Thursday - 11 January 2024 - 8:34 AM

किसानों की आत्महत्या को लेकर कितनी गंभीर है सरकार

न्यूज डेस्क

किसानों की आत्महत्या को लेकर सरकार कितनी गंभीर है, इसका सहज अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि सरकार के पास 2015 के बाद से आंकड़ा मौजूद नहीं है। एक ओर कर्ज के बोझ और घाटे की खेती की वजह से किसान आत्महत्या करने को विवश हैं तो दूसरी ओर सरकार किसानों का जीवन बेहतर करने का दावा कर रही है।


लोकसभा में सरकार की ओर से कृषि मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला ने कहा कि हमारे पास 2015 के बाद का डेटा नहीं है, क्योंकि नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) को अभी कुछ राज्यों से डेटा प्राप्त करना बाकी है।

उन्होंने कहा कि एनसीआरबी के पास डेटा आने के बाद इसकी जानकारी सदन को दी जाएगी। सरकार के इस जवाब पर कांग्रेस सांसद तरुण गोगोई ने आरोप लगाया कि किसानों के आत्महत्या के आंकड़े उपलब्ध नहीं करा कर सरकार डेटा छिपा रही है।

पिछले 20 साल में तकरीबन तीन लाख किसानों ने आत्महत्या कर ली और इस पर कोई शोर-शराबा नहीं हुआ। किसानों की आत्महत्याओं पर संसद में कृषि मंत्री बेतुका बयान देते हैं और सरकार इस पर चुप्पी साध लेती है।

यह भारत में ही संभव है कि इतनी संख्या में किसान आत्महत्या कर रहे हैं और किसी को कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। कोई दूसरा देश होता तो वहां की सरकार हिल जाती।

गृह मंत्रालय के उन आंकड़ों के मुताबिक जो लोकसभा के पटल पर पिछले साल रखे गए उनमें 2016 में भारत में 6,351 किसानों/ खेती करने वालों ने खुदकुशी की है। यानी हर रोज 17 किसानों ने खुदकुशी की है। यदि आंकड़ों पर नजर डालें तो पता चलता है कि 2015 में यह आंकड़ा 8,007 यानी हर दिन 22 किसान आत्महत्या कर रहे थे। यानी खुदकुशी के आंकड़ों में 21 फीसदी की गिरावट है।

वर्ष 2015 तक किसानों की खुदकुशी की रिपोर्ट अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो उसके वेबसाइट पर मौजूद है लेकिन 2016 से लेकर 2019 तक की कोई रिपोर्ट प्रकाशित नहीं की गई है।

किसानों की मौत के आकंड़े में झोल

किसानों की मौत का आंकड़ा स्पष्ट नहीं है। केंद्र सरकार के आंकड़े राज्य सरकारों के आंकड़ों से मिलते नहीं। अगर महाराष्ट्र सरकार के रिहैबिलिटेशन एंड रिलीफ डिपार्टमेंट के अनुसार अकेले महाराष्ट्र में 2015 से 2018 के चार साल में 12,004 किसानों ने खुदकुशी की, जबकि अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार 2010 से 2014 के पांच साल में सिर्फ महाराष्ट्र में ही 8,009 किसानों ने ही अपनी जान दे दी।

आंध्र प्रदेश में 1,513 किसानों ने की आत्महत्या

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने को बताया कि राज्य में 2014 से 2019 के दौरान 1,513 किसानों ने आत्महत्या की, जबकि 391 परिवारों को ही अनुग्रह राशि (मुआवजा) दिया गया।

उन्होंने कहा, ‘राज्य में जिला अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़े के अनुसार 2014-19 के दौरान 1,513 किसानों ने आत्महत्या की लेकिन सिर्फ 391 मामलों में ही अनुग्रह राशि दी गयी।’  उन्होंने कलेक्टरों को निर्देश दिया कि वे इन आंकड़ों की पुष्टि करें और इसके हकदार सभी पीडि़त परिवारों को तत्काल मुआवजा दिया जाए।

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