Friday - 19 January 2024 - 8:55 PM

लोगों में बढ़ता असंतोष है ‘मॉब लिंचिंग’ की असल वजह

न्यूज़ डेस्क।

‘मॉब लिंचिंग’ को लेकर एकबार फिर से सियासी माहौल गरमाया हुआ है। देशभर में इस तरह की घटनाओं में अचानक हुई बढ़ोत्तरी ने हमारे सामाजिक ताने-बाने पर प्रश्न चिन्ह खड़ा कर दिया है। सामाजिक कार्यकर्ताओं का मानना है कि, अगर इस तरह ही ये घटनाएं होती रहीं और जल्दी इन पर कोई रोक नहीं लगी तो आने वाले समय में परिणाम और भी भयावह होंगे।

बता दें कि, दिल्ली में मॉब लिंचिंग का एक मामला समाने आया है। आदर्श नगर के लाल बाग इलाके में घर में घुसे नाबालिग की भीड़ ने पीट पीटकर हत्या की दी। घटना शुक्रवार सुबह की है। पुलिस ने गैर इरादतन हत्या की धारा में मुकदमा दर्ज कर 6 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस का कहना है कि हालांकि अभी तक यह साफ नहीं हो पाया है कि पीड़ित चोरी करने गया था या नहीं।

वहीं गुरुवार को नरेला में भी ऐसी घटना देखने को मिली थी। यहां चोरी के शक में एक शख्स की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी। इन दोनों ही घटनाओं के बाद ‘मॉब लिंचिंग’ पर फिर से बहस शुरू हो गई है।

‘मॉब लिंचिंग’ की घटना को सामन्यतः लोग एक धर्म और विशेष समुदाय से जोड़कर ही देखते हैं। लेकिन वास्तव में इस तरह की घटनाओं के पीछे की असल वजह कुछ और ही है।

हाल ही में भाजपा सांसद मीनाक्षी लेखी ने लोकसभा में कहा कि देश में हो रही पीट-पीटकर हत्याओं (लिंचिंग) की घटनाओं की वजह आर्थिक विषमता है। सदन में शून्यकाल के दौरान लेखी ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को ‘भीड़तंत्र’ के बारे में टिप्पणी की। उन्होंने बंगाल के प्रवासी मजदूर मानिक रॉय और केरल में एक आदिवासी युवक मधु का उदाहरण देते हुए कहा कि पीट-पीटकर हत्या करने के ये मामले आर्थिक मुद्दों से जुड़े हुए हैं।

भाजपा सांसद की इस बात को कुछ मामलों में सही माना जा सकता है। लेकिन ‘मॉब लिंचिंग’ के लिए सिर्फ आर्थिक विषमता को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। क्योंकि अगर ऐसा होता तो फिर इन घटनाओं की संख्या और भी अधिक होती।

सामाजिक कार्यकर्ता डॉ अभिनन्दन सिंह ने बताया कि, ‘मॉब लिंचिंग’ करने वाले लोग वो हैं जो विवेकहीन है। ये लोग कई बार किसी के भड़काने या अफवाह में फंस कर घटना को अंजाम दे डालते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि व्यक्ति के अन्दर उपजा असंतोष प्रमुख रूप से इस तरह की घटनाओं को अंजाम दिलवाने का कारण है।

डॉ अभिनन्दन के मुताबिक, यह असंतोष किसी भी प्रकार का हो सकता है। असंतोष व्यवस्था, सरकार, समाज या फिर निजी कारणों को लेकर भी हो सकता है। व्यक्ति में जितना असंतोष होगा, उसमें उतनी ही उत्तेजना भी होगी और यही उत्तेजना व्यक्ति को विवेक शून्य कर देती है। जिसके परिणामस्वरूप ‘मॉब लिंचिंग’ जैसी घटनाएं होती हैं।

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