जुबिली न्यूज डेस्क
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के खिलाफ चुनाव आयोग ने एफआईआर दर्ज करने का आदेश जारी किए हैं। कमलनाथ पर आरोप है कि उन्होंने साल 2019 के लोकसभा चुनाव में पैसों का गलत इस्तेमाल किया था। चुनाव आयोग ने पूर्व सीएम कमलनाथ के खिलाफ कार्रवाई करने का आदेश दिल्ली स्थित मुख्यालय में 106 करोड़ रुपए की नगदी के गलत लेनदेन मामले में की गई है।
इतना ही नहीं, चुनाव आयोग ने मध्य प्रदेश के मुख्य चुनाव अधिकारी को कमलनाथ के अलावा तीन आईपीएस अधिकारियों और अन्य लोगों के खिलाफ भी आपराधिक मामला दर्ज करने के लिए कहा है, जिनकी 2019 के आम चुनावों के दौरान काले धन के इस्तेमाल में कथित भूमिका सामने आई थी।

सूत्रों के मुताबिक सीनियर आईपीएस अफसर सुशोभन बैनर्जी, संजय माने, बी. मधुकुमार व राज्य पुलिस सेवा के अरुण मिश्रा के खिलाफ तत्काल FIR दर्ज होगी। इसके बाद जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ेगी वैसे-वैसे कुछ और वीआईपी लोगों के खिलाफ मामले दर्ज होंगे। इस गड़बड़ी में महिला बाल विकास विभाग का नाम भी आ रहा है, जिसकी मंत्री इमरती देवी थीं।
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गौरतलब है कि इमरती देवी उन विधायकों में से एक है जिन्होंने कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा देकर बीजेपी ज्वाइन कर लिया था। जिसके बाद कमलनाथ सरकार गिर गई थी। इमरती देवी शिवराज सरकार में भी मंत्री थी लेकिन उपचुनाव में हार मिलने के बाद उन्हें अपने मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था।

कमलनाथ सरकार के दौरान उनके सलाहकार रहे राजेंद्र मिगलानी, रिश्तेदार रतुल पुरी की कंपनी मोजर बियर के लोगों, ओएसडी रहे प्रवीण कक्कड़, इंदौर के हवाला कारोबारी ललित कुमार छजलानी, कांट्रेक्टर अश्विनी शर्मा, प्रतीक जोशी व हिमांशु शर्मा के यहां छापा पड़ा था। इस दौरान बड़ी मात्रा में लेन-देन के दस्तावेज, 93 करोड़ के ट्रांजेक्शन और चार करोड़ रुपए की बरामदगी हुई थी।
छापे में कांग्रेस मुख्यालय को भी 20 करोड़ रुपए भेजने के दस्तावेज मिले थे। दस्तावेजों में प्रदेश के कई तत्कालीन मंत्रियों, विधायकों और लोकसभा उम्मीदवारों के साथ लेन-देन का भी उल्लेख था। इस बात के भी दस्तावेज मिले कि अफसरों के जरिए परिवहन, महिला एवं बाल विकास, खनिज, पीडब्ल्यूडी, नगरीय विकास जैसे विभागों में लेन-देन हुआ। सूत्रों के मुताबिक कुछ पुलिस अधिकारियों ने तो अपनी गाड़ी में पैसा का मूवमेंट किया।
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आयोग की रिपोर्ट एमपी के मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस के पास पहुंच गई है। रिपोर्ट के मुताबिक आयोग ने CBDT के हवाले से कहा है कि 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान भारी मात्रा में अघोषित धन का ट्रांजेक्शन हुआ। तब राजनीतिक दल के नाम पर कुछ लोगों ने बड़ी रकम एकत्र की। छापों में मिले दस्तावेज व सबूतों के आधार पर प्रथम दृष्टया यह दिखता है कि राजनेताओं व कुछ अफसरों ने सिंडीकेट की तरह अवैध नगदी जुटाकर लेन-देन किया।
चुनाव आयोग ने 28 अक्टूबर 2020 को मप्र के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी को CBDT की रिपोर्ट के साथ पत्र भेजा था ताकि छापों में आए नामों के खिलाफ आपराधिक केस दर्ज कराए। यह भी कहा था कि EOW में FIR दर्ज हो। तब से यह रिपोर्ट पड़ी हुई है। अप्रैल 2019 में भोपाल, मप्र और दिल्ली के 52 ठिकानों पर आयकर विभाग ने छापा मारा था।
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प्रदेश सरकार EOW में FIR दर्ज करती है तो इसके कुछ दिनों बाद ही केस में प्रवर्तन निदेशालय (ED) की एंट्री हो जाएगी। यह मामला बड़े पैमाने पर नगदी के लेन-देन और ट्रांजेक्शन का है। यह भी संभावना है कि ED के साथ CBI भी भ्रष्टाचार की जांच करने के लिए सामने आएगी।
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