पृथ्वी सिंह
हाल के दिनों में ऐसा देखा गया है कि विभिन्न शहरों और गांवों में ड्रोनों के उड़ने, निगरानी करने और उनका इस्तेमाल चोरी में होने की खबरें निरंतर सुनने को मिल रही हैं, जिससे जनसाधारण में डर का माहौल और दुष्प्रचार बहुत तेजी से फैल रहा है।
नई तकनीकों की पहुँच और उनके प्रयोग सामान्य जीवन में हमेशा से ही सकारात्मक और नकारात्मक दोनों ही प्रकार के प्रभाव डालते रहे हैं।
खास तौर पर जब किसी नई तकनीक का परिचय सामान्य व्यक्तियों से होता है, तो वह उसे स्तब्ध और चकित कर देती है, और लोगों के मन में सबसे पहली प्रतिक्रिया यही होती है कि कहीं इससे हमें खतरा तो नहीं?
जैसे हालिया दिनों में हम सभी जेनरेटिव ए.आई. आधारित एप्स के नए-नए प्रयोगों से परिचित हुए हैं, जैसे कि जेमिनी के नैनो बनाना और चैट जीपीटी में डिटेल में लिखे गए प्रॉम्प्ट, जिनमें फोटो को किस तरीके से बनाना है और अपनी कोई भी फोटो का सैंपल देकर हम किसी भी शक्ल की फोटो किसी भी अंदाज में जेनरेट कर सकते हैं।
ये प्रयोग लोगों को आश्चर्यचकित करते हैं, लेकिन उनके मन में यह शंका भी उत्पन्न करते हैं कि कहीं ये प्रयोग उनके प्राइवेसी में खतरा तो नहीं पैदा कर रहे। अक्सर देखा गया है कि नई तकनीकें और उनके प्रयोग आम जनमानस में असुरक्षा की भावना उत्पन्न करते हैं। उसी प्रकार, ड्रोनों को कस्बों, गांवों और देहातों में देखे जाने की खबरों से लोगों के मन में असुरक्षा की भावना उत्पन्न हुई है। जो लोग अशिक्षित हैं या तकनीकी नवाचारों से बेखबर हैं, वे उन्हें चोरी का साधन या हवा में उड़ती विचित्र और चमत्कारिक वस्तु समझ रहे हैं। वहीं दूसरी ओर, जो इन तकनीकों से रूबरू हैं, वे घरों की छतों और आंगन में झांकते व निगरानी करते इन ड्रोनों को अपनी निजता के अधिकार में घुसपैठ मान रहे हैं।
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ड्रोनों की उड़ने की खबरों को कई समाचार पत्रों और फैक्ट-चेकर्स ने झूठ या अफवाह की श्रेणी में रखा है, परंतु जिस प्रकार हवाई जहाज की यात्रा में हथियार होने की झूठी खबर मात्र से यात्रियों के मन में डर का माहौल उत्पन्न हो जाता है और पूरी हवाई यात्रा बाधित हो जाती है, उसी प्रकार इन टोही व निगरानी करते ड्रोनों की उड़ने की खबरों ने आम जनमानस के मन में भ्रम और भय का माहौल उत्पन्न किया है।
उत्तर प्रदेश के कई शहरों में चोरों और अपराधियों ने चोरी के नए साधनों, तकनीकों और तरीकों का सहारा लिया है। वे अब रेकी के लिए ड्रोन और नाइट विज़न जैसी आधुनिक तकनीकों का प्रयोग करने लगे हैं।
गौरतलब है कि विभिन्न समाचार-पत्रों ने ऐसे चोरों को ‘ड्रोन-चोर’ नामक संज्ञा भी दी है। इन चोरों द्वारा ड्रोन के उपयोग से गांवों और शहरों में डर का माहौल देखा गया है और साथ ही यह पुलिस और प्रशासन की मुश्किलों को और भी बढ़ा रहा है।
क्या कहता है भारत में ड्रोन संबंधित कानून?
भारत में ड्रोन विनियमों के अनुसार, नैनो श्रेणी के ड्रोन को छोड़कर अन्य सभी मध्यम और बड़े ड्रोनों को उड़ाने के लिए अनिवार्यतः ‘डिजिटल स्काई’ प्लेटफॉर्म पर पंजीकरण कराना पड़ता है। बड़े ड्रोनों को उड़ाने के लिए ऑपरेटरों को रिमोट पायलट सर्टिफिकेट की आवश्यकता भी होती है।
भारतीय ड्रोन नियम यह सुनिश्चित करते हैं कि ड्रोनों को वजन के आधार पर वर्गीकृत किया जाए और उन्हें जमीन से 120 मीटर (400 फीट) की दूरी तक दृश्य रेखा में ही रखा जाए। साथ ही, उन्हें हवाई अड्डों और संवेदनशील सरकारी स्थलों जैसे नो-फ्लाई ज़ोन से दूर रखा जाना चाहिए।
ऑपरेटर को ‘नो परमीशन-नो टेक ऑफ’ नीति का पालन करना और प्रत्येक उड़ान से पहले ‘डिजिटल स्काई’ एप के माध्यम से अनुमति लेना अनिवार्य है। परंतु अभी तक 250 ग्राम से कम वजन वाले नैनो ड्रोन के लिए कोई नियमावली लागू नहीं की गई है।
ड्रोनों के इस्तेमाल और उनके उड़ाने के स्थान व सीमाओं पर पुलिस, प्रशासन और नीति-निर्माताओं को एक बार पुनः विचार करने की आवश्यकता है।
अन्यथा, इसे नज़रअंदाज़ करने से नए खतरे उत्पन्न हो सकते हैं। साथ ही, लोगों को यह समझना होगा कि आपका अधिकार केवल उसी तक सीमित है जहाँ तक किसी अन्य व्यक्ति के अधिकारों का हनन न हो। इसी बात को ध्यान में रखकर किसी भी प्रकार की तकनीक का उपयोग करना चाहिए, चाहे वह ड्रोन हो या ए.आई।
(लेखक पृथ्वी सिंह दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययन विभाग में शोध अध्येता हैं)