
जुबिली न्यूज़ डेस्क
आम आदमी पार्टी दिल्ली विधानसभा चुनाव में जीत के साथ फिर एक बार सरकार बनाने जा रही है। बीजेपी ने पहले से बेहतर प्रदर्शन किया है। वहीं कांग्रेस के लिए यह चुनाव निराशा भरा रहा। कांग्रेस को एकबार शून्य सीट मिली है और इस बार तो पार्टी का मत प्रतिशत भी कम हो गया है।
दिल्ली चुनाव के परिणाम का लोगों को बड़ी बेसब्री से इंतजार था दरअसल ये चुनाव कई वजह से महत्वपूर्ण था। सबसे बड़ा सवाल ये था कि हिंदुत्व और विकास के मुद्दे में जनता किसे ज्यादा महत्व देती है। साथ ही ईवीएम भी अब सौ कैरट शुद्ध हो गई है। इस सबके साथ ही इस चुनाव में कुछ बड़े नेताओं के भविष्य को लेकर भी फैसला होने वाला था। इन नेताओं में पीएम मोदी और अरविन्द केजरीवाल से लेकर प्रशांत किशोर तक शामिल हैं।
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अरविन्द केजरीवाल
अन्ना आन्दोलन से चर्चित हुए अरविन्द केजरीवाल तीसरी बार दिल्ली के मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं। यह चुनाव उनके लिए बेहद महत्वपूर्ण था। अगर आम आदमी पार्टी सरकार बनाने में नाकामयाब होती तो अरविन्द के राजनीतिक कैरिअर पर ब्रेक लगने की संभवना बढ़ सकती थी वहीं अब वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकल्प के तौर पर उभरकर सामने आये हैं। आने वाले दिनों में पीएम मोदी को केजरीवाल से बड़ी चुनौती मिलना तय है। बीजेपी और कांग्रेस से इतर अरविन्द केजरीवाल विकास और जनता के मुद्दों की पैरोकारी करने वाले तीसरे विकल्प बन चुके हैं। अरविन्द हनुमान चालीसा तो पढ़ते ही हैं साथ ही वह शिक्षा के महत्व को भी समझते हैं। उन्हें अर्थ की व्यवस्था भी समझ आती है क्योंकि फ्री बिजली और पानी देने के बाद भी उनकी सरकार फायदे में रहती है।
पीएम नरेंद्र मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए दिल्ली चुनाव प्रतिष्ठा का विषय बन गया था। बीजेपी ने दिल्ली में सीएम चेहरा का ऐलान नही किया था। साथ ही शाहीनबाग और राष्ट्रवाद के मुद्दों को भुनाने की पूरी कोशिश की गई। महाराष्ट्र और झारखण्ड में मिली शिकस्त के बाद बीजेपी ने दिल्ली फतह करने के लिए अपने सभी हथकंडे अपनाए। ऐसे में यह चुनाव मोदी लहर का भी टेस्ट बन गया था कि क्या मोदी लहर मंद पड़ गई है या फिर आभी बची हुई है। दिल्ली के परिणाम के बाद ऐसा माना जा रहा है कि, 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं।
जेपी नड्डा
जेपी नड्डा के लिए यह चुनाव इसलिए महवपूर्ण था क्योंकि उनके बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद यह पहली परीक्षा थी।

मनोज तिवारी
मनोज तिवारी दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष हैं। सीएम कैंडिडेट के रूप में उनके नाम का ऐलान भले ही न हुआ हो लेकिन वो इस चुनाव में पार्टी के प्रमुख चेहरा थे। इतना ही नहीं पूर्वांचल के वोटरों पर बीजेपी ने बड़ा दांव लगाया था। इसी लिए मनोज तिवारी के जनता के मजाक उड़ाने वाले वीडियो वायरल होने के बाद भी पार्टी उन पर मेहरबान रही। ऐसे में जब बीजेपी दिल्ली में सरकार बनाने में कामयाब नहीं हुई है तो मनोज तिवारी को इसकी कीमत चुकानी पड़ सकती है।
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नीतीश कुमार
नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री हैं, उनकी पार्टी दिल्ली में बीजेपी की सहयोगी थी। इतना ही नहीं नीतीश ने दो चाणक्यों (अमित शाह और प्रशांत किशोर) के बीच प्रशांत किशोर को पार्टी से बाहर करके अमित शाह के साथ जाना तय किया। नीतीश कुमार वैसे तो मंझे हुए राजनीतिज्ञ हैं और कभी वह नरेंद्र मोदी को भी टक्कर देते थे लेकिन दिल्ली चुनाव के परिणाम के बाद उनकी मुश्किलें भी बढ़ने वाली हैं।
प्रशांत किशोर
हालांकि प्रशांत किशोर नेता के तौर पर कम और राजनीतिक रणनीतिकार के रूप में ज्यादा प्रसिद्द हैं लेकिन इस चुनाव में पहली बार वो खुलकर मीडिया के सामने आये और बीजेपी के खिलाफ खड़े दिखे। जिसकी वजह से उनके लिए भी यह चुनाव नाक का सवाल बन गया था। इतना ही नहीं प्रशांत को मतभेदों के चलते जेडीयू से बाहर भी होना पड़ा। अब ऐसे में यह देखना भी दिलचस्प होगा की उनका नया ठिकाना कहां बनता है। या फिर वह रणनीतिकार के रूप में ही आगे कार्य करते नजर आएंगे।
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