Monday - 22 January 2024 - 2:59 AM

गांव में पेयजल आपूर्ति का श्रेय सुषमाजी को

रूबी सरकार

जैसे ही मैं मध्य प्रदेश के सीहोर जिले के खामलिया गांव पेयजल की स्थिति देखने पहुंची, मुझे यह देखकर सुखद आश्चर्य हुआ, कि गांव की महिलाओं ने अपनी पूर्व सांसद और देश की विदेश मंत्री रहीं स्वर्गीय सुषमा स्वराज को भावपूर्ण याद किया।

महिलाओं ने बताया, कि इस गांव को पेयजल उपलब्ध कराने का श्रेय सुषमाजी को ही जाता है। उन्होंने हमारे निवेदन का मान रखा और पहल करके पूरे गांव का जल संकट दूर किया। इससे पूर्व कई नेताओं ने वादा किया और कुछ हद निभाया भी, लेकिन वह ऊंट के मुंह में जीरा ही साबित हुआ।

दरअसल शिवराज सिंह चौहान सरकार प्रदेश के ग्रामीण अंचलों में पानी की बर्बादी रोकने और वहां की पेयजल व्यवस्था को दुरूस्त करने के लिए राज्य में नया नियम लागू करने की दिशा में कदम बढ़ा रही है. पानी की बर्बादी करते पाए जाने पर उपभोक्ता पर जुर्माने का प्रावधान भी करने का मन बना रही है। क्योंकि तेजी से नीचे जा रहे भू-जल स्तर आने वाले दिनों में खतरे की गंभीर चेतावनी दे रही है। ऐसे में बूंद-बूंद पानी कैसे बचाया जाए इसकी चिंता और कम से कम पानी का उपयोग कर इसे बचाने की आदत डालना नितांत जरूरी हो गया है। लेकिन खामलिया ग्राम पंचायत के दौरे में दूसरी ही तस्वीर उभर कर सामने आयी। यहां लोगों को जल की अहमियत वर्षों से मालूम है।

गांव की महिलाएं

यह भी पढ़ें : MP : कमलनाथ क्यों पड़ सकते हैं शिवराज पर भारी

इस गांव के सबसे बुजुर्ग महिला जमुनी बाई बताती हैं, कि उन्होंने अपने बचपन से ही गांव की महिलाओं को प्रतिदिन दूर-दूर से पानी लाते देखा है। वह भी बचपन से लेकर इस उम्र तक इसी तरह पानी ढोती रहीं। यहां की महिलाएं 2018 से पहले तक कम से कम 3-4 किलोमीटर दूर से पानी लाती थीं। लगभग 300 लीटर पानी के लिए उन्हें 20 बार आना -जाना पड़ता था। कमर और पैर जवाब दे देने के बावजूद महिलाएं इतनी दूरी से पानी लाने को विवश थीं। इसलिए पानी का मोल उनसे बेहतर कौन समझ सकता है। गांव में तमाम समस्याओं के बावजूद सुबह से रात तक केवल पानी को लेकर चर्चा। बाकी सारे काम पीछे छूट जाते थे। क्योंकि जीवन में पानी ही सबसे महत्वपूर्ण है।

बसंती बाई

खामलिया सरपंच बसंती बाई बताती हैं, कि इस ग्राम पंचायत में नरेला गांव भी है। दोनों गांव की कुल आबादी लगभग ढाई हजार है। चुनाव के समय हर नेता यहां आकर आश्वासन देते थे और चुनाव जीतने के बाद एक-दो हैण्डपम्प लगवा भी देते थे। लेकिन इससे समस्या का हल नहीं होता था। क्योंकि पानी यहां लगभग 150 फीट नीचे जा चुका था, इसलिए यह स्थाई समाधान नहीं था। मोटर लगाकर भी पानी निकाल पाना मुश्किल हो गया था। हमसे पूर्व सभी सरपंचों ने अपने स्तर पर प्रयास किये, लेकिन समस्या का स्थाई समाधान नहीं निकला। ऐसे में जब 2016 में मुख्यमंत्री ग्राम नलजल प्रदाय योजना शुरू हुई, तो हमने पंचायत से सर्वसम्मति से प्रस्ताव पास करवाया।

मनोहर सिंह मेवाड़

पूर्व सरपंच मनोहर सिंह मेवाड़ ने बताया, यहां पानी के लिए झगड़े होना आम बात थी। लोग पानी का टेंकर देखते ही टूट पड़ते थे और हाथापाई की नौबत आ जाती थी। बड़ी मुश्किल से झगड़ा सलटाया जाता था। फिर भी कभी थाने तक मामला नहीं जाने दिया। आदमी दिन भर मोटर साइकिल, साइकिल, बैलगाड़ी यहां तक कि ट्रक और ट्रैक्टर्स से भी पानी का परिवहन करते थे। महिला हो या पुरूष यहां तक कि बच्चों का भी मुख्य काम दिनभर पानी का स्रोत ढूंढ़ना था। ऐसी मार्मिक और डरावनी छवि देखने के लिए हम सब विवश हो चुके थे।

