जुबिली न्यूज़ ब्यूरो
नई दिल्ली. बिहार के भोजपुर में फेसबुक एक परिवार के लिए खुशियाँ लाने वाला प्लेटफार्म साबित हुआ. इस परिवार की एक महिला सदस्य आठ साल पहले बिछड़ गई थी जिसे फेसबुक ने फिर से मिलवा दिया. इस महिला की मानसिक स्थिति ठीक नहीं थी और यह अचानक से गायब हो गई थी. घर वाले उसे ढूंढ-ढूंढकर थक गए और फिर इस मामले को ऊपर वाले के भरोसे छोड़कर बैठ गए.
भोजपुर की इस महिला का नाम वंदना है. वन्दना 2013 में लापता हो गई थी. घर वालों ने पहले खुद इसकी तलाश की फिर पुलिस के पास एफआईआर भी कराई लेकिन उसका कुछ भी पता नहीं चल पाया.

वन्दना भोजपुर से भटकते-भटकते पता नहीं कैसे वाराणसी पहुँच गई. वाराणसी में लोगों ने देखा कि उसकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं है. कुछ लोगों ने उसे लावारिसों की देखरेख करने वाले आश्रम अपना घर में पहुंचा दिया. इस आश्रम को जब वंदना मिली तो उसका एक हाथ बुरी तरह से घायल था. आश्रम ने उसका इलाज करवाया. वहां रहते-रहते वंदना उसी को अपना घर मानने लगी. एक दिन उसने बताया कि वह बिहार के भोजपुर की रहने वाली है.
अपना घर आश्रम ने भोजपुर के हसन बाज़ार थाने को सूचना देकर मदद माँगी. इसके अलावा आश्रम की ओर से फेसबुक पर वंदना की तस्वीर डालकर बताया गया कि यह महिला खुद को भोजपुर का बताती है. यह तस्वीर वंदना के घर तक जा पहुंची. वंदना का बेटा और दामाद वाराणसी स्थित अपना घर आश्रम पहुंचे. अपनी माँ को सामने देखकर बेटा रो पड़ा. वंदना भी भावुक हो गई. आश्रम ने वन्दना को उसके परिवार को सौंप दिया है.
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