोर्ट जाने का फैसला किया। लम्बी लड़ाई के बाद 2018 के 4 जनवरी को बिहार के क्रिकेटरो को प्रथम श्रेणी का मैच खेलने का आदेश सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के बेंच ने बीसीसीआई को दिया था।

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बिहार क्रिकेट को अभी और मजबूत करना है

उन्होंने कहा कि उनकी वजह से नौ राज्यों को प्रथम का मैच खेलने का मौका मिला। उन्होंने कहा कि उनकी आगे कोशिश है कि बिहार राज्य के बड़े खिलाडिय़ों को बिहार क्रिकेट के प्रशासन से जोडऩा है इसके लिए मै कोशिश कर रहा हूं।

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बिहार क्रिकेट की इस हालत के लिए कौन जिम्मेदार है

उन्होंने कहा कि राज्य क्रिकेटरो को ही अपने अपने राज्य क्रिकेट संघ से जोड़ कर क्रिकेट का विकास शुरू करनी चाहिए। बिहार क्रिकेट मे व्याप्त गुटबाजी के लिए यहॉ के चंद चाटुकरों की वजह से बिहार क्रिकेट का ये हाल हुआ है।

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बिहार क्रिकेट के लिए आगे की क्या रणनीति है

आदित्य वर्मा ने बताया कि उनकी बीसीसीआई के अध्यक्ष सौरभ गॉगुली से बिहार क्रिकेट के भविष्य पर लम्बी चर्चा हुई है। दादा ने इस बातचीत में कहा था कि बिहार को हम अपना पड़ोसी राज्य मानते हैं। 18 सालो तक बिहार क्रिकेट को साजिश के तहत भुगतना पड़ा है अब वक्त है बिहार क्रिकेट को आगे ले जाने के लिए पहल करना है। मेरे बिहार क्रिकेट मे व्याप्त टैलेंट भरा है जरूरत है उसे तराश कर निखारने के लिए कार्य करना। सौरभ गांगुली और उनकी टीम ने भरोसा जताया है कि बिहार क्रिकेट की भलाई के लिए बीसीसीआई हर मदद करेंगा।

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