Sunday - 14 April 2024 - 8:16 PM

महाविद्यालयों की संबद्धता के रोचक संस्मरण: एक कुलपति की अनकही कहानी

प्रो. अशोक कुमार

प्रदेश के विश्वविद्यालय में एक सबसे मुख्य विषय होता है—“विश्वविद्यालय से महाविद्यालयों की संबद्धता”। एक समय एक महाविद्यालय ने मुझे अपने महाविद्यालय में किसी कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया मैं विश्वविद्यालय से उस महाविद्यालय की ओर अग्रसर हुआ लेकिन कुछ दूरी जाने के बाद यह मालूम चला आगे रास्ता बंद है।

कोई बहुत बड़ा हादसा सड़क में हो गया है इसलिए सभी मार्ग बंद मैं थोड़ा सा चिंतित हुआ और फिर मैंने महाविद्यालय को दूरभाष से सूचना दी की आपके महाविद्यालय की तरफ इस समय कुछ घटना हो गई है इसलिए सभी रास्ते बंद हैं अतः में महाविद्यालय में आप के कार्यक्रम में उपस्थित नहीं हो सकता।

महाविद्यालय वालों ने जब यह सुना तो उन्होंने मुझसे एक बार पुनः निवेदन किया कि हमारे विद्यार्थी सुबह से विश्वविद्यालय के कुलपति की प्रतीक्षा कर रहे हैं और उन्होंने एक दूसरा मार्ग भी बताया और कहा कि उसमें आपको कष्ट तो होगा लेकिन यदि आप थोड़ा सा कष्ट कर ले तो आपकी बड़ी कृपा होगी।

मैंने अपने ड्राइवर से और गनमैन से पूछा तो उन्होंने कहा थोड़ा कष्ट होगा लेकिन हम लोग जा सकते हैं थोड़ा समय भी लग सकता है।

मैंने महाविद्यालय के निवेदन को सोचकर, छात्रों की उपस्थिति को सोचकर, यह निर्णय लिया मैं दूसरे मार्ग से महाविद्यालय चला जाऊंगा जब मैं जा रहा था तब क्योंकि देर हो गई थी।

मुझे लगा कि लघु शंका की आवश्यकता है लेकिन कोई मुझे उपयुक्त स्थान दिखाई नहीं दे रहा था थोड़ी दूर चलने के बाद मैंने देखा कि एक बिल्डिंग का निर्माण चल रहा है मैंने अपने ड्राइवर से वहां पर रोकने को कहा।

वहां जाकर मैंने देखा कि उस बिल्डिंग के मुख्य द्वार के पास एक महाविद्यालय का बोर्ड लगा है।

मैंने यह सोचा कि शायद यह महाविद्यालय नवनिर्मित हो रहा है और जल्दी से जल्दी इसका निर्माण पूरा हो जाएगा तब शायद विश्वविद्यालय से संबंधित हो जाएगा।

मैं उस महाविद्यालय में गया और वहां पर निर्माण कार्य चल रहा था ! मैंने वहां पर व्यक्तियों से पूछा और यह आशा व्यक्त की उम्मीद है यह महाविद्यालय का निर्माण कार्य जून में पूरा हो जाएगा और जुलाई से नया सत्र चलने लगेगा।

मुझे यह जानकर बहुत आश्चर्य हुआ जब उन्होंने बताया कि निर्माण कार्य जुलाई तक पूरा हो जाएगा लेकिन जहां तक महाविद्यालय की संबद्धता का प्रश्न है तो यह महाविद्यालय की संबद्धता कुछ वर्ष पूर्व हो चुकी है।

मैंने प्रश्न किया अभी तो महाविद्यालय का निर्माण कार्य चल रहा है तब इसकी संबद्धता किस प्रकार से हो गई उस व्यक्ति ने मुझे कहा कि मैं तो निर्माण कार्य कर रहा हूं मैं इस बात से अवगत नहीं हूं।

फाइल फोटो

मैं महाविद्यालय के कार्यक्रम समाप्त होने के बाद जब विश्वविद्यालय पहुंचा तब मैंने महाविद्यालय की पूरी पत्रावली देखी और मुझे आश्चर्य हुआ कि उस महाविद्यालय का विश्वविद्यालय के शिक्षकों द्वारा निरीक्षण भी हो चुका है और निरीक्षण समिति ने स्वीकृति दे दी है।

मैंने तुरंत एक समिति बनाई और फिर उसके निष्कर्ष पर मैंने कार्यवाही करी। यह एक गंभीर मामला है और इसीलिए विश्वविद्यालय का संबद्धता का विभाग भ्रष्टाचार का माना जाता है।

तब मैंने यह अनुभव किया की विश्वविद्यालय में अधिकारी और कर्मचारी संबद्धता विभाग से जुड़े रहने के लिए बहुत उत्सुक क्यों रहते हैं।

