Sunday - 7 January 2024 - 6:00 AM

इशरत जहां की मां ने कहा-‘नाउम्मीद और बेबस’ हो चुकी हूं

न्यूज डेस्क

इशरत जहां की मां शमीमा कौसर लंबी और पेचीदा न्याय प्रक्रिया से परेशान हैं। वह नाउम्मीद और बेबस महसूस कर रही है। अब वह अपनी बेटी, जो गुजरात पुलिस की कथित फर्जी मुठभेड़ में मारी गई थी, के मामले की सुनवाई में भाग नहीं लेंगी।

इशरत जहां की मां शमीमा कौसर ने एक अक्टूबर को अहमदाबाद में एक विशेष सीबीआई अदालत में कहा कि वह अब इस मामले की सुनवाई में भाग नहीं ले सकती, क्योंकि न्याय के लिए इतनी लंबी लड़ाई के बाद वह ‘नाउम्मीद और बेबस’ महसूस करती हैं।

विशेष सीबीआई अदालत के न्यायाधीश आर के चूडावाला पुलिस महानिरीक्षक जी एल सिंघल, पूर्व डीएसपी तरुण बरोट, पूर्व पुलिस उपाधीक्षक जे जी परमार और सहायक सब इंस्पेक्टर अनाजु चौधरी समेत चार आरोपी पुलिसकर्मियों द्वारा आरोप मुक्त करने के लिए दायर अर्जियों पर सुनवाई कर रहे हैं।

कौसर ने अदालत को एक पत्र लिखकर कहा, ‘दंडमुक्ति की इस संस्कृति के कारण मैं अत्यंत दुखी हूं, मेरा जज्बा टूट गया।’ 

इशरत जहां की मां कौसर ने कहा कि वह अदालत की कार्यवाही से दूरी बना रही हैं और सीबीआई से आरोपियों की दोषसिद्धि सुनिश्चित करने का अनुरोध करती हैं।

उन्होंने कहा, ‘ 15 से अधिक साल बीत गए और पुलिस अधिकारियों समेत सभी आरोपी जमानत पर हैं। न्याय के लिए इतनी लंबी लड़ाई के बाद अब मैं नाउम्मीद और बेबस महसूस करती हूं। मेरी बेटी की हत्या के मुकदमे का सामना करने के बावजूद कुछ को तो गुजरात सरकार ने बहाल कर दिया।’

यह भी पढ़ें :  हाइवे की होर्डिंग पर किसने चलाया पॉर्न वीडियो

यह भी पढ़ें : जम्मू-कश्मीर में हिरासत में लिए गए 144 नाबालिग

शमीमा कौसर ने दावा करते हुए कहा कि उनकी बेटी निर्दोष थी। एक ‘भयानक आपरााधिक षडयंत्र’  के चलते उसकी हत्या की गई। यह साजिश इसलिए की गई क्योंकि वह एक मुस्लिम महिला थी। उसे घातक आतंकवादी बताकर राजनीतिक हित साधा गया।

कौसर ने कहा, ‘मैंने अपनी वकील वृंदा ग्रोवर को बता दिया है कि अब लड़ने की मेरी इच्छा खत्म हो गई है और वह सीबीआई अदालत में सुनवायी में भाग नहीं लेना चाहती। इतनी लंबी और पेचीदा न्याय प्रक्रिया ने मुझे थका और परेशान कर दिया है।’

उन्होंने कहा, ‘कई कमजोर मासूम नागरिकों की जान बचाने के लिए दंडमुक्ति की इस संस्कृति को मिटाने की जरूरत है। यह केवल मेरी लड़ाई नहीं हो सकती। यह देखना अब सीबीआई का काम है कि दोषियों को सजा मिले।’

उन्होंने कहा कि अपनी बेटी इशरत जहां के लिए न्याय के लिए जो संघर्ष किया उसमें उन्होंने पाया कि वह गुजरात के कुछ बहुत शक्तिशाली पुलिस अधिकारियों का सजा दिलाना चाहती है जो सेवा में है और जिन्हें राज्य का संरक्षण हासिल है।

कौसर ने कहा कि उनकी बेटी की ‘निर्मम हत्या’  को ‘गलत और दुर्भावनापूर्ण तरीके से मुठभेड़ हत्या दिखाया गया तथा उसे बदनीयती से आतंकवादी बताया गया।’ 

मालूम हो कि 15 जून 2004 को गुजरात पुलिस के अहमदाबाद के बाहरी इलाके में एक कथित फर्जी मुठभेड़ में मुंबई के समीप मुंब्रा की रहने वाली 19 वर्षीय महिला इशरत जहां, जावेद शेख उर्फ प्रनेश पिल्लई, अमजदअली अकबरअली राणा और जीशान जौहर मारे गए थे।

पुलिस ने दावा किया था कि इनके लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादियों से संपर्क थे। सीबीआई ने अगस्त 2013 में सात लोगों के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया था और फरवरी 2014 में चार और लोगों के खिलाफ अनुपूरक आरोपपत्र दायर किया था।

यह भी पढ़ें : बकरी की मौत से कम्पनी को 2.5 करोड़ का नुकसान

यह भी पढ़ें : जानिए गाँधी जी के अंतिम पलों के गवाहों की कहानी 

Radio_Prabhat
English

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com