Friday - 19 January 2024 - 9:07 AM

शिवसेना ने किया शाह पर वार- ‘यह तीर कलेजे को चीरनेवाला है’

न्‍यूज डेस्‍क

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने दिल्‍ली विधानसभा चुनाव में पीएम नरेंद्र मोदी का चेहरा आगे 22 साल का वनवास खत्म करने के लिए इस बार काफी प्रयास किया था। लेकिन केजरीवाल की सुनामी के आगे मोदी लहर की रफ्तार बहुत धीमी हो गई और बीजेपी आठ सीटों पर ही जीत हासिल कर पाई। लगातार दूसरी बार ऐसा हुआ जब भारतीय जनता पार्टी की दिल्‍ली में सीटों की संख्‍या दहाई आंकड़ा नहीं पार कर पाया।

बीजेपी का ये हाल तब रहा जब जीत के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, 6 राज्यों के मुख्यमंत्री, 9 केंद्रीय मंत्री और 40 से ज्यादा स्टार प्रचारकों ने जमकर प्रचार किया। बावजूद इसके पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा।

अरविंद केजरीवाल की अगुवाई में आम आदमी पार्टी की दिल्ली में जीत का रास्ता रोकने के लिए भारतीय जनता पार्टी ने जमकर तैयारी की और करीब 240 सांसदों को दिल्ली के चप्पे पर लगा दिया गया ताकि नेतागण जनता का वोट अपनी पार्टी के लिए हासिल कर सकें और कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों को भी वहां भेजा गया।

दिल्ली के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सबसे बड़ा चेहरा रहे। चुनाव जीतने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रीय राजधानी में दो चुनावी रैलियां कीं। जबकि कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने चार रैलियां कीं तो अरविंद केजरीवाल ने तीन बड़े रोड शो किए।

हालांकि विरोधियों की माने तो दिल्‍ली की ये हार पीएम नरेंद्र मोदी की तो है ही लेकिन उससे भी ज्‍यादा बड़ी हार अमित शाह की है।   कभी एनडीए में साथी रही शिवसेना ने अब दिल्ली की हार के बाद सीधे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पर निशाना साधा है।

मुखपत्र सामना में लिखा गया है कि दिल्ली की जीत में हैरान करने वाला कुछ भी नहीं है, दिल्ली की हार पीएम मोदी से ज्यादा अमित शाह के लिए प्रतिष्ठा का सवाल था।

दिल्ली के चुनावी नतीजों पर शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में लिखा, ‘जयप्रकाश नड्डा ने पार्टी के अध्यक्ष पद को भले संभाल लिया लेकिन दिल्ली विधानसभा चुनाव में अमित शाह ने भाजपा का नेतृत्व खुद संभाल रखा था। पार्टी अध्यक्ष पद छोड़ने के बाद उन्हें एक जीत चाहिए थी, ये संभव नहीं हो पाया। झारखंड में हार हुई और जिसकी कल्पना नहीं कर सकते थे ऐसा महत्वपूर्ण राज्य महाराष्ट्र भी हाथ से चला गया। यह तीर कलेजे को चीरनेवाला है।’

गौरतलब है कि अरविंद केजरीवाल एक ओर जहां अपनी सत्ता बचाए रखने की कोशिश में जुटे थे तो बीजेपी ने 1993 के बाद दूसरी बार जीत हासिल करने की हरसंभव प्रयास किया। गृह मंत्री और मोदी के बेहद करीबी कहे जाने वाले अमित शाह ने चुनावी अधिसूचना जारी होने से करीब 25 दिन पहले ही द्वारका में भारत वंदना पार्क से चुनाव प्रचार अभियान शुरू कर दिया था और अंत तक वह प्रचार करते रहे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तुलना में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने चुनावी रैली की जगह तीन बड़े रोड शो किए। इसके अलावा रोज छोटी-छोटी चुनावी सभाएं भी कीं। प्रचार के आखिरी चरण में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और महासचिव प्रियंका गांधी ने चार-चार चुनावी रैलियां कीं।

अमित शाह ने तो धुआंधार अंदाज में चुनाव प्रचार किया और केंद्र सरकार की नीतियों का जमकर जिक्र किया, लेकिन जनता ने उनकी एक न सुनी। बीजेपी के कई नेताओं की ओर विवादित और भड़काऊ बोल भी पार्टी के काम नहीं आई।

बीजेपी ने अंतिम समय तक चुनाव प्रचार किया लेकिन पार्टी लगातार दूसरी बार दिल्ली के चुनाव में दहाई का आंकड़ा तक नहीं छू सकी।

Radio_Prabhat
English

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com