Wednesday - 10 January 2024 - 6:28 AM

कोरोना : तालानगरी में लटका ताला

  • लॉकडाउन : अर्थव्यवस्था लगभग 45 प्रतिशत सिकुड़ गई
  • अलीगढ़ के ताला व्यापारियों को हुआ भारी नुकसान
  • 25 लाख रुपए प्रतिमाह का कार्य होता है
  • देश की कुल आवश्यकता का 95 फीसदी ताला यहां तैयार होता है
  • 50,00 करोड़ के इस कारोबार में 1.5 लाख लोग लगे हैं

सैय्यद मोहम्मद अब्बास

कोरोना को रोकने के लिए देश में लॉकडाउन जारी है। हालांकि लॉकडाउन का चौथा चरण पहले से अलग है और लोगों को काफी छूट मिल रही है। तालाबंदी ने लोगों को काफी नुकसान पहुंचाया है। आलम तो यह है कि इस लॉकडाउन की वजह से लोगों को दो वक्त की रोटी भी नसीब नहीं हो पा रही है। इतना ही नहीं लोगों की जेब खाली हो चुकी है और जिदंगी बसर करना भी मुश्किल हो रहा है।

कोरोना काल में यूपी के सभी उघोग धंधे भी मुश्किलों के दौर से गुजर रहे हैं और दोबारा पटरी पर आने में अभी काफी लम्बा वक्त लग सकता है। अगर बात यूपी के शहर अलीगढ़ की जाये तो यह शहर ताला उघोग के भारत ही नहीं विदेशों में अपनी धमक रखता है लेकिन अब यहां पर ताला लटक गया है। आर्थिक मंदी के दौर से अलीगढ़ का ताला उघोग पहले ही गुजर रहा था और अब रही-सही कसर कोरोना ने पूरी कर दी है।

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अलीगढ़ में 70 फीसदी लॉक और हार्डवेयर का काम होता है। जानकारी के मुताबिक यहां पर 200 ताला व्यापारी एक करोड़ रुपए का कारोबार करते हैं। इसके साथ ही ताला नगरी में 750 सौ करोड़ प्रतिमाह का कारोबार होता है लेकिन कोरोना काल में सबकुछ खत्म हो गया है और लोग उधारी लेने पर मजबूर है।

कोरोना काल में सबकुछ हो गया खत्म

कोरोना काल में उघोग धंधों को काफी बर्बाद कर दिया है। इस वजह से देश की आर्थिक हालत अब और खराब हो गए है। अभी हाल में गोल्डमैन साक्स ने देश की अर्थव्यवस्र्था को लेकर बड़ा बयान दिया था और बताया कि देश में लॉकडाउन की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था लगभग 45 प्रतिशत सिकुड़ सकती है। इसके साथ ही भारत के समग्र उत्पाद (जीडीपी) में 5 प्रतिशत पतन होने की अटकले लगायी जा रही है। सरकार इसे पटरी पर लाने के लिए मदद दे रही है लेकिन सबसे अहम बात यह है कि लोगों के हाथ में अब पैसा नहीं है।

क्या कहना है लॉक्स एडं हार्डवेयर निर्माता एसोसिएशन

लॉक्स एडं हार्डवेयर निर्माता एसोसिएशन के अध्यक्ष पवन खांडेवाल ने जुबिली पोस्ट को बताया कि अलीगढ में 200 के करीब एक्सपोर्टर है, जिनका सालाना टर्न ओवर 2000 करोड़ का है इसके साथ ही करीब 14000 सूक्ष्म और छोटी इकाइयां है,जिनका सालाना टर्नओवर लगभग 10000 करोड़ का है। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन की वजह से पूरा कारोबार चौपट हो गया है। उन्होंने बताया कि 22 मार्च को जब लॉकडाउन लगा तो पूरा कारोबार बंद हो गया। इसके बाद 24 अप्रैल को 14000 हजार में से 50 को अनुमति दी गई थी। इस दौरान केवल पांच प्रतिशत का कारोबार हो सका है। पवन कहते हैंं कि तालानगरी को चीन से कड़ी टक्कर मिलती है। इतना ही नहीं लोग कहते हैं कि चीन का सामान नहीं खरीदों लेकिन यह तभी संभव है जब वहां से आने वाले सामान को रोका जाएगा।

 

आर्थिक मंदी की चपेट में रहा है ताला कारोबार

अलीगढ़ शहर ताला और तालीम दोनों के लिए जाना जाता है लेकिन हार्डवेयर की वजह से इस शहर को दूसरे शहरों से अलग करता है। बीच के दौर में यहां के ताला और हार्डवेयर से जुड़ी चीजों पाकिस्तान, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, सउदी अरब के साथ-साथ जर्मनी तक जाती है। हालांकि आर्थिक मंदी के दौर में यहां के कुटीर उद्योगों का सांस लेना भी मुश्किल हो रहा था।

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नतीजा यहा रहा कि अब यहां पर 1500 से अधिक कारखानें हमेशा के लिए खत्म हो गए और इस वजह 800 से उद्योग धंधों पर ताला लटक गया है। ऐसा इसलिए क्योंकि मौजूदा दौर में लोग मशीनीकरण पर ज्यादा निर्भर हो गए और साथ में श्रम शक्ति व पर्याप्त बिजली न होने से इनको नुकसान उठाना पड़ा है।

कभी लाखों लोगों को रोजगार देने के लिए तालानगरी के लिए हमेशा आगे रहती थी लेकिन मौजूदा समय में इसका हाल बेहाल है और इस समय मात्र 10 हजार लोग जुड़े हैं जबकि कारखानों की संख्या घटकर करीब 2 हजार रह गई है।

कभी देता था चीन को टक्कर

अलीगढ़ का ताला उद्योग किसी जमाने में चीन को भी कड़ी टक्कर देता था। ताला उद्योग 3,500-4,000 करोड़ रुपये का सालाना कारोबार आसानी से पहले कर लेता था लेकिन बाद में यहां पर महंगाई ने इसकी कमर तोड़ दी। कच्चे माल की कीमत बढऩे से इसके कारोबार पर अच्छा खासा असर डाला। कहा जा रहा है कि प्रतिस्पर्धा और महंगाई की वजह से यहां के लोग ताला निर्माता बिल्डिंग हार्डवेयर के कारोबार में अपना भाग्य अजमाने लगे।

इन देशों में होती है सप्लाई

अलीगढ़ के ताले विदेशों में जाते हैं। अमेरिका, खाड़ी देश, जर्मनी, फ्रांस, इग्लैंड, दक्षिण अफ्रीका, श्रीलंका, नेपाल, बांगलादेश, ऑस्ट्रेलिया आदि देशों में ताला-हार्डवेयर, पीतल की मूर्ति व यूरोपियन फिगर, बिजली फिटिंग के उत्पादन की सप्लाई होती है।

कुल मिलाकर देखा जाये तो कोरोना काल में हर सेक्टर को नुकसान हुआ है। हालांकि अब दुकानें खुल रही है। कई लोगों को कहना है जो सामान गया है अभी तक उसका पैसा तक नहीं आया है। लॉकडाउन में पूरा कारोबार बंद था और अब जब दोबारा खुलेगा तो इसकी भरपायी इतनी आसानी से नहीं होने वाली है। हालांकि सरकार इन कारोबारा को मदद देने की बात कह रही है लेकिन ये सब इतना आसान नहीं होगा।

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