
राजेन्द्र कुमार
17वी लोकसभा के गठन को लेकर आज देश के लोगों ने पहला कदम बढ़ाया। इसके तहत देश के 20 राज्यों में 91 सीटों के लिए आज वोट डाले गए। इन 91 सीटों में आठ सीटें उत्तर प्रदेश की भी हैं। पश्चिम उत्तर प्रदेश की इन आठ सीटों पर बीजेपी ने वर्ष 2014 में जीत हासिल की थी। अब देखना यह है कि 17वी लोकसभा के गठन को लेकर बढ़ाया गया पहला कदम किसके लिए शुभ होगा।
देश के अन्य राज्यों में मतदान का रुख किस दल के लिए कैसा रहा? इस बारे में देर रात तक स्थित साफ हो पायगी, लेकिन यूपी में आज हुए मतदान में बीजेपी के पक्ष में वर्ष 2014 जैसी हवा नहीं दिखी।
बीजेपी को राज्य की आठों सीटों में से सात पर सपा-बसपा और रालोद गठबंधन से जूझना पड़ा, जबकि सहारनपुर सीट पर उसे गठबंधन के अलावा कांग्रेस से भी चुनौती मिली। इन आठ सीटों पर बीजेपी को मिली चुनौती के चलते मोदी सरकार के तीन मंत्रियों को अब 23 मई तक अब ठीक से नीद नहीं आएगी।
मुजफ्फरनगर सीट से चुनाव लड़े बीजेपी के संजीव बालियान की भी कमोवेश यही स्थित है, जिसके चलते उन्होंने बीच मतदान बुर्के की आड़ में हो रही फर्जी वोटिंग का सवाल खड़ा किया। कहा जा रहा है कि उन्होंने गठबंधन के पक्ष में हो रहे मतदान को प्रभावित करने के लिए ऐसा बयान दिया। खैर जो भी हो पहले चरण के मतदान में बीजेपी के लिए ज्यादा उत्साह वाली खबर आज नहीं रही है। मेरठ और बिजनौर सीट पर भी बीजेपी के पास खुश होने की कोई वजह नहीं है।
अब जिक्र मतदान से हटकर
मतदान से परे आज के चुनाव के दौरान दो बयान चर्चा में रहे। पहला बयान सोनिया गांधी का रहा। सोनिया गांधी ने रायबरेली में पूजा-हवन के बाद एक रोड शो किया। इस दौरान कहा कि बीजेपी को 2004 याद रखना चाहिए। 2004 में वाजपेयी भी अजेय दिखते थे लेकिन जीत कांग्रेस की हुई थी। मोदी भी अजेय नहीं है।
इसके बाद दूसरा बयान बीएसपी के सतीश चंद्र मिश्रा का आया है। जिसमें उन्होंने आरोप लगाया है कि पुलिस की मिलभगत से दलित वोटरों को बूथ तक पहुंचने से रोका गया है। बीएसपी ने चुनाव आयोग से इसकी लिखित शिकायत भी की है।
यूपी की चुनावी सरगर्मी ने इन दोनों बयानों का असर दिखेगा। यह तय है। बीजेपी इस पर प्रतिक्रिया देगी। पर इसके लिए इंतजार करना होगा क्योंकि सोनिया गांधी के बयान का जवाब बीजेपी से पीएम मोदी दें या किसी मंत्री से बयान दिलवाया जाय अभी यह तय होना है।
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