उन्होंने कहा, कि हम वर्ष 1969 से पानी की परेशानी झेल रहे हैं। मेरे दादाजी रूप सिंह मेवाड़, मेरी मां तारादेवी भी खामरिया पंचायत की सरपंच रही हैं, इन लोगों ने भी अपने स्तर पर पानी के लिए प्रयास किया था। लेकिन स्थाई समाधान नहीं हुआ था। लेकिन पानी की किल्लत के बावजूद हमने गांव को वर्ष 2016 में खुले में शौच से मुक्त करवाया। वर्ष 2016 में इस पंचायत को ओडीएफ का प्रमाण-पत्र मिला गया था।

वर्ष 2008 में इस गांव में ब्याह कर आई सीमा विश्वकर्मा बताती है, कि शादी से पहले वह पानी की इतनी खराब स्थिति से परिचित नहीं थी। यहां आने के बाद उसे पानी का मोल पता चला। इसी तरह सोनाबाई कहती है, कि पानी-ढोते-ढोते यहां की महिलाओं की हथेली बिल्कुल सख्त हो चुकी है। हाथ छिल जाते थे, तब भी पानी लाना पड़ता था। क्योंकि घर पर पानी लाने के लिए दूसरा कोई व्यक्ति नहीं था। पूजा पुराने दिनों को याद कर कहती है, मजबूरी में तीन-तीन रखे पानी से भगवान को नहलाते थे, फिर उनसे माफी मांगते थे।

पूजा ने कहा, हमने वह दिन भी देखें है, कि बच्चे भूख से तड़प रहे हैं और अगर कहीं ने आवाज आई, कि इस हैण्डपम्प पर पानी आ रहा है, तो बच्चों को भूखा छोड़कर भागना पड़ता था।

एसडीओ पीके सक्सेना

लोक स्वास्थ्य यांत्रिकीय विभाग के एसडीओ पीके सक्सेना ने कहा, कि मुख्यमंत्री ग्राम नलजल प्रदाय योजना के क्रियान्वय के लिए विभाग ने खामलिया पंचायत को चिन्हांकित किया था। श्री सक्सेना ने कहा, कि वे स्वयं इस पंचायत में पानी की किल्लत से वाकिफ थे और सांसद और पूर्व विदेष मंत्री सुषमा जी ने भी मुख्यमंत्री को पत्र लिखा था। योजना के क्रियान्वयन के लिए सबसे पहले विभाग ने वर्ष 2017-18 में आवश्यक जल स्रोत नलकूप के रूप में विकसित किये। इसके बाद योजना के सर्वेक्षण का कार्य को पूरा किया गया, डीपीआर वर्ष 2016-17 में बन चुकी थी।

योजना की स्वीकृति गांव में निवासरत लगभग समस्त ग्रामीण परिवारों द्वारा घरेलू नल कनेक्शन, लेने एवं निर्धारित जलकर की राशि नियमित रूप से भुगतान करने संबंधी सहमति पत्र के बाद विभाग ने वर्ष 2018-19 में इसे पूरा किया। योजना के अंतर्गत घरेलू नल कनेक्शन के माध्यम से समस्त ग्रामीणों के घरों में सुबह आधे घण्टे के लिए पेयजल की आपूर्ति शुरू हुई। वर्तमान में इसका संचालन और संधारण पंचायत के आधिपत्य में दे दिया गया है। श्री सक्सेना ने कहा, कि मुझे खुशी है, कि पंचायत इसका रख-रखाव बहुत अच्छे ढंग से कर रहा है। यहां 291 कनेक्शन है और सभी नियमित जलकर अदा कर रहे हैं।

इंजीनियर केके शर्मा

इसी विभाग के इंजीनियर केके शर्मा ने बताया, कि मध्यम आकार के खामलिया पंचायत में अधिकांश आबादी सामान्य जाति के हैं। नरेला और खामलिया दोनों गांव की पंचायत खामलिया है। योजना से पूर्व खामलिया में पेयजल के लिए 15 हैण्डपम्प लगे थे, जो जनवरी-फरवरी से ही सूख जाते थे। इसी तरह नरेला गांव में 6 हैण्डपम्स, जिनमें से 4 में पानी बिल्कुल नहीं आता था।

 

 

 

यह भी पढ़ें : भारत को अब कोयले में नये निवेश की ज़रूरत नहीं: संयुक्त राष्ट्र

यह भी पढ़ें : तालाबंदी में किसका स्ट्रेस लेबल ज्यादा बढ़ा?

Radio_Prabhat
English

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com