जुबिली न्यूज़ डेस्क
अंतरराष्ट्रीय मौद्रिक कोष ने कहा कि कोविड-19 महामारी के दौरान भारत का ऋण-जीडीपी अनुपात 74% से बढ़कर 90% हो गया और उम्मीद जताई की आर्थिक सुधार के साथ ही ये घटकर 80% पर आ जाएगा।
आईएफएफ के राजकोषीय मामलों के विभाग के उप निदेशक पाओलो मौरो ने कहा, कि भारत के मामले में, महामारी से पहले 2019 के अंत में ऋण अनुपात सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 74% था, और 2020 के अंत में ये बढ़कर जीडीपी का लगभग 90% हो गया है।
ये भी पढ़े: दूध उबालने का क्या है सही तरीका?
ये भी पढ़े: इन राशि वालों को कम उम्र में ही मिल जाती है तरक्की
पाओलो मौरो ने कहा कि यह बहुत बड़ी वृद्धि है, लेकिन दूसरे उभरते बाजारों और उन्नत अर्थव्यवस्थाओं ने भी ऐसा ही अनुभव किया है। उन्होंने आगे कहा कि भारत के मामले में हमें उम्मीद है कि अर्थव्यवस्था में सुधार के साथ ऋण अनुपात धीरे- धीरे नीचे आएगा।

मध्यम अवधि में स्वस्थ आर्थिक वृद्धि के साथ ये घटकर 80% के स्तर तक आ सकता है।” एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि सबसे पहली प्राथमिकता लोगों और कंपनियों के लिए मदद जारी रखने की है, और खासतौर से सबसे कमजोर लोगों की मदद करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
मौरो ने उम्मीद जताई कि अगले साल भारत के आम बजट में घाटे को कम करने की कोशिश देखने को मिल सकती है। इस बीच आईएमएफ की प्रबंध निदेशक क्रिस्टालिना जॉर्जीवा ने कहा कि दुनिया दूसरे विश्व युद्ध के बाद सबसे बड़ी वैश्विक मंदी से जूझ रही है।
उन्होंने बुधवार को आईएमएफ और विश्व बैंक की वार्षिक की शुरुआत में कहा कि आगे हालात बेहतर होने की उम्मीद है, क्योंकि लाखों लोगों को टीकाकरण और नीतिगत समर्थन से फायदा मिल रहा है। उन्होंने कहा कि पिछले एक साल में कई असाधारण और मिलेजुले कदम उठाए गए।
ये भी पढ़े:तो समाजवादी पार्टी इस अंदाज में मनाएगी डॉ. भीमराव अम्बेडकर की जयंती
ये भी पढ़े: चुनाव प्रचार में मास्क पहनने को लेकर कोर्ट ने केंद्र और चुनाव आयोग से मांगा जवाब
Jubilee Post | जुबिली पोस्ट News & Information Portal
