
सोनल कुमार
अमरीका ने इस बात की पुष्टि कर दी है कि पहली मई तक कोरोना मरीजों की संख्या 1.1 मिलियन हो गई है. इसके अलावा इस महामारी की वजह से 64 हज़ार लोगों की मौत हो गई है.
बताया जाता है कि वर्ष 2019 में जब चीन में कोरोना वायरस ने अपने पाँव भी नहीं पसारे थे उसी समय डब्ल्यूएचओ और विश्व के बड़े नेताओं ने अमरीका को इस वैश्विक महामारी की संभावना के बारे में चेतावनी दे दी थी, लेकिन अमरीका ने चेतावनी के बावजूद पिछली महामारियों के अंजाम से कुछ भी नहीं सीखा. काफी पहले ही देश में आने वाली महामारी की चेतावनी के बावजूद अमरीका ने न तो कोरोना से निबटने के लिए डॉक्टरों को कोई वैक्सीन बनाने की सलाह दी और न ही देश में कोई ऐसी दीवार उठाने की ज़रुरत समझी जिसे पार कर महामारी अमरीका में प्रदेश न कर पाए.

इस महामारी की वजह से अमरीका पिछले दो महीनों में अपने ग्लैमरस जीवन के सबसे बुरे दौर से गुज़र रहा है. इस दौर में 16 मिलियन से अधिक लोगों की नौकरियां चली गईं. तमाम लोगों को इस बात का डर है कि यह खबर जल्द ही उनके पास भी आ सकती है. कंपनियां, रेस्तरां, होटल बंद हो रहे हैं. छात्रों को प्रतीक्षा करने के लिए कहा गया है; कॉलेज पास आउट इस बात का इंतज़ार कर रहे हैं कि यह बुरा दौर गुज़रे तो वह उन कम्पनियों के फैसले की जानकारी लें जहाँ उन्होंने अप्लाई किया था. सरकार ने कोरोना वायरस से निबटने के लिए राहत कोष में जो पैसे जमा कराये हैं. खर्च उससे कहीं ज्यादा है.
कोरोना वायरस की वजह से क्वारंटीन जीवन ने लोगों को कई तरह से प्रभावित किया है. भारतीयों के लिए अमरीका में अध्ययन और काम करना, नौकरी की सुरक्षा और अमरीका में रहने की योजना के बारे में सरकार की तरफ से कुछ भी स्पष्ट नहीं किया गया है.
अमरीका में शिक्षा प्राप्त करने के लिए जिन भारतीय छात्रों ने हजारों रुपये खर्च किए, वे सोच रहे हैं कि क्या प्रोफेसरों की ऑनलाइन कक्षाओं से वह मकसद पूरा हो पा रहा है जिसके लिए हज़ारों रुपये खर्च कर वह यहाँ तक आये. छात्रों का कहना है कि वह जब पढ़ाई के लिए पूरी फीस जमा कर रहे हैं तो फिर विश्वविद्यालय की तरफ से उन्हें शिक्षा भी तो उसी स्तर की मिलनी चाहिए. छात्रों को लगता है कि उन्हें वह नहीं मिल रहा है जिसके लिए उन्होंने भुगतान किया था.

अमरीका इन दिनों 1929 के बाद से अब तक की सबसे खराब अर्थव्यवस्था के दौर से गुज़र रहा है. महाशक्ति का राष्ट्रपति राज्यों से उन योजनाओं की सूची मांग रहा है जिसके ज़रिये वह अर्थव्यवस्था के सबसे खराब दौर में अपने पाँव पर फिर से खड़ा हो सके. अर्थव्यवस्था की रिकवरी आने वाले महीनों तक बेहद मुश्किल होगी. क्योंकि इस महामारी के दौर में व्यापार पूरी तरह से चौपट हो गए हैं. हालात ऐसे हैं कि देश को आर्थिक मंदी का सामना करना पद सकता है.
अमरीका में हालांकि कुछ शहरों को धीरे-धीरे खोलना शुरू कर दिया है. बाक़ी शहर इन खोले जा रहे शहरों के सामने आ रही चुनौतियों से सीखने की कोशिश कर रहे हैं. लोग यह बात अब समझने लगे हैं कि इस महामारी से बचने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग बहुत ज़रूरी है. अपनी खुद की सुरक्षा के लिए यह ज़रूरी है कि समुद्र तटों और पार्कों में जाने से सार्वजनिक सुरक्षा को खतरे में डालना है.
महामारियों पर हुए पिछले अध्ययनों ने साबित किया है कि क्वारंटीन जैसे उपायों को छोड़ने से संक्रमित मामले की गिनती में एक विस्फोट हो सकता है. अमरीका ने तय किया है कि इस प्रकार की स्थितियों से निबटने के लिए मध्य मार्च 2020 जिन उपायों को शुरू किया गया था, उन्हें जारी रखा जाएगा ताकि कोरोना महामारी को खत्म किया जा सके.
समय इस बात की पुष्टि करेगा कि आगे क्या होगा, लेकिन हम जानते हैं कि यह खत्म हो जाएगा, और जल्द ही खत्म हो जाएगा. लेकिन जब तक यह है तब तक इस महामारी से जूझ रहे लोगों की मानवीय आधार पर मदद का सिलसिला जारी रहना चाहिए.
(लेखक यूएसए में कार्यरत हैं और स्वतंत्र लेखन करती हैं )
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