Monday - 22 January 2024 - 6:48 PM

पुलिस बल के साथ चुनाव अधिकारी पहुंचे शाहीन बाग

न्यूज डेस्क

दिल्ली का शाहीन बाग का विरोध प्रदर्शन ही दिल्ली विधानसभा चुनाव में बड़ा मुद्दा बन गया है। नागरिक संसोधन काननू के विरोध में डेढ़ माह से यहां आम महिलाएं आंदोलन कर रही है। भारतीय जनता पार्टी ने इस प्रदर्शन को मुद्दा बना दिया है।  शाहीन बाग में लोगों का आना-जाना लगा हुआ है। इस आंदोलन के समर्थन में कई बड़ी हस्तिया यहां आ चुकी हैं।

फिलहाल शुक्रवार को चुनाव आयोग के अधिकारी पुलिस बल के साथ शाहीन बाग पहुंचे। दरअसल चुनाव आयोग की टीम यहां पर चुनाव की तैयारियों का जायजा लेने के लिए गई है। चुनाव अधिकारी प्रदर्शनकारियों से भी बातचीत करेंगे।

चुनाव आयोग के ऑब्जर्वस के साथ-साथ यहां पर जिला मतदान अधिकारी, सुरक्षा पर्यवेक्षक, माइक्रो ऑब्जर्वर्स भी शाहीन बाग पहुंचे हैं। चुनाव आयोग की टीम शाहीन बाग और जामिया इलाके में पोलिंग बूथ लगाने की तैयारियों को जांचेगी। इन लोगों के साथ दिल्ली के मुख्य चुनाव आयुक्त रणबीर सिंह भी शाहीन बाग पहुंचे हैं।

मालूम हो कि शाहीन बाग में 46 दिन से शाहीन बाग में आंदोलन चल रहा है, लेनिक गुरुवार शाम को यहां पर अचानक हलचल बढ़ गयी। ऐसी खबर आई थी कि शाहीन बाग के प्रदर्शनकारी एक रास्ता खोल सकते हैं। रात 11 बजे एक प्रेस कांफ्रेंस भी बुलाई गई थी। हालांकि, जब प्रदर्शनकारियों के बीच इस बात को लेकर सहमति नहीं बनी तो प्रेस कॉन्फ्रेंस को रद्द कर दिया गया।

शाहीन बाग में प्रदर्शन भले ही केंद्र सरकार के द्वारा लाए गए नागरिकता संशोधन एक्ट के खिलाफ हो रहा हो, लेकिन ये मुद्दा दिल्ली विधानसभा चुनाव में अहम मुद्दा बन गया है। बीजेपी द्वारा लगातार शाहीन बाग को राजनीतिक धरना बताया जा रहा है और कहा जा रहा है कि इसके पीछे आम आदमी पार्टी, कांग्रेस का हाथ है।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के द्वारा अपनी सभाओं में अपील की जा रही है कि दिल्ली के चुनाव इस बात का फैसला करेंगे कि लोग शाहीन बाग के साथ हैं या फिर भारत माता के साथ। अमित शाह के अलावा बीजेपी के कई नेता शाहीन बाग के प्रदर्शन पर आक्रामक बयानबाजी कर चुके हैं।

हालांकि,इसके इतर शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों का कहना है कि जब तक सरकार या भाजपा का कोई प्रतिनिधि आकर उनसे नागरिकता संशोधन एक्ट पर चर्चा नहीं करता है तबतक वो पीछे नहीं हटेंगे। प्रदर्शनकारियों की ओर से सीएए को अल्पसंख्यक विरोधी, संविधान विरोधी बताया जा रहा है।

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