
न्यूज डेस्क
महाराष्ट्र में एक महीने के जद्दोजहद के बाद उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस की सरकार बन गई लेकिन आए दिन कोई न कोई मसला लगा ही रह रहा है। कभी शिवसेना के विधायक नाराज होते हैं तो कभी सहयोगी दलों के।
महाराष्ट्र में एक बार फिर शिवसेना के विधायकों की नाराजगी की खबरें आ रही है। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री नारायण राणे ने दावा किया है कि महाराष्ट्र के 56 शिवसेना विधायकों में से 35 अपने पार्टी नेतृत्व से असंतुष्ट हैं।
11 जनवरी की रात एक समारोह में पत्रकारों से बात करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री राणे ने यह बात कही। वह वर्तमान में भाजपा के राज्यसभा सांसद हैं।
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राणे ने उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली सरकार को नकारा सरकार कहा। उन्होंने कहा कि शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) औ को राज्य में सरकार बनाने में पांच हफ्ते से ज्यादा समय लग गए।
उन्होंने विश्वास जताते हुए कहा कि बीजेपी की महाराष्ट्र की सत्ता में वापसी होगी। बीजेपी के 105 विधायक हैं और शिवसेना के केवल 56। उनमें से 35 असंतुष्ट हैं। ठाकरे सरकार पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि किसानों के लिए कर्ज माफी का ठाकरे सरकार का वादा खोखला है। इसे कब लागू किया जाएगा इस पर कोई समय सीमा नहीं है।
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9 जनवरी को मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की औरंगाबाद यात्रा का जिक्र करते हुए भाजपा सांसद राणे ने कहा कि वह किसी भी योजना की घोषणा किए बिना या क्षेत्र को कोई धनराशि दिए बिना वापस आ गए। ऐसी सरकार से हम क्या उम्मीद कर सकते हैं? उन्हें सरकार चलाने के बारे में कुछ भी नहीं पता है। उन्हें सरकार बनाने में पांच हफ्ते लग गए। इससे पता चलता है कि वे कैसे सरकार चलाएंगे।
वहीं बीजेपी और राज ठाकरे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के बीच गठबंधन की अटकलों पर टिप्पणी करने से इनकार करते हुए उन्होंने कहा कि केवल बीजेपी प्रमुख ही इस पर बोलेंगे।
गौरतलब है कि पिछले दिनों राज ठाकरे ने राज्य के पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात की थी। इसी के बाद से मनसे और भाजपा की गठबंधन की अटकलें लगनी शुरू हो गई थीं। हालांकि, राज ठाकरे ने इसका खंडन किया। उन्होंने कहा कि दोनों पार्टियों की विचारधारा अलग है।
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