Sunday - 7 January 2024 - 9:27 AM

सरकारी अनदेखी से किसानों को होता है सालाना 63 हजार करोड़ का नुकसान

जुबिली न्यूज डेस्क

नये कृषि कानून के खिलाफ देश भर के किसान सड़कों पर है। वह इस बिल का विरोध कर रहे हैं। वह अपनी फसलों को लेकर डरा हुए है।

उनकी चिंता यूं ही नहीं है। देश में खेती-किसानी वैसे भी फायदे का सौदा कभी नहीं रहा है। किसानों की हमेशा से शिकायत रही है कि उनकों फसलों की उचित कीमत कभी नहीं मिलती है। सरकारों को उनकी समस्याओं से कभी लेना-देना नहीं रहा है।

किसान अपनी उपज काट तो लेता है, लेकिन न तो मंडियों तक पहुंचा पाता है और ना ही कोल्ड स्टोरेज तक। भारत के किसानों को हर साल लगभग 63 हजार करोड़ रुपए का नुकसान इसलिए हो जाता है, क्योंकि वे अपनी उपज बेच ही नहीं पाते।

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सबसे दिलचस्प बात यह है कि इस राशि से लगभग  30 फीसदी अधिक खर्च करके सरकार किसानों को इस नुकसान से बचा सकती है, पर ऐसा होता दिख नहीं रहा।

किसानों को हर साल होने वाले नुकसान का खुलासा तीन साल पहले केंद्र सरकार द्वारा किसानों की आय दोगुना करने के लिए बनाई गई दलवाई कमेटी ने किया था।

दलवाई कमेटी के अनुसार फलों और सब्जियों के उत्पादन पर खर्च करने के बाद जब फसल को बेचने का समय आता है तो अलग-अलग कारणों के चलते यह फसल बर्बाद हो जाती है। इसके चलते किसानों को हर साल 63 हजार करोड़ रुपए का नुकसान होता है।

दिलचस्प बात यह है कि देश भर में कोल्ड चेन इंफ्रास्ट्रक्चर पर जितना खर्च किया जाना चाहिए, उसका 70 फीसदी नुकसान किसान को एक साल में हो जाता है।

दरअसल फल और सब्जियों की बर्बादी का कारण कोल्ड चेन (शीत गृह) की संख्या में कमी, कमजोर इंफ्रास्ट्रक्चर, कोल्ड स्टोरेज की कम क्षमता, खेतों के निकट कोल्ड स्टोरेज का न होना है।

कमेटी के अनुसार किसानों को लगभग 34 फीसदी फल, 44.6 फीसदी सब्जी और 40 फीसदी सब्जी व फल दोनों का जितना आर्थिक लाभ मिलना चाहिए, उतना नहीं मिल पाता।

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देशभर में हैं 8186 कोल्ड स्टोरेज

संसद में 23  सितंबर 2020 को दी गई जानकारी के अनुसार देश भर में कुल 8186 कोल्ड स्टोरेज हैं। इसकी क्षमता 374.25 लाख टन है। इसके बावजूद कोल्ड स्टोरेज तक किसानों की उपज नहीं पहुंच पाती और खराब हो जाती है।

दलवाई कमेटी का कहना था कि पेक हाउस, रिफर ट्रक, कोल्ड स्टोरी और कटाई केंद्रों के बीच एकीकरण न होने के कारण किसानों को नुकसान झेलना पड़ता है।

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कमेटी ने सरकार को सुझाया था कि 89,375 करोड़ रुपए का निवेश करके पूरा नेटवर्क तैयार किया जा सकता है, जिससे किसानों को हर साल होने वाले इस नुकसान से बचा जा सकता है।

मालूम हो कि देश में फलों और सब्जियों का उत्पादन, खाद्यान्न से आगे निकल गया है। कृषि मंत्रालय द्वारा हाल ही में जारी एक बयान में कहा गया है कि वर्ष 2019-20 के दौरान 320.48 मिलियन टन बागवानी फसलों का रिकॉर्ड उत्पादन का अनुमान लगाया गया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 3.13 फीसदी अधिक है।

वर्ष 2018-19 में देश में 310.74 मिलियन टन बागवानी फसलों का उत्पादन हुआ था।

लेकिन इतना उत्पादन होने के बाद भी किसान को आर्थिक फायदा इसलिए नहीं मिल पाता, क्योंकि वे अपनी उपज बेच नहीं पाते और ना ही सुरक्षित रख पाते हैं।

भारत सरकार का दावा है कि भारत दुनिया में सब्जियों और फलों का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है, लेकिन यह गौर करने वाली बात है कि फसल पैदा होने के बाद होने वाली बर्बादी की वजह से फल और सब्जियों की प्रति व्यक्ति उपलब्धता काफी कम है।

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