जुबिली न्यूज़ डेस्क
लखनऊ. जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार की नागरिकता छीनने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट में दायर जनहित याचिका को अदालत ने खारिज कर दिया है. अदालत ने याचिका दायर करने वाले को कोर्ट का समय बर्बाद करने के लिए 25 हज़ार रुपये का जुर्माना भी लगाया है. हाईकोर्ट ने कहा है कि यह याचिका जनहित में नहीं सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए दायर की गई थी.
जस्टिस शशिकांत गुप्ता और जस्टिस शमीम अहमद की पीठ ने वाराणसी के रहने वाले नागेश्वर मिश्र की उस जनहित याचिका पर आज सुनवाई की जिसमें जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष और मुखर वक्ता कन्हैया कुमार की नागरिकता छीन लेने का आग्रह किया गया था.

हाईकोर्ट ने याची नागेश्वर मिश्र को फटकार लगाते हुए उस पर 25 हज़ार रुपये का जुर्माना ठोका है. जुर्माने की रकम 30 दिन के भीतर रजिस्ट्रार जनरल के ऑफिस में जमा करानी होगी. यह राशि एडवोकेट एसोसियेशन के खाते में जायेगी. यह राशि समय से जमा नहीं की गई तो डीएम वाराणसी को यह राशि याची से वसूलकर जमा करनी होगी.
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जनहित याचिका में कन्हैया पर आरोप लगाया गया था कि उन्होंने नौ फरवरी 2016 को जेएनयू परिसर में देशविरोधी नारे लगाए थे. इस आरोप के मुकदमे का ट्रायल चल रहा है लेकिन भारत सरकार ने इसके बावजूद कन्हैया की नागरिकता नहीं छीनी है. याचिका में कन्हैया पर यह आरोप भी लगाया गया कि पाकिस्तान के उकसाने पर देश की शान्ति भंग करने में जुटे हैं. अदालत ने कहा कि किसी व्यक्ति पर आपराधिक मुकदमा चलने पर उसकी नागरिकता नहीं छीनी जा सकती
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