अपने कार्यकाल मे मैंने कई विद्यालयों का निरीक्षण किया। मैं जब कभी भी आगरा की तरफ जाता था तब मार्ग में विश्वविद्यालय से संबंधित जो भी महाविद्यालय होते थे मैं उनका निरीक्षण करता था।

इसी प्रकार से इलाहाबाद की ओर जाता था तब मैं महाविद्यालयों का निरीक्षण करता था। जब कभी मैं लखनऊ की तरफ जाता था तब भी मैं महाविद्यालयों का निरीक्षण करता था।

इस निरीक्षण के समय कई रोचक अनुभव मैं आपको बताना चाहता हूं । मैं एक बार इलाहाबाद की तरफ जा रहा था तब मार्ग में मुझे एक महाविद्यालय दिखाई दिया।।

क्योंकि पूर्व से कोई निश्चित कार्यक्रम नहीं था, अतः में अचानक उस महाविद्यालय में लगभग 2:00 बजे के बाद पहुंचा मेरे साथ मेरा कार का ड्राइवर और मेरा सुरक्षाकर्मी था।

महाविद्यालय में मुझे चारों ओर बहुत शांति मिली। मैंने कुछ कर्मचारियों से पूछा कि महाविद्यालय में ऐसी शांति क्यों है। उन्होंने मुझे बताया आज सुबह एक शोक सभा थी इस कारण महाविद्यालय बंद कर दिया गया है ! मैंने कर्मचारी से महाविद्यालय के प्राचार्य के बारे में पूछा तब कर्मचारी ने बताया कि प्राचार्य का स्वास्थ्य अच्छा नहीं है इसलिए वह महाविद्यालय नहीं आए। मैंने अपने ड्राइवर और सुरक्षाकर्मी के साथ महाविद्यालय का निरीक्षण किया और वापस चला गया।

उसके बाद में एक और महाविद्यालय में पहुंचा। महाविद्यालय में कुछ गतिविधि दिख रही थी।

मैंने कर्मचारी गण से पूछा कि प्राचार्य महोदय का कक्ष कहां है कर्मचारी ने कहा कि प्राचार्य महोदय का स्वास्थ्य अच्छा नहीं है इसलिए वह महाविद्यालय आज नहीं आए।

मैंने कहा कि कक्षाओं का क्या समाचार है। कर्मचारी ने कहा कि आज महाविद्यालय कुछ जल्दी किन्हीं कारणवश बंद कर दिया गया था लेकिन कुछ एक दो कक्षाएं चल रही हैं। मैंने उनका निरीक्षण करने के लिए कक्षा मे गया। वहां पर एक शिक्षक कुर्सी पर बैठकर सात विद्यार्थियों को कुछ पढ़ा रहे थे।

मैं वहां गया तो वहां पर शिक्षक पढ़ाई में ध्यान लगाए हुए थे ! मेरे ड्राइवर ने जाकर कहा कि माननीय कुलपति जी आए हैं उनका स्वागत करें। अध्यापक महोदय ने कहा यह कुलपति क्या होता है मैं तो जानता नहीं है तब मेरे सुरक्षाकर्मी ने यह समझा कि शिक्षक समझ नहीं पा रहे हैं इसलिए उसने कहा वाइस चांसलर साहब आए हैं। लेकिन शिक्षक ने कोई ध्यान नहीं दिया।

मैं कुछ समझा। मैंने तुरंत ही शिक्षक के पास गया और मैंने शिक्षक से वार्ता करी। पहले शिक्षक की प्रशंसा करी और कहा कि मुझे बड़ी प्रसन्नता है कि आप विद्यार्थियों को हाई स्कूल और इंटरमीडिएट के विद्यार्थियों की तरह बीएससी की कक्षाएं ले रहे हैं।

यह अपने आप में बहुत अच्छा है इससे छात्र आसानी से विषय को समझ सकते हैं ! शिक्षक महोदय ने तुरंत ही मुझे जवाब दिया कि मैं वास्तव में यहां का शिक्षक नहीं हूं मैं तो हाईस्कूल और इंटरमीडिएट कॉलेज का शिक्षक हूँ । उस कॉलेज के प्रबंधक इसी कॉलेज के प्रबंधक है।

उन्होंने मुझे बनस्पति विज्ञान पढ़ाने का भी आदेश दिया है ! मैं सोचकर बहुत हैरान हुआ कि महाविद्यालय मे एक शिक्षक कक्षा ले रहा है जो कि महाविद्यालय में अनुमोदित नहीं है वास्तव में वह शिक्षक एक हाई स्कूल इंटरमीडिएट कॉलेज का शिक्षक था।

(लेखक- पूर्व कुलपति कानपुर, गोरखपुर विश्वविद्यालय)
(कल पढ़ें अगला भाग )

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