Monday - 15 January 2024 - 3:21 PM

क्या सच में हताश हैं अखिलेश

हेमेंद्र त्रिपाठी

समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व सीएम अखिलेश यादव लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद अपने कार्यकर्ताओ में दोबारा जोश भरने के लिए लगातार कोशिश कर रहे हैं। 2022 में यूपी की सत्ता में वापसी का लक्ष्य लेकर सपा सुप्रीमो लगातार जिलों में दौरे कर रहे हैं और अपने संगठन को मजबूत करने के लिए वातानुकूलित सियासत को छोड़कर जनता के बीच जाना भी शुरू कर दिया है।

लेकिन इस बीच दूसरे दल के नेता लगातार उन पर हताश और निराश होने का तंज कस रहे हैं। इसकी वजह लोकसभा चुनाव में करारी हार, गठबंधन का टूटना, मुलायम की बीमारी और शिवपाल का सपा में वापसी से मना करना बताया जा रहा है।

माना जा रहा है कि सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव की सियासी जमीन पर खड़े अखिलेश अभी तक समाजवादी कार्यकर्ताओं और यादव वोटरों का विश्‍वास नहीं जीत पाए हैं। लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार इस बात का सबूत है। इस बात को अखिलेश भी समझ गए हैं, इसीलिए उन्‍होंने संगठन में पूराने कार्यकर्ताओं को प्राथमिकता देने की बात कही है।लेकिन इस बीच लेकिन विधानसभा और लोकसभा चुनाव में हार और परिवार में बिखराव के बाद अखिलेश चेहरे पर निराशा साफ देखी जा सकती है।

लोकसभा चुनाव में करारी हार

लोकसभा चुनाव से पहले बीते कई सालों की दुश्मनी भूला कर सपा और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने गठबंधन किया, लेकिन चुनाव में सपा को बुरी हार झेलनी पड़ी। 37 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ रही सपा को इस बार मात्र पांच सीट ही जीत सकी। अखिलेश इस चुनाव सपा के गढ़ कहे जाने वाली कन्नौज और बदायूं की सीट भी नहीं जीता पाए। वहीं, बसपा ने इस चुनाव में पिछले लोकसभा चुनाव से बेहतर प्रदर्शन किया और 10 सीटें जीतने में कामयाब रही। जबकि पिछली बार उसके लिए खाता भी नहीं खुला था।

गठबंधन का टूटना

गठबंधन के बदौलत बसपा ने लोकसभा चुनाव में 10 सीटें जीती। लेकिन मायावती ने चुनाव खत्‍म होने के बाद अखिलेश यादव से नाता तोड़ लिया। साथ ही ये आरोप भी लगाया कि अखिलेश यादव वोट को बीजेपी में जाने से नहीं रोक पाए।

मुलायम की बीमारी

बीते एक हफ्ते में सपा के पूर्व अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव गंभीर बीमारी के चलते दो बार हॉस्पिटल में भर्ती हुए। हाई ब्लड प्रेशर के चलते उन्हें राम मनोहर लोहिया में भर्ती कराया गया। हालांकि, उन्हें रूटीन चेकअप के बाद अस्पताल से छुटी दे दी गई। इसके बाद उन्हें देखने प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ पहुंचे थे। हालांकि, उसके दो दिन बाद ही हालत गंभीर होने पर उन्हें दिल्ली के एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

शिवपाल की वापसी न होना

लोकसभा चुनाव में हार के बाद मुलायम सिंह ने एक बार सामने आये और पार्टी की कमान अपने हाथों में ली। इस दौरान उन्होंने अपने भाई और प्रसपा अध्यक्ष शिवपाल यादव को भी पार्टी में शामिल होने और अखिलेश के बीच मनमुटाव को दूर करने की कोशिश की। लेकिन उनकी यह कोशिश नाकाम हो गयी और शिवपाल ने सपा में शामिल होने से मना कर दिया और 2022 का विधान चुनाव अकेले लड़ने का फैसला किया।

डिप्टी सीएम का तंज

विरोधी अखिलेश की स्थिति को अच्‍छे से समझ रहे हैं। इसी लिए डिप्‍टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या ने अखिलेश यादव पर तंज कसा और कहा कि बुआ के अलग होने पर बबुआ हताश और निराश है। इसीलिए उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था बहुत अच्छी चल रही है अपराधी या तो जेल के अंदर है या तो अपराध करने से डर रहा है। साथ ही वो इतने खौफ में है कि वो यूपी से बाहर भाग रहे है या फिर अपनी जमानत रद्द कराकर जेल के अंदर रहकर अपने आप को सुरक्षित महसूस कर रहे है।

इसके अलावा डिप्टी सीएम ने कहा कि अखिलेश यादव दर्द में हैं। उनके पिता मुलायम सिंह की स्वास्थ्य सही नहीं है बेटे को पिता की देखभाल करनी चाहिए साथ ही वह अपनी पार्टी को संभाले क्योंकि उनके चाचा शिवपाल यादव ने भी उनका साथ छोड़ दिया है साथ ही 2022 का विधान सभा चुनाव अकेले लड़ने का फैसला किया है। इसके चलते अखिलेश काफी परेशान चल रहे है इसीलिए उनको यूपी पर कानून व्यवस्था को छोड़कर इन सबके बारे में ज्यादा ख्याल रखना चाहिए।

 

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