जुबिली न्यूज डेस्क
मुंबई: गणेशोत्सव के दौरान देशभर में प्रसिद्ध लालबाग चा राजा गणपति पंडाल एक बार फिर VIP/Non-VIP दर्शन व्यवस्था को लेकर विवादों में आ गया है। वकील आशीष राय और पंकज कुमार मिश्रा ने इस संबंध में महाराष्ट्र राज्य मानवाधिकार आयोग (MSHRC) में औपचारिक शिकायत दर्ज कराई है। शिकायत में उन्होंने मुंबई पुलिस आयुक्त और महाराष्ट्र राज्य सचिव को भी पार्टी बनाया है।
क्या हैं आरोप?
शिकायतकर्ताओं का आरोप है कि सामान्य भक्तों — जिनमें बच्चे, महिलाएं, बुजुर्ग, दिव्यांग और गर्भवती महिलाएं शामिल हैं — को 24 से 48 घंटे तक लाइन में खड़ा रहना पड़ता है, वह भी बिना किसी बुनियादी सुविधा के। वहीं, VIP श्रेणी के दर्शनार्थियों को कुछ ही मिनटों में विशेष रास्ते से दर्शन करवाए जाते हैं।
शिकायत में यह भी कहा गया है कि पंडाल के बाउंसर और कर्मचारी आम भक्तों के साथ दुव्यवहार, धक्का-मुक्की और अपशब्दों का प्रयोग करते हैं। वहीं पुलिस अधिकारी VIP व्यक्तियों को वीडियो और फोटो लेने की पूरी छूट देते हैं, जबकि आम लोगों को ऐसा करने से रोका जाता है।
शिकायत की मुख्य बातें:
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VIP दर्शन प्रणाली को लेकर संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) के उल्लंघन का आरोप।
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आम भक्तों के साथ अमानवीय व्यवहार, जिससे शारीरिक और मानसिक नुकसान होने का खतरा।
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राष्ट्रीय मीडिया रिपोर्ट्स में भी भीड़, भगदड़ और चोटिल होने की घटनाएं सामने आई हैं।
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पहले भी 14 सितंबर 2024 और 22 सितंबर 2023 को मुंबई पुलिस में शिकायत दी गई थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।
क्या चाहते हैं शिकायतकर्ता?
शिकायतकर्ताओं ने MSHRC से निम्नलिखित माँगें की हैं:
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VIP/Non-VIP दर्शन प्रणाली को तुरंत बंद किया जाए।
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कमजोर वर्गों के लिए विशेष सुरक्षा और सुविधाएं सुनिश्चित की जाएं (अनुच्छेद 21 के तहत)।
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दर्शन के लिए सभी भक्तों को समान अवसर मिले।
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पंडाल में स्थायी पुलिस व्यवस्था लागू हो ताकि शिकायतों पर तत्काल कार्रवाई हो सके।
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भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों, इसके लिए सुरक्षा उपायों की सिफारिश की जाए।
हर साल करोड़ों श्रद्धालु लालबाग चा राजा के दर्शन के लिए आते हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, VIP श्रेणी के लोग 5 से 10 मिनट में दर्शन कर लेते हैं, वहीं सामान्य भक्तों को घंटों से लेकर दो दिन तक लाइन में खड़ा रहना पड़ता है। इस दौरान लोगों की तबीयत बिगड़ने, बेहोश होने और भगदड़ जैसे मामले भी सामने आते हैं।
कई बार मंडल के कार्यकर्ताओं द्वारा दुर्व्यवहार की शिकायतें भी दर्ज होती रही हैं, लेकिन उन पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। अब यह मामला मानवाधिकार आयोग तक पहुँच गया है, जिससे प्रशासन पर कार्रवाई का दबाव बढ़ सकता